हमारी टीम को संभल जामा मस्जिद में जाने नहीं दिया गया और अब काफी कुछ बिगड़ा…ASI का बड़ा खुलासा

संजय शर्मा

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ASI On Sambhal Jama Masjid
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UP News: संभल जामा मस्जिद इस समय चर्चाओं में हैं. दरअसल हिंदू पक्ष ने इस मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा किया है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल काल में यहां मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी. मस्जिद के सर्वे के दौरान संभल में बीते दिनों जबरदस्त हिंसा भी देखने को मिली थी. अब संभल की जामा मस्जिद को लेकर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण यानी ASI ने कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया है और इस मस्जिद को लेकर कई अहम जानकारी दी है. 

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने कोर्ट में दाखिल किए अपने हलफनामे में कहा है कि उनकी टीम को भी इस मस्जिद में दाखिल नहीं होने दिया गया. ASI का कहना है कि उनके पास साल 1920 से ही इस संभल जामा मस्जिद के संरक्षण और रखरखाव का जिम्मा है. लेकिन काफी समय से उनकी टीम को मस्जिद में जाने से रोका गया.

‘मस्जिद में मनमाने निर्माण कार्य हुए’

ASI का कहना है कि मस्जिद में मनमाने तरीके से निर्माण कार्य किए गए हैं. उनकी टीम को काफी लंबे समय से मस्जिद के अंदर जाने से रोका जाता रहा है. ऐसे में अब मस्जिद का मौसूदा स्वरूप कैसा है, उसकी जानकारी ASI को नहीं है.
ASI का कहना है कि जब-जब भी मस्जिद की जांच करने उनकी टीम यहां आई, तब-तब स्थानीय लोगों ने आपत्तियां दर्ज कराई और अंदर जाने से रोक दिया गया. ऐसे में अंदर मनमाने तरीके से हुए निर्माण की उन्हें कोई जानकारी नहीं है.

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‘मस्जिद में हुए अवैध निर्माण’

अपने हलफनामे में ASI ने कहा, हमारी टीम ने साल 1998 में इस स्मारक यानी मस्जिद का दौरा किया था. सबसे आखिरी बार इस साल यानी जून में एएसआई अधिकारियों की टीम स्थानीय प्रशासन और पुलिस के सहयोग से मस्जिद मे दाखिल हो पाई थी. उस समय भी उन्होंने मस्जिद की इमारत में कुछ अतिरिक्त निर्माण कार्य देखे थे. ये प्राचीन इमारतों और पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 के प्रावधानों का सरासर उल्लंघन था. 

ASI ने आगे कहा, हम जब भी मस्जिद का दौरा करने जाते, स्थानीय भीड़ हमारा विरोध करती और हमारे खिलाफ पुलिस में शिकायत भी करती. ऐसे में हमारी तरफ से अवैध निर्माण करने के ज़िम्मेदारों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था. 

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मस्जिद के अंदर हुए अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं हो पाई

ASI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुख्य मस्जिद की इमारत की सीढ़ियों के दोनों तरफ स्टील की रेलिंग लगी है. 19.01.2018 को इस अवैध स्टील रेलिंग के नव-निर्माण के संदर्भ में आगरा मंडल द्वारा थाना कोतवाली संभल में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. इसके बाद 23 जनवरी 2018 को अधीक्षण पुरातत्वविद  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा मण्डल द्वारा अध्यक्ष, जामा मस्जिद कमेटी संभल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. कुछ दिनों बाद 16 फरवरी 2018 को आगरा मंडल के अपर आयुक्त प्रशासन ने संभल के जिलाधिकारी को उपरोक्त स्टील रेलिंग को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था. मगर उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई और कोई एक्शन नहीं लिया गया.

‘मस्जिद का पुराने फर्श को दबाया गया’

ASI ने रिपोर्ट में कहा, मस्जिद के केंद्र में एक हौज है, जो कि मुस्लिम धर्म में नमाजियों द्वारा उपयोग में लाया जाता है. इसका भी पत्थर आदि लगाकर नवीनीकरण कर दिया गया है. मुख्य द्वार से मस्जिद के भीतर आते ही धरातल पर लाल बलुआ पत्थर, संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थर का प्रयोग कर नई फ्लोरिंग कर दी गई है. इससे पुराने पत्थर का मूल फर्श दब गया है.

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मस्जिद का वास्तविक स्वरूप हुआ नष्ट

वर्तमान समय में मस्जिद को पूरी तरह से मस्जिद कमेटी ने इनेमल पेंट की कई मोटी परतों में पेंट कर दिया गया है. मूल पत्थर के निर्माण पर प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया गया है. इससे मस्जिद का वास्तविक स्वरूप नष्ट हो गया है. मस्जिद में मुख्य हॉल के गुंबद से लोहे की चेन से वर्तमान में कांच का एक झूमर लगाया गया है.

उल्लेखनीय है कि उपरोक्त लोहे की चेन का वर्णन A. Fuhrer ने अपनी पुस्तक "The Monumental Antiquities and Inscriptions, In The North-western Provinces And Oudh" में पृष्ठ संख्या 10 पर भी किया है. उसमें उस वक्त इस स्मारक के मूल निर्माण और स्थापत्य का जिक्र है. लेकिन अब पश्चिम की ओर दो चेम्बर यानी छोटे कमरेनुमा संरचना और मस्जिद के उत्तरी भाग में एक चेम्बर/छोटे कमरेनुमा संरचना में ही पुरानी छत के वास्तविक अवशेष दिखाई पड़ते है. उपरोक्त कक्ष आमतौर पर बंद ही रहते हैं. 

1875-76 के आरेख यानी रेखा चित्र से तुलना करने पर मस्जिद की मुख्य संरचना के सामने के हिस्से में कमाननुमा संरचना  मस्जिद के ऊपरी भाग में दिखती है. इसी के साथ मस्जिद के छज्जों, बुर्जों और मीनार आदि का निर्माण बाद के समय में किया गया है.  मुख्य इमारत वाली मस्जिद में सीढ़ियां दक्षिण दिशा में बनी है. टीले पर बनी इस इमारत के ऊपरी हिस्से में परकोटा यानी दुर्ग भी बना है. मस्जिद के पार्श्व भाग में भूतल पर पुराने कमरे बने थे. उस प्राचीन निर्माण को दुकानों का स्वरूप देकर मस्जिद कमेटी ने किराए पर उठा रखा है.

ASI ने इस रिपोर्ट में लिखा है कि वर्तमान में केन्द्रीय संरक्षित स्मारक की मूल संरचना के कई स्थानों को मनमाने तरीके से निर्माण करके बिगाड़ दिया गया है. मस्जिद के मुख्य भाग के आंतरिक हिस्से में चटकीले भड़कीले रंगों का प्रयोग काफी किया गया है. ऐसे में अब केंद्रीय संरक्षित स्मारक यानी संभल जामा मस्जिद का स्वरूप बहुत हद तक बिगड़ चुका है.
 

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