11 महीने पहले उत्तर प्रदेश पुलिस की कमान संभालने वाले मुकुल गोयल को अचानक उत्तर प्रदेश सरकार ने डीजीपी के पद से हटा दिया है. मुकुल गोयल को डीजी सिविल डिफेंस बनाया गया है. मुकुल गोयल के अचानक हटाए जाने के बाद से सवाल उठने लगा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस का अगला डीजीपी कौन होगा? आइए हम बताते हैं, कौन है डीजीपी की रेस में आगे, किसकी है प्रबल दावेदारी और कौन है सबसे मजबूत?
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1987 बैच मुकुल गोयल के डीजीपी पद से हटने के बाद सत्ता के गलियारों से लेकर हर तरफ चर्चा आम हो गई है कि उत्तर प्रदेश पुलिस का नया मुखिया कौन होगा? कौन देश के सबसे बड़े राज्य की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स का अगला चीफ बनेगा? दावेदारों में डीजी इंटेलिजेंस डीएस चौहान की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है. डीएस चौहान 1988 बैच के आईपीएस अफसर हैं. सीनियरिटी लिस्ट में पांचवें नंबर पर आते हैं, लेकिन डीजीपी के तमाम मानदंडों के दावेदारों की बात करें, तो उसमें डीएस चौहान सबसे मुफीद और सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.
नए डीजीपी की रेस में चल रहे ये सारे नाम
नए डीजीपी के चयन के लिए डीजी रैंक के 8 आईपीएस अफसरों के नाम केंद्र सरकार को भेजे जाएंगे. सभी अफसरों के नाम को सर्विस ट्रैक रिकॉर्ड के साथ गृह मंत्रालय भेजा जाएगा. गृह मंत्रालय से हर अफसर की सर्विस बुक का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा. जैसे कब रिटायरमेंट होगा, किसके खिलाफ कितनी जांच हुईं, जांच कब खत्म हुई, कहां-कहां तैनाती हुई, कितने मेडल मिले और क्या उपलब्धियां थीं.
इन तमाम बारिकियों को DOPT यानी Department Of Personnel Training परखने के बाद उन तीन आईपीएस अफसरों का नाम पैनल में भेजेगा जिनके रिटायरमेंट में कम से कम 6 महीने का वक्त बाकी हो, जिनके खिलाफ कोई जांच लंबित ना हो और सत्य निष्ठा संदिग्ध ना हो. भारत सरकार से भेजे गए 3 आईपीएस अफसरों के पैनल में से ही उत्तर प्रदेश सरकार नए डीजीपी का चयन करेगी.
अब बात अगर दावेदारों की करें, तो यूपी में 1987 और 1988 बैच के कुल 8 आईपीएस डीजी रैंक पर हैं. जिनमें एक आईपीएस 1988 बैच के अनिल अग्रवाल भारत सरकार में डेपुटेशन पर तैनात हैं. बात अगर यूपी में तैनात आईपीएस अफसरों की करें तो सीनियरिटी लिस्ट में सबसे पहला नाम आरपी सिंह का है. 1987 बैच के आईपीएस आरपी सिंह वर्तमान में डीजी ट्रेनिंग के पद पर तैनात हैं. आरपी सिंह फरवरी 2023 में रिटायर हो जाएंगे.
सीनियरिटी लिस्ट में दूसरे नंबर पर विश्वजीत महापात्रा हैं. मुकुल गोयल को डीजी सिविल डिफेंस बनाए जाने के बाद विश्वजीत महापात्रा को डीजी को-ऑपरेटिव बनाया गया है. मगर विश्वजीत महापात्रा जून 2022 में ही रिटायर हो रहे हैं. यानी इनके पास नौकरी के सिर्फ 2 महीने बाकी हैं. लिहाजा विश्वजीत महापात्रा डीजी की रेस से बाहर हैं.
तीसरे नंबर पर 1987 बैच के आईपीएस जीएल मीणा हैं. जीएल मीणा वर्तमान में डीजी सीबीसीआईडी हैं. जीएल मीणा जनवरी 2023 में रिटायर होंगे यानी इनके पास 7 महीने का वक्त बाकी है. मगर जीएल मीणा के साथ बतौर डीजी होमगार्ड रहते भ्रष्टाचार का मामला जुड़ा है. जीएल मीणा इसी बीजेपी सरकार के पहले कार्यकाल में डीजी होमगार्ड थे और होम गार्डों की ड्यूटी लगाने और मस्टररोल घोटाले को लेकर बड़ा विवाद हुआ था, जिसके बाद उन्हें को हटाया गया था.
सीनियरिटी लिस्ट में चौथा नाम डॉक्टर आरके विश्वकर्मा का है. राजकुमार विश्वकर्मा वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष हैं. मई 2023 में इनका रिटायरमेंट होगा.
सीनियरिटी लिस्ट में पांचवे नंबर पर डीजी इंटेलिजेंस डीएस चौहान का नाम आता है. डीएस चौहान लंबे समय से डीजी इंटेलिजेंस जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात हैं. डीएस चौहान पुलिसिंग के माहिर अफसर माने जाते हैं. वर्तमान हालात में प्रदेश के हर आईपीएस अफसर की कुंडली डीएस चौहान जानते हैं. एसटीएफ जैसी महत्वपूर्ण संस्था के आईजी रहे हैं.
डीएस चौहान के बाद लिस्ट में अनिल अग्रवाल हैं, लेकिन वह भारत सरकार में डेपुटेशन पर तैनात हैं.
अनिल अग्रवाल के बाद जो नाम है, वह डीजीपी की रेस में अपने लंबे कार्यकाल के चलते प्रबल दावेदार हैं. डीजी जेल आनंद कुमार लंबे समय तक एडीजी लॉ एंड ऑर्डर जैसे पद पर रहे हैं. वर्तमान में उत्तर प्रदेश की जेलों में हो रहे सुधार कार्यक्रमों में आनंद कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका है. आनंद कुमार के पास अप्रैल 2024 तक का लंबा कार्यकाल बाकी है.
ऐसे में इस लिस्ट में विश्वजीत महापात्रा अपने कम कार्यकाल के चलते रेस से बाहर हैं. जीएल मीणा के पास 6 महीने से ज्यादा का वक्त बाकी जरूर है, लेकिन होमगार्ड का वेतन घोटाला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने उनकी तैनाती में सबसे बड़ा रोड़ा है. ऐसे में आरपी सिंह, आरके विश्वकर्मा और डीएस चौहान ये 3 नाम अहम हो जाते हैं. लंबे समय से डीजी इंटेलिजेंस जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए डीएस चौहान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विश्वसनीय अधिकारी माने जाते हैं.
पेशे से एमबीबीएस डॉ. डीएस चौहान मैनपुरी के रहने वाले हैं. चुनाव के दौरान एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव मैनपुरी के रहने वाले जिस आईपीएस अफसर की ओर इशारा कर जासूसी का आरोप लगाते थे, वो इशारा डीएस चौहान की तरफ ही रहता था.
डीजीपी की इस रेस में जो एक नाम सबको चौंका सकता है, वह है डीजी जेल आनंद कुमार का नाम. डीजीपी के चयन में दो नियम महत्वपूर्ण होते हैं. पहला अफसर के पास कम से कम 6 महीने का कार्यकाल हो. दूसरा जिसको डीजीपी बनाया जाए उसको कम से कम 1 साल तक पद पर रखा जाए. ऐसे में आनंद कुमार के पास उनका लंबा कार्यकाल उनकी दावेदारी को भी मजबूत करता है.
फिलहाल नए डीजीपी की तैनाती होने में कम से कम 10 दिन का वक्त लगेगा, तब तक एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार डीजीपी का काम देखेंगे.
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