लखनऊ जेल में बांटे गए पुरस्कार! यूपी के बंदियों को भी मिला प्रतिष्ठित तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड
मानवाधिकार दिवस पर तिनका तिनका फाउंडेशन ने यूपी जेलों के कर्मचारियों और कैदियों को 10वें तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स से सम्मानित किया. इस आयोजन में विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कार दिए गए.
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Tinka Tinka India Awards: मानवाधिकार दिवस के अवसर पर लखनऊ की जेल में तिनका तिनका फाउंडेशन और उत्तर प्रदेश जेल प्रशासन ने जेल कर्मचारियों और कैदियों के योगदान और प्रतिभा को सम्मानित करते हुए 10वें तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स का आयोजन किया. इस विशेष अवसर पर 23 कैदियों और 3 जेल कर्मचारियों को उनके असाधारण कार्यों के लिए पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि जेल जीवन में केवल दंड नहीं होता, बल्कि यहां सुधार और पुनर्वास के कई अवसर भी मौजूद हैं. कैदी अपनी छुपी हुई प्रतिभाओं को उजागर कर सकते हैं.
कौन था मुख्य अतिथि?
मुख्य अतिथि के रूप में मनोज कुमार सिंह, आईएएस, मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश, ने पुरस्कार वितरण समारोह की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि जेलों को आमतौर पर समाज से अलग-थलग माना जाता है, लेकिन तिनका तिनका फाउंडेशन जैसे गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से सुधार की दिशा में नए विचार सामने आ रहे हैं. उनके मुताबिक, ये पुरस्कार न केवल कैदियों की कला और सेवा को पहचानते हैं, बल्कि यह समाज में सुधार की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं.
उत्तर प्रदेश के जेल महानिदेशक श्री पीवी रामसास्त्री, आईपीएस ने भी इस अवसर पर कई महत्वपूर्ण घोषणाओं की. उन्होंने तिनका तिनका फाउंडेशन के सहयोग से उत्तर प्रदेश की जेलों में पॉडकास्ट लॉन्च करने और विभिन्न जेलों में 'तिनका जेल लाइब्रेरी' की स्थापना की घोषणा की. यह कदम जेलों के भीतर शिक्षा और सुधार की प्रक्रिया को और प्रोत्साहित करेगा.
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पेंटिंग श्रेणी के ये हैं विजेता
इस बार तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स में पेंटिंग श्रेणी में 'जेल में मुलाकात' थीम पर विभिन्न कैदियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. प्रथम पुरस्कार वसंत भाई करसनभाई चौहान को मिला, जिनकी पेंटिंग 'मुलाकात की स्टोरीलाइन' ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. वसंत जेल की कैंटीन में काम करते हैं, और अब उन्हें पेंटिंग सेक्शन में स्थानांतरित किया गया है, ताकि उनकी कला को और अधिक प्रोत्साहन मिले.
दूसरा पुरस्कार तिहाड़ जेल-6 की कैदी गायत्री देवरी को मिला, जिन्होंने अपनी पेंटिंग में जेल में मुलाकात के अलग-अलग पहलुओं को प्रदर्शित किया. तीसरे पुरस्कार से सम्मानित हुए आनंद सिंह, जो लखनऊ जेल में विचाराधीन कैदी हैं.
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साथ ही, इस साल 13 बंदियों को पेंटिंग श्रेणी में सांत्वना पुरस्कार भी मिला. इन विजेताओं में 9 पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं, जो विभिन्न जेलों से थे. उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के कैदियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया और पुरस्कार प्राप्त किए.
स्पेशल मेंशन अवॉर्ड्स और अन्य पहल
स्पेशल मेंशन अवॉर्ड उन कैदियों को दिया जाता है जिन्होंने जेल में असाधारण योगदान दिया है. इस बार गुजरात की अहमदाबाद केंद्रीय जेल के प्रजापति हार्दिक राजेंद्रभाई को यह पुरस्कार मिला. उन्होंने कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा के लिए 100 से अधिक कैदियों को शिक्षित किया. इसके अलावा, हरियाणा के करनाल जिला जेल के अशोक कुमार को भी यह पुरस्कार मिला, जिन्होंने अशिक्षित कैदियों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया.
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महाराष्ट्र के पुणे स्थित यरवडा ओपन जिला जेल के महेश शमराव पवार को उनके असाधारण चिकित्सा योगदान के लिए सम्मानित किया गया. उन्होंने जेल में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया और COVID-19 महामारी के दौरान अपनी निस्वार्थ सेवा जारी रखी.
उत्तर प्रदेश के आगरा जिला जेल के विचाराधीन कैदी भरत खरे को उनके हस्तकला कौशल सिखाने के लिए सम्मानित किया गया. उनके प्रयासों से अन्य कैदी भी अपने परिवारों का पालन-पोषण कर पा रहे हैं.
तिनका तिनका बंदिनी अवॉर्ड: महिला कैदियों का सम्मान
इस वर्ष तिनका तिनका बंदिनी अवॉर्ड की श्रेणी में भी महिला कैदियों को सम्मानित किया गया. दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश की महिला कैदियों को उनके जेल जीवन में योगदान के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया. दिल्ली की तिहाड़ जेल की कैदी मॉरीन क्यान्यांगा को यह पुरस्कार उनके सहानुभूति और अवसाद से जूझ रहे अन्य कैदियों को मानसिक शांति देने के लिए दिया गया.
पंजाब की सोनिया और उत्तर प्रदेश की रंजना को भी तिनका तिनका बंदिनी अवॉर्ड से नवाजा गया. रंजना ने अपनी चिकनकारी कढ़ाई कला से अन्य महिला कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
जेल प्रशासकों को मिला सम्मान
इसके साथ ही, इस वर्ष 3 जेल प्रशासकों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया. इनमें अलीगढ़ जेल के वरिष्ठ अधीक्षक बृजेंद्र सिंह, दिल्ली जेल विभाग की रमन शर्मा, और छत्तीसगढ़ की रायपुर केंद्रीय जेल की सफीना हसन शामिल हैं. इन जेल प्रशासकों ने कैदियों के सुधार, उनके कौशल विकास और अन्य समृद्ध पहलें शुरू की हैं.
तिनका तिनका फाउंडेशन के बारे में जानिए
जेल सुधार और कैदियों के पुनर्वास के लिए काम कर रहे तिनका तिनका फाउंडेशन ने इस वर्ष पॉडकास्ट और जेल रेडियो जैसे नए प्रयासों की शुरुआत की है. 2021 में फाउंडेशन ने भारत की पहली व्यवस्थित जेल रेडियो की परिकल्पना और क्रियान्वयन किया, जो अब देशभर में प्रभावी रूप से कार्य कर रहा है. इसके अलावा, फाउंडेशन ने जेलों में लाइब्रेरी स्थापित करने का कार्य भी शुरू किया है, जिससे कैदियों को शिक्षा के अधिक अवसर मिल रहे हैं.
कुल मिलाकर, तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स ने यह साबित किया कि जेलों में बंद कैदी सिर्फ अपराधी नहीं, बल्कि प्रतिभाशाली और समाज में योगदान देने वाले लोग भी हो सकते हैं. इन पुरस्कारों ने उनके प्रयासों को समाज के सामने लाकर उन्हें पहचान दिलाई है, जो निश्चित रूप से उनके सुधार और पुनर्वास के रास्ते को और उज्जवल बनाएगा.
कौन हैं तिनका तिनका की संस्थापक वर्तिका नन्दा?
डॉ. वर्तिका नन्दा एक प्रसिद्ध जेल सुधारक और मीडिया शिक्षिका हैं, जिन्होंने इस शोध का नेतृत्व किया. वे Tinka Tinka Foundation की संस्थापक हैं, जो जेल सुधार के विभिन्न पहलुओं पर काम करती है. 'तिनका तिनका' ने कई राज्यों में जेल रेडियो की शुरुआत की है. डॉ. वर्तिका नन्दा के काम को व्यापक रूप से सराहा गया है, जिसके लिए उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. डॉ. नन्दा का नाम Limca Book of Records में भी दो बार दर्ज किया गया है.
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