‘चीनी का कटोरा’ कहे जाने वाले लखीमपुर खीरी जिले के गन्ना किसान विधानसभा चुनाव में किसी दल को समर्थन देने को लेकर अजब पसोपेश में हैं. सभी राजनीतिक दलों से निराश किसानों का सवाल है कि वह चुनाव में आखिर किसी को वोट क्यों दें.
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तराई पट्टी में स्थित लखीमपुर खीरी जिले के गन्ना किसानों के मन में नए कृषि कानून लाए जाने की पीड़ा है. उनका कहना है कि वे ये कानून लाने वाली भाजपा और अपने पिछले शासनकाल में बकाया गन्ना मूल्य पर देय दो हजार करोड़ रुपए का ब्याज माफ करने वाली सपा दोनों से ही नाराज हैं. अगर वोट देना बहुत जरूरी हुआ तो वह ‘नोटा’ (इनमें से कोई नहीं) का विकल्प चुनेंगे.
जिले की पलिया तहसील स्थित मरौचा गांव के किसान जगपाल ढिल्लों ने गन्ना किसानों के मुद्दे पर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि चाहे भाजपा हो, सपा हो या फिर बसपा और कांग्रेस ही क्यों ना हो, किसी ने भी गन्ना किसानों के मुख्य मुद्दों को सुलझाने के लिए कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
उन्होंने कहा, “हमें सब झुनझुना देते हैं. हमें प्रोडक्ट की तरह इस्तेमाल किया जाता है और चुनाव में पार्टियां हमें हिंदू-मुस्लिम में बांट कर राज करती हैं. हमें किसी पार्टी से कोई उम्मीद नहीं है. नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को लेकर किसानों में नाराजगी है और पिछली तीन अक्टूबर को तिकोनिया कांड ने इसे एक तूफान का रूप दे दिया है. भाजपा को चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.”
पिछली तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया गांव में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष को मुख्य अभियुक्त के तौर पर गिरफ्तार किया गया है.
इस सवाल पर कि चुनाव में किसे समर्थन देंगे जगपाल ने कहा, “हमारे सामने तो अजीब स्थिति है. एक तरफ कुआं है तो दूसरी तरफ खाई. हम किसे चुनें. दोनों ही सूरत में हार हमारी ही है. सोचते हैं कि नोटा का बटन दबा दें.”
पलिया के 45 एकड़ क्षेत्र में अपने दो भाइयों के साथ खेती करने वाले केवल सिंह का कहना है, “अखिलेश ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में बकाया गन्ना मूल्य पर 2,000 करोड़ रुपये का वह ब्याज माफ कर दिया जो किसानों को मिलने वाला था. किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा करने वाली भाजपा के राज में तो किसानों की हालत और भी खराब हो गई.”
गौरतलब है कि बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान 14 दिन के अंदर नहीं करने की स्थिति में गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के प्रावधान के तहत चीनी मिलों को 15% की दर से किसानों को ब्याज चुकाना होता है. अखिलेश ने अपने पिछले कार्यकाल में इस ब्याज की करीब 2,000 करोड़ रुपये की राशि माफ कर दी थी.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन का चुनाव में क्या असर होगा, इस बारे में केवल सिंह ने कहा, “किसान अपने दिल में इस पीड़ा को लेकर बैठे हैं. देखिए यह किस रूप में बाहर निकलती है.”
विधानसभा चुनाव में किसे समर्थन करेंगे इस सवाल पर सिंह ने कहा, “हमें ना तो भाजपा से कोई उम्मीद है और ना ही सपा से. बाकी पार्टियों का कोई मतलब नहीं है. हम किसी को वोट क्यों दें. बड़ी संख्या में किसान यह मन बनाए हुए हैं कि वह किसी को वोट नहीं देंगे. बहुत जरूरी हुआ तो नोटा का बटन दबा देंगे.”
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के मुखिया किसान नेता वीएम सिंह ने आरोप लगाया कि सपा ने बकाया गन्ना मूल्य पर ब्याज की राशि माफ कर किसानों के साथ छल किया. उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के साथ और भी बड़ा धोखा किया.
उन्होंने आरोप लगाया, “सपा-राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन और भाजपा किसानों को बेवकूफ बना रहे हैं. हम चुनाव में इन दोनों में से किसी को भी मजबूत क्यों करें.”
लखीमपुर खीरी जिले में करीब 75% किसान गन्ने की खेती करते हैं. यहां सहकारी और निजी क्षेत्र की कुल नौ चीनी मिलें है जिनमें करीब 15 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की जाती है.
लखीमपुर खीरी जिले के गोला स्थित बजाज चीनी मिल में गन्ना आपूर्ति करने वाले किसान नेता अंजनी दीक्षित बकाया गन्ना मूल्य का मुद्दा उठाते हुए कहते हैं कि जिले की चीनी मिलों ने पिछले साल छह फरवरी तक का भुगतान किया था. इस साल अभी तक चीनी मिलों ने कोई भी धन नहीं चुकाया है. इस वक्त सारा गन्ना उधार जा रहा है.
दीक्षित ने आरोप लगाया, “पूर्ववर्ती सपा सरकार ने भी किसानों का ध्यान नहीं दिया. आज अखिलेश यादव अन्न हाथ में लेकर कहते हैं कि हम किसानों के साथ हैं लेकिन उन्होंने भी किसानों का भुगतान नहीं कराया. उसके बाद मोदी जी आए. उन्होंने भी कहा कि हम किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान कराएंगे लेकिन उनकी पार्टी की सरकार के भी पांच साल गुजर गए मगर गन्ना किसानों की समस्याएं जस की तस बनी रहीं.”
उन्होंने कहा, “बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं होने से किसान कर्ज के दलदल में फंस गया है. उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी नहीं हो पा रही है. हमारे लिए सिर्फ अदालतों का ही सहारा रह गया है. समझ में नहीं आ रहा है कि हम वोट किसे दें.”
सहकारी गन्ना विकास समिति लिमिटेड पलिया कलां के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के 44 जिलो में गन्ने की खेती होती है. प्रदेश में निगम और सहकारी क्षेत्र की 20 चीनी मिलें और 22 निजी चीनी मिले हैं. इन चीनी मिलों पर पिछले साल का 4000 करोड़ और इस साल का लगभग 8000 करोड़ रुपये बकाया है.
लखीमपुर खीरी जिले की आठ विधानसभा सीटों पर चौथे चरण में आगामी 23 फरवरी को मतदान होगा.
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