क्या शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दरगाह जाकर चढ़ाई हरी चादर? वायरल तस्वीर का सच कुछ और
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. वायरल तस्वीर को लेकर यह दावा किया जा रह है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अजमेर शरीफ का दौरा किया था और वह राममंदिर में जाने से कतरा रहे हैं
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Swami Avimukteshwaranand News: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. इसको लेकर देश भर में उत्साह का माहौल बना हुआ है. मगर ज्योतिर्मठ के वर्तमान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इनकार कर दिया है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि वह उद्घाटन कार्यक्रम में इसलिए शामिल नहीं हो पाएंगे क्योंकि मंदिर का निर्माण अभी अधूरा है और यह धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ होगा.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के इस ऐलान के बाद विवाद पनप गया है. विवाद के बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. वायरल तस्वीर को लेकर यह दावा किया जा रह है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अजमेर शरीफ का दौरा कर वहां हरी चादर चढ़ाई और अब वह राममंदिर में जाने से कतरा रहे हैं. इसे हिंदू बनाम मुस्लिम का रंग देने की कोशिश की जा रही है. इस दावे की हकीकत जानने के लिए यूपी Tak ने इसका फैक्ट चेक किया. जानें हमारी पड़ताल में क्या सच्चाई निकलकर आई.
पहले जानिए क्या है दावा?
विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह दावा किया जा रहा है कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अजमेर शरीफ का दौरा किया था. मगर वह राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इनकार कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक तबका शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को एंटी हिंदू साबित करने की कोशिश में लगा हुआ है.
धोडाला नामक X (पूर्व में ट्विटर) यूजर ने कहा, “ये हैं आपके तथाकथित हिंदू सम्राट…ये वही लोग हैं जिनके हम हिंदू सैकड़ों वर्षों तक गुलाम रहे और आज भी हिंदू विरोधी पार्टियों को वोट देते हैं. अच्छा है कि ये 22 जनवरी को राम लला के दर्शन नहीं कर रहे हैं.”
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This is your so called Hindu Samrats …
These are the people we Hindus were slaves for 100s of years and vote Anti Hindu parties even today
Good they aren’t attending Ram Lala on 22nd Jan #ramlalapranpratishtha pic.twitter.com/UjTmdJukKj
— SandYa (@DhooDala) January 13, 2024
ऋषि बगरी ने कहा, “ये यहां जा सकते हैं 🤲…लेकिन राम मंदिर नहीं जा सकते.”
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He can visit here 🤲
but can’t go to Ram Mandir 🛕 pic.twitter.com/HZBe1dnRrg— Rishi Bagree (@rishibagree) January 13, 2024
वहीं, मधुसुधन नामक यूजर ने कहा, “कालनेमियों की कमी थोड़े ही है हिंदुओं में. ये हैं शंकराचार्य जिन्हे मजार पे माथा रगड़ते शर्म नहीं आई. हिंदुओं को कटवाने और बंटवाने में इनका बड़ा योगदान रहा है. इन स्व घोषित स्वयंभू नीचों ने एक सम्मानजनक पदवी को इतना सस्ता और अपमानजनक पद बना दिया है. समझ सकते हैं क्यों हम गुलाम रहे.”
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कालनेमियों की कमी थोड़े ही है हिंदुओं में ये हैं शंकराचार्य जिन्हे मजार पे माथा रगड़ते शर्म नही आई।
हिंदुओं को कटवाने और बंटवाने में इनका बड़ा योगदान रहा है।
इन स्व घोषित स्वयंभू नीचोँ ने एक सम्मानजनक पदवी को इतना सस्ता और अपमानजनक पद बना दिया है
समझ सकते हैं क्यों हम गुलाम रहे। pic.twitter.com/D2E3IXj2jQ— 🇮🇳 मधुसुदन श्रीवास्तव🕉️ (@legendmusic193) January 13, 2024
क्या है सच्चाई?
वहीं, जब हमने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की इस तस्वीर का फैक्ट चेक करने के लिए रिवर्स गूगल का इस्तेमाल किया तो हम dfrac.org नामक वेबसाइट तक पहुंचे. इस वेबसाइट में ईमंच नामक फेसबुक पेज के हवाले से बताया है कि शंकराचार्य की यह तस्वीर 17 साल पुरानी है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने 2006 में ‘रामसेतु रक्षा मंच’ के बैनर तले दिल्ली में हुई एक रैली का नेतृत्व किया था.
ईमंच के अनुसार, “इस अवसर पर ब्रह्मलीन ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य पूज्यपाद स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती आदेशानुसार अविमुक्तेश्वरानंद ने 2006 में दिल्ली स्थित स्वामी रामानंद की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए थे.” बता दें कि ईमंच ने 17 जुलाई 2023 को उस तस्वीर के बारे में जानकारी साझा की थी, जब यह विवाद पनपा भी नहीं था.
अविमुक्तेश्वरानंद ने ये बताया
इसके अलावा, हमने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का X पेज भी खंगाला. यहां हमें एक वीडियो मिला जिसमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस तस्वीर को लेकर सफाई दी है. पत्रकार करन थापर को दिए इंटरव्यू में अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “अभी तक ऐसा संयोग बना नहीं है कि हम अजमेर शहर में ही जा सकें. जब हम अजमेर शहर ही नहीं गए तो अजमेर शरीफ कैसे जाएंगे. यह सब छवि को बिगाड़ने का तरीका है. हम अभी तक किसी भी दरगाह में नहीं गए हैं.”
तो फिर कहां गए थे अविमुक्तेश्वरानंद?
अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार, “रामदेव पीर नामक संत जिनके बारे में लोग जानते हैं…जब हम रामसेतु की रक्षा का आंदोलन चला रहे थे. उस समय अरविंद स्वामी नामक के व्यक्ति थे, वो हम लोगों के संपर्क में आए. उन्होंने हमारा सहयोग किया. बाद में उन्होंने कहा कि एक ही चीज इसके बदले में हम आपसे मांगना चाहते हैं कि सब लोग हमारे आश्रम में आइए. उन्होंने दिल्ली में एक आश्रम बना रखा है और रामदेव पीर की समाधि का प्रतिरूप बनाकर के उसमें पूजा आरती करते हैं वो. वहां वो हमको ले गए थे. पूरी के शंकराचार्य महाराज भी गए थे. वहीं का वो चित्र है.” इसके साथ ही X पर अविमुक्तेश्वरानंद ने अपील करते हुए कहा यह तस्वीर फेक न्यूज है. और बिना बिना सही जानकारी के साझा न करें.
#fakenews बिना सही जानकारी के साझा न करें pic.twitter.com/dl9uGPb3uw
— 1008.Guru (@jyotirmathah) January 16, 2024
बता दें कि यूपी Tak की पड़ताल में वो दावा गलत पाया गया है जिसमें कहा जा रहा है कि अविमुक्तेश्वरानंद अजमेर शरीफ में गए थे. इसका मतलब साफ है कि जिस दावे के साथ अविमुक्तेश्वरानंद की सोशल मीडिया पर तस्वीर वायरल हो रही है, वो गलत है.
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