उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा के चुनाव की सरगर्मियां काफी तेज हो चुकी हैं. दो चरणों के मतदान संपन्न हो गए हैं. वहीं आने वाले दिनों में 5 चरणों के चुनाव बाकी है. आने वाले दिनों में संपन्न होने वाले अलग-अलग चरणों के चुनाव में पूर्वांचल के कई बाहुबलियों का रसूख भी दांव पर लगा हुआ है.
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबली और माफियाओं की धमक अरसे से बनी चली आ रही है. 2022 का उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव भी इससे अछूता नहीं है.इस विधानसभा चुनाव में भी पूर्वांचल के कई बाहुबली जहां खुद ताल ठोक रहे हैं.
वहीं कई बाहुबलियों के परिवार के लोग भी चुनावी मैदान में हैं, लेकिन इस बार के चुनाव एक खास परिवर्तन भी दिखाई दे रहा है.
एक तरफ जहां पूर्वांचल के जाने-माने बाहुबली मुख्तार अंसारी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. उनके भाई शिबगतुल्लाह अंसारी भी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि उनकी जगह इस बार अंसारी परिवार की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए उनकी अगली पीढ़ी चुनाव मैदान में है.
यही नहीं एक तरफ जहां तमाम बाहुबली और उनके परिवार के लोग चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ ऐसा बाहुबली परिवार भी है. जिसने चुनाव से दूरी बना ली है. प्रयागराज के चर्चित माफिया और बाहुबली अतीक अहमद और उनके परिवार ने चुनाव से किनारा कर लिया है.
आइए जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस विधानसभा सीट पर बाहुबली और उनके परिजन चुनावी ताल ठोक रहे हैं और किन बाहुबलियों ने इस बार चुनावी रण छोड़ दिया है?
मऊ से मुख्तार अंसारी के बदले उनके बेटे अब्बास अंसारी चुनाव मैदान में
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में इस बार कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं. जहां योगी सरकार ने अपराधी छवि के रसूखदार और बाहुबली कहे जाने वाले राजनीतिक परिवारों पर बुल्डोजर चलवाया और बीजेपी ने चुनाव में इसे प्रमुख मुद्दा बनाया, तो वहीं विपक्ष में बैठे राजनीतिक परिवारों ने दल बदल के साथ अपने परिवार की पारंपरिक सीट का उत्तराधिकार भी अपनी नई पीढ़ी को सौंप दिया है.
मऊ के चर्चित बाहुबली मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद हैं और इस बार मुख्तार अंसारी ने चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया है. मऊ में उनकी विरासत को संभालने के लिए उनके बेटे अब्बास अंसारी सामने आए हैं, जो एसपी-सुभासपा गठबंधन के टिकट पर मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
हालांकि इससे पहले 2017 के चुनाव में अब्बास अंसारी मऊ के घोसी विधानसभा से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. उनको जीत हासिल नहीं हुई थी, लेकिन इस बार अब्बास अंसारी अपने पिता मुख्तार अंसारी की विरासत को संभालने के लिए चुनाव मैदान में हैं. जिनका मुकाबला मुख्तार अंसारी के धुर विरोधी माने जाने वाले बीजेपी के उम्मीदवार अशोक सिंह से है.
मुख्तार अंसारी पिछले 5 बार से मऊ से विधायक चुने जाते रहे हैं. लेकिन इस बार अंसारी के कदम पीछे खींच लेने और उनके बेटे अब्बास अंसारी के मैदान में आ जाने से मऊ में चर्चाओं का बाजार भी गर्म है.
मुख्तार के समर्थकों का कहना है कि मुख्तार अंसारी चुनाव लड़ने या अब्बास अंसारी चुनाव लड़ें चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि बाप की विरासत बेटा ही संभालता है.
गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से मुख्तार अंसारी के भतीजे शोएब लड़ रहे हैं चुनाव
इस बार के विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां मुख्तार अंसारी ने अपनी विरासत अपने बेटे को सौंप दी है. वहीं उनके बड़े भाई शिबगतुल्लाह अंसारी ने भी अपनी विरासत अपने बेटे शोएब अंसारी को सौंप दी है.
शोएब अंसारी को समाजवादी पार्टी ने मोहम्दाबाद से अपना उम्मीदवार बनाया है. बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई शिबगतुल्ला अंसारी शुरुआत से ही समाजवादी पार्टी में रहे हैं और मोहम्मदाबाद की सीट से 2 बार विधायक भी चुने गए थे.
नौतनवा से बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी चुनाव मैदान में
यूपी के महराजगंज जिले की नौतनवा विधानसभा सीट से बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं. चुनाव लड़ रहे बीएसपी उम्मीदवार अमनमणि त्रिपाठी देश की चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में पत्नी मधुमणि समेत आजीवन कारावास की सजा काट रहे बाहुबली नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के बेटे हैं. जिन पर पत्नी की हत्या का आरोप है.
2017 के विधानसभा चुनाव अमन मणि ने जेल से ही जीते थे, लेकिन इस बार बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अमन मणि की राह उतनी आसान दिखाई नहीं दे रही है.
भाजपा गठबंधन की निषाद पार्टी से चुनाव लड़ रहे ऋषि त्रिपाठी उनको कड़ी टक्कर दे रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के कौशल सिंह भी चुनाव मैदान में हैं.
अयोध्या की गोसाईगंज सीट से बाहुबली अभय सिंह चुनाव मैदान में
अयोध्या जनपद की गोसाईगंज ऐसी विधानसभा है, जहां से समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के रूप में यूपी के बड़े बाहुबलियों में शुमार अभय सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ जेल में बंद बाहुबली इंद्र प्रताप तिवारी की पत्नी आरती तिवारी भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.
अभय सिंह द्वारा नामांकन के दौरान दिए गए चुनावी हलफनामे में मौजूदा समय में गंभीर धाराओं में दर्ज 10 मुकदमों का जिक्र किया है. राजनीतिक जगत में बड़ा नाम रखने वाले मुख्तार अंसारी के साथ इनके ऑडियो भी सार्वजनिक हो चुके हैं.
वहीं भारतीय जनता पार्टी से इनके मुकाबले आरती तिवारी चुनाव लड़ रही हैं. जिनके ऊपर कोई मुकदमे तो नहीं है, लेकिन इनके पति की शोहरत अयोध्या जनपद के बड़े बाहुबलियों में होती है.
मौजूदा समय में अयोध्या कारागार में बंद इनके पति इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी 2017 में भाजपा और अपना दल के गठबंधन के प्रत्याशी ग्रुप में गोसाईगंज विधानसभा सीट से विधायक थे.
हालांकि, धोखाधड़ी के एक मुकदमे में सजा होने के बाद यूपी की भाजपा सरकार के कार्यकाल पूरा होने के पहले ही उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई थी. इसलिए उनके स्थान पर उनकी पत्नी आरती तिवारी अब गोसाईगंज विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं.
जौनपुर की मल्हनी सीट से बाहुबली धनंजय सिंह ठोक रहे हैं ताल
पूर्वांचल के चर्चित बाहुबली धनंजय सिंह इस बार फिर चुनाव मैदान में हैं. धनंजय सिंह जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्व सांसद धनंजय सिंह 2002 में पहली बार निर्दल प्रत्याशी के रूप में रारी विधानसभा (वर्तमान में मल्हनी सीट ) से चुनाव जीतकर अपने विरोधियों को करारी शिकस्त दी थी. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने जौनपुर सदर लोकसभा से लोक जनशक्ति और कांग्रेस गठबंधन से चुनाव लड़े, लेकिन जीत हासिल नहीं हो सकी.
इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने रारी विधानसभा से जनता दल यूनाइटेड और भाजपा गठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2009 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने धनंजय सिंह को जौनपुर सदर से प्रत्याशी बनाया.
धनंजय सिंह ने पहली बार जौनपुर सदर सीट पर बहुजन समाज पार्टी का झंडा लहराया. सांसद बनने के बाद धनंजय सिंह ने अपने पिता राजदेव सिंह को रारी विधानसभा से उपचुनाव लड़ा कर भारी मतों से जीत दिलाई. इसी बीच 2012 विधानसभा चुनाव के पूर्व बीएसपी सुप्रीमो से धनंजय सिंह की किसी बात को लेकर अनबन हो गई. बीएसपी सुप्रीमो ने धनंजय सिंह के पिता का मल्हनी विधानसभा से टिकट काट दिया.
2012 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने बागी बनकर निर्दल प्रत्याशी के रूप में अपनी पत्नी डॉक्टर जागृति सिंह को चुनाव लड़ाया और दूसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव मल्हनी विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए.
2014 के मोदी लहर में भी धनंजय सिंह ने लोकसभा का चुनाव निर्दल प्रत्याशी के रूप में लड़ा, लेकिन नहीं जीत पाए थे.
2017 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह मल्हनी विधानसभा से निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भी हार गए. 2022 के चुनाव में एक बार फिर धनंजय सिंह चुनाव मैदान में हैं और काफी चर्चा में भी हैं.
इस सीट से धनंजय सिंह का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व सांसद के पी सिंह के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के लकी यादव से है.
सैयदराजा सीट से बाहुबली बाहुबली बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह चुनाव मैदान में
पूर्वांचल के चर्चित बाहुबलियो में शुमार जेल मे बंद बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चंदौली जिले की सैयदराजा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वर्तमान में भी सुशील से सैयदराजा से भाजपा के विधायक हैं. इससे पहले भी एक बार बीएसपी से और एक बार निर्दल विधायक चुने जा चुके हैं.
बाहुबली अतीक अहमद और उनके परिवार ने चुनाव से बनाई दूरी
एक तरफ जहां पूर्वांचल के चर्चित बाहुबली और उनके परिजन 2022 के विधानसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं, वहीं एक ऐसा बाहुबली परिवार भी है, जिसने इस बार चुनाव से किनारा कर लिया है. बाहुबली के रूप मे कुख्यात पूर्व सांसद अतीक अहमद के परिवार ने 2022 के चुनाव से पूरी तरह दूरी बना ली है. इस बार अतीक परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा.
शहर पश्चिमी से पांच बार के विधायक और फूलपुर के सांसद रहे अतीक अहमद की अवैध संपत्ति और राजनैतिक कैरियर पर योगी सरकार ने अपना बुल्डोजर चलाया था. जिसकी खूब चर्चा भी हुई थी.
अतीक अहमद अहमदाबाद जेल में बंद हैं और चुनाव से तीन महीने पहले आवैसी की पार्टी AIMIM पूरे परिवार ने ज्वॉइन कर ली थी. सभी को उम्मीद थी कि परिवार का कोई भी सदस्य इस चुनाव में अपनी भागीदारी करेगा, लेकिन नामांकन के आखिरी दिन तक किसी ने अपना नामांकन दाखिल नहीं किया और इस चुनाव से पूरी तरह दूरी बना ली.
(मऊ से दुर्गा किंकर सिंह, गाजीपुर से विनय कुमार सिंह, महाराजगंज से अमितेश त्रिपाठी, अयोध्या से बनवीर सिंह, जौनपुर से राजकुमार सिंह और प्रयागराज से पंकज श्रीवास्तव के इनपुट्स के साथ)
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