स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल से दारा सिंह चौहान ने भी इस्तीफा दे दिया है. राज्यपाल को भेजे लेटर में दारा सिंह ने पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों की उपेक्षा का आरोप लगाया है.
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उन्होंने लेटर में लिखा, “योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में वन, पर्यावरण और जंतु उद्यान मंत्री के रूप में मैंने पूरे मनोयोग से अपने विभाग में बेहतरी के लिए कार्य किया, लेकिन सरकार के पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोगजार नौजवानों की (ओर) घोर उपेक्षात्मक रवैये के साथ-साथ पिछड़ों और दलितों के आरक्षण के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है, उससे आहत होकर मैं उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं.”
इस्तीफे के बाद दारा सिंह चौहान ने कहा, “बीजेपी ने दलितों-पिछड़े समुदायों के समर्थन से सरकार बनाई, लेकिन उनकी अच्छी तरह से सेवा नहीं की, इसलिए मैंने अपना इस्तीफा दे दिया. मेरा अगला कदम अपने समाज के साथ बैठक कर चर्चा करना होगा, इसके बाद मैं भविष्य के लिए कदम उठाऊंगा.”
इस बीच, समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा है, “सामाजिक न्याय’ के संघर्ष के अनवरत सेनानी श्री दारा सिंह चौहान जी का एसपी में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! एसपी और उसके सहयोगी दल एकजुट होकर समता-समानता के आंदोलन को चरम पर ले जाएँगे… भेदभाव मिटाएँगे! ये हमारा समेकित संकल्प है! सबको सम्मान ~ सबको स्थान!”
इस्तीफे पर आई केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिक्रिया
दारा सिंह के इस्तीफे पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा, “परिवार का कोई सदस्य भटक जाये तो दुख होता है जाने वाले आदरणीय महानुभावों को मैं बस यही आग्रह करूँगा कि डूबती हुई नांव पर सवार होनें से नुकसान उनका ही होगा बड़े भाई श्री दारा सिंह जी आप अपने फैसले पर पुनर्विचार करिये.”
बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 11 जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था.
राज्यपाल को संबोधित त्यागपत्र में मौर्य ने लिखा था, ‘‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में श्रम, सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहते हुए पूरे मनोयोग से उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है. दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों और छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों के प्रति घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं.’’
बाद में मौर्य ने कहा, ‘‘मेरे इस्तीफे का असर 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद नजर आएगा.’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘उत्तर प्रदेश की राजनीति स्वामी प्रसाद मौर्य के चारों ओर घूमती है. जिन नेताओं को घमंड है कि वो बहुत बड़े तोप हैं, तो 2022 के चुनाव में मैं ऐसा दागूंगा, ऐसा दागूंगा कि भाजपा के नेता स्वाहा हो जाएंगे.”
UP चुनाव 2022: तो क्या स्वामी प्रसाद मौर्य होंगे समाजवादी पार्टी के गैर यादव ओबीसी चेहरा?
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