रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव घर-घर में मनाया जाएगा, RSS में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी

शिल्पी सेन

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अगले साल जनवरी में राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को घर-घर में ‘उत्सव’ बनाएगा. हिंदू धर्म और राष्ट्र के आराध्य राम की जन्मभूमि पर बन रहे विशाल मंदिर से जन-जन को जोड़ने के लिए इसका खाका तैयार किया गया है.

राम मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वाले विश्व हिंदू परिषद को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. पूरे देश न सिर्फ राममय माहौल बनाया जाएगा, बल्कि हिंदुत्व के अन्य मुद्दों को उठाकर जन जागरण किया जाएगा. इसके अलावा संघ में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर भी सभी आनुषंगिक संगठन काम करेंगे. उनको संघ के आयोजनों में ज्यादा से ज्यादा अवसर दिया जाएगा.

लखनऊ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समन्वय बैठक में आगे के रोड मैप पर चर्चा की गई. संघ के शीर्ष पदाधिकारियों की मौजूदगी में होने वाली बैठक बेहद अहम है. बैठक में न सिर्फ संघ ने अपने आनुषंगिक संगठनों से उनकी कार्य प्रगति पर चर्चा की, बल्कि उनको टास्क भी सौंपा है.

संघ के शताब्दी वर्ष के मुख्य समारोह से पहले जो योजनाओं का खाका तैयार किया है. इसमें कई महत्वपूर्ण बातें हैं. संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने मार्गदर्शन किया और सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार ने संगठनों को टिप्स दिए.

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संघ के शताब्दी वर्ष को देखते हुए सभी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ सभी विषयों पर चर्चा की गई. इसके अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के साथ भी अलग से चर्चा की गई.

संघ की समन्वय बैठक में इस बात पर मुहर लगी कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव घर घर में पहुंचाने की योजना पर सभी काम करेंगे. इसके लिए ‘आनंद उत्सव’ मनाया जाएगा. विश्व हिंदू परिषद को प्रमुख रूप से इसकी जिम्मेदारी दी गई है. पर सभी संगठन अपने अपने स्तर पर इसमें सहयोग करेंगे.’आनंद उत्सव’ को सफल बनाने में पूरा संघ परिवार जुटेगा. विश्व हिंदू परिषद की हाल ही में अयोध्या में हुई बैठक में इसको लेकर योजना तैयार की गई थी. इस बैठक में उस पर मुहर लगी और व्यापक चर्चा हुई.

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले पूरे देश में राम पर आयोजन होंगे. 30 सितंबर से 15 अक्टूबर तक विहिप पूरे देश में शौर्य यात्राएं निकालेगी. वहीं प्राण प्रतिष्ठा के दिन देश भर के मंदिरों में राम के नाम पर आयोजन हो इसके लिए गांव-गांव में लोगों को जोड़ा जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन देश भर में सनातनी अपने घर के दीये जलाएं, ये भी अपील की जाएगी.

देखा जाए तो सीधे तौर पर विश्व हिंदू परिषद और विशेष कर बजरंग दल इसका आयोजन की जिम्मेदारी सम्भलेगा, लेकिन पूरे संघ परिवार के सभी आनुषांगिक संगठनों को इसमें जुटने के लिए कहा गया है. देश भर के लोग प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखें इसके लिए भी लोगों को जोड़ा जाएगा. संघ परिवार इस दौरान धर्मांतरण, जिहाद जैसे हिंदुत्व के मुद्दों को भी उठाएगा. ये सभी मुद्दे संघ के कोर विषयों में शामिल रहे हैं.

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अनुषांगिक संगठनों में महिलाओं की बढ़ेगी भागीदारी

संघ की समन्वय बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि संघ के अनुषांगिक संगठनों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जाए. राष्ट्र सेविका समिति के पदाधिकारी भी इस बैठक में मौजूद थीं. इसके दो तरीकों पर चर्चा हुई. आनुषांगिक संगठनों में महिलाओं की संख्या और उनका स्थान बढ़ाया जाए.

साथ ही संघ के मुख्य कार्यक्रमों (शाखा को छोड़कर) में भी महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए. अभी राष्ट्र सेविका समिति द्वारा आयोजित और इससे जुड़े कार्यक्रमों में ही महिलाओं की भूमिका होती है. संघ के संगठनों में महिलाओं की संख्या हाल के समय में बढ़ी है. इस पर भी चर्चा समन्वय बैठक में की गई कि आगे इसको और बढ़ाया जाए. ये संयोग ही है कि सरकार के महिला आरक्षण बिल को पेश करने के दिन संघ के शीर्ष पदाधिकारियों ने इस पर चर्चा की.

अहम हैं ये निर्णय

दरअसल, संघ ने भले ही अपने संगठनों को लेकर ये फैसला किया हो, पर संघ के शताब्दी वर्ष से पहले अगर संघ इन पर अमल करता है तो निश्चित रूप से बीजेपी के लिए 2024 से पहले सियासी जमीन पर हिंदू और समान विचारधारा के चुनावी ‘पिच’ तैयार होगी. जन-जन तक पहुंचने के क्रम में बीजेपी के लिए मतों को भी मोड़ा जा सकेगा.

हालांकि, हमेशा की तरह संघ इसको अपने संगठनों के साथ रूटीन बैठक और कार्ययोजना बता रहा है, लेकिन इतना तय है कि चुनावी साल से पहले ये फैसले सियासी दृष्टि से बेहद अहम साबित हो सकते हैं. मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में भी समन्वय को लेकर बात की. इसमें चुनाव के लिए पूरी तरह जुटने पर चर्चा हुई.

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