उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सात सीटों पर 200 से कम वोटों से और 23 सीटों पर 500 से कम मतों से जीत का दावा फैक्ट चेक में गलत साबित हुआ है.
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यह फैक्ट चेक एसपी की हार के लिए असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को जिम्मेदार ठहराए जाने के दावे से भी जुड़ा है. आगे पढ़िए क्या है वायरल दावा और उसका पूरा सच:
चुनाव आयोग की तरफ से गुरुवार को जारी चुनाव परिणाम के मुताबिक कोई भी सीट ऐसी नहीं है जहां जीत-हार का अंतर 200 या उससे कम रहा हो.
हार जीत का सबसे कम अंतर धामपुर सीट पर रहा जहां बीजेपी प्रत्याशी अशोक कुमार राणा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी एसपी उम्मीदवार नईम उल हसन को मात्र 203 मतों से हराया. इसके अलावा कुर्सी सीट से बीजेपी प्रत्याशी साकेंद्र वर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी एसपी के राकेश वर्मा को महज 217 मतों से पराजित किया.
बीजेपी के 23 सीटों पर 500 वोटों से कम के अंतर से जीत दर्ज करने के सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों के विपरीत चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी सिर्फ सात सीटों बड़ौत, बिलासपुर, धामपुर, कटरा, कुर्सी, नकुड और नेहटौर सीटों पर ही 500 से कम वोटों से जीती है.
चुनाव के नतीजों में समाजवादी पार्टी (एसपी) को 27 सीटों पर 5000 से कम वोटों से पराजय मिली, जबकि उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को तीन सीटों पर नजदीकी अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
सोशल मीडिया पर वायरल संदेशों में इन सीटों पर एसपी की हार के लिए एआईएमआईएम को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन इन 30 में से 22 सीटों पर उसने अपना प्रत्याशी ही नहीं खड़ा किया था.
लिहाजा इन सीटों पर एसपी गठबंधन की पराजय के लिए ओवैसी की पार्टी के जिम्मेदार होने का दावा भी सच नहीं है.
हालांकि, एसपी गठबंधन की पराजय वाली जिन आठ सीटों पर एआईएमआईएम ने अपने उम्मीदवार खड़े किए उनमें से औराई, कुर्सी, मुरादाबाद नगर, नकुड, शाहगंज, बिजनौर और सुल्तानपुर में उसके उम्मीदवारों को मिले वोट हार-जीत के अंतर से ज्यादा है.
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपडेट आंकड़ों के मुताबिक, कुल 52 सीटें ऐसी रहीं, जहां हार-जीत का अंतर 5,000 या उससे कम का रहा.
एसपी को अलीगंज, औराई, बहराइच, बदलापुर, भोगांव, छिबरामऊ, इटावा, फरीदपुर, जलालाबाद, बिंदकी, जलेसर, कटरा, मधुबन, मानिकपुर, मड़ियाहूं, मोहम्मदी, मुरादाबाद नगर, नकुड़, फूलपुर, सलोन, शाहगंज, श्रावस्ती, सीतापुर, सुल्तानपुर और तिर्वा सीटों पर 5000 से कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा. इनमें से सात सीटों पर हार का अंतर 1000 से भी कम था.
उधर, एसपी के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को बड़ौत सीट 315 मतों से, नेहटौर सीट 258 मतों से और बिजनौर सीट 1445 मतों से गंवानी पड़ी.
बीजेपी की बात करें तो उसे 19 सीटों पर 5000 से कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा. चांदपुर सीट से बीजेपी उम्मीदवार कमलेश सैनी को एसपी उम्मीदवार स्वामी ओमवेश ने मात्र 234 मतों से हराया. वहीं, बीजेपी को रामनगर सीट केवल 261 और इसौली सीट मात्र 269 मतों के अंतर से गंवानी पड़ी.
इसके अलावा बीजेपी को बस्ती सदर, भदोही, बहेड़ी, बिसौली, दिबियापुर, इसौली, डुमरियागंज, गाजीपुर, इटवा, जसराना, किठौर, मेजा, पटियाली, फरेंदा, रानीगंज, सरेनी और जैदपुर सीटों पर 5000 से कम वोटों से पराजय मिली. इनमें से छह सीटें ऐसी हैं जहां पर बीजेपी को 1000 से भी कम मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी को हंडिया सीट से एसपी के हाथों 3543 मतों से और कालपी सीट से एसपी के ही खिलाफ 2816 वोटों से पराजय का सामना करना पड़ा.
बीजेपी के एक अन्य सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) के प्रत्याशी को बछरावां सीट से एसपी उम्मीदवार ने 2812 मतों से पराजित किया.
उत्तर प्रदेश विधानसभा के सात चरणों में हुए चुनाव के परिणाम गुरुवार को घोषित किए गए. इनमें बीजेपी ने एक बार फिर पूर्ण बहुमत हासिल किया. उसे कुल 255 सीटें हासिल हुईं, जबकि उसके सहयोगी दलों अपना दल (सोनेलाल) को 12 और निषाद पार्टी को छह सीटों पर जीत मिली.
समाजवादी पार्टी को 111 सीटें मिलीं, जबकि उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को आठ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को छह सीटों पर कामयाबी मिली. कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को दो-दो और बहुजन समाज पार्टी को एक सीट मिली.
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