ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित लड़की की चली गई थी आंखों की रोशनी, ऑपरेशन के बाद मिली नई जिंदगी
बहराइच जिले में सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. अनुरोध पटेल ने बेहद कठिन ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन कर इस क्षेत्रों के लोगों में इस रोग…
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बहराइच जिले में सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. अनुरोध पटेल ने बेहद कठिन ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन कर इस क्षेत्रों के लोगों में इस रोग से जुड़ी तमाम भ्रांतियों को न केवल दूर किया है, बल्कि न्यूरो से जुड़ी असाध्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों में आशा की किरण पैदा कर दी है.
बहराइच जिले के रूपईडीहा क्षेत्र के गांव गोकुलपुर की 19 वर्षीय सावित्री देवी को सिर में दर्द बना रहता था. कुछ दिन बाद यह दर्द इतना बढ़ा कि सावित्री का दिन का सुकून और चैन दोनों गायब हो गया.
सावित्री ने इस बीमारी को लेकर कई सारे डाक्टरों की दवा की, लेकिन उसे कहीं से कोई भी राहत नहीं मिली. उसकी यह समस्या और अधिक विकराल तब हो गई, जब सावित्री को दोनों आंखों से दिखना बंद हो गया. जिसके बाद उसने अपने ग्राम प्रधान प्रतिनिधि देशराज वर्मा के सहयोग से बहराइच के बिटाना और चंद्रावती अस्पताल के न्यूरो विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अनुरोध पटेल से मुलाकात कर अपनी बीमारी से अवगत कराया.
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सावित्री के लक्षणों को देखने के बाद डॉक्टर अनुरोध ने उन्हें एमआआई कराने की सलाह दी और जब एमआरआई रिपोर्ट उन्होंने देखी तो उन्होंने सावित्री को जो बताया उससे वह लगभग टूट सी गई, क्योंकि सावित्री को बीमारी ही ऐसी थी.
एमआरआई रिपोर्ट के मुताबिक, सावित्री के दिमाग (ब्रेन) के वेंट्रिकल भाग में एक ट्यूमर था, उसी के कारण सावित्री को लगातार सिर में दर्द बना रहता था और उसी ट्यूमर के चलते उसकी आंखों की रोशनी भी चली गई थी.
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बेहद गरीब परिवार से जुड़ी सावित्री के पास इतने पैसे भी नहीं थे, जिसके बूते वो अपने ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी करवा सके. वहीं, उसके रिश्तेदारों ने भी उसके परिजनों को उसकी जान का खतरा बताकर और अधिक डरा रखा था. कुछ ने तो यह भी कहा कि इसकी सर्जरी में इतना पैसा लगेगा जिसे सावित्री के घर वाले नहीं खर्च कर पाएंगे, लेकिन जब उनके ग्राम प्रधान प्रतिनिधि देशराज वर्मा ने उन्हें आर्थिक सहयोग का भरोसा दिया और कहा कि उन्ंहे डरने की जरूरत नहीं है. इस बीमारी का इलाज संभव है और उनके ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी डॉक्टर अनुरोध पटेल काफी कम खर्चे करेंगे और उनकी सर्जरी सफल भी होगी. इस भरोसे पर सावित्री का परिवार बहराइच में ही सर्जरी कराने के लिए तैयार हो गया.
अब सावित्री के जीवन के लिए बेहद कठिन दौर तब शुरू हुआ, जब उसे बहराइच के बिटाना और चंद्रावती अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में दिमाग के ऑपरेशन के लिए ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर अनुरोध के कड़े परिश्रम ने लगभग साढ़े छह घंटे चले. कठिन ब्रेन ऑपरेशन के बाद जब लोगों को बताया कि सावित्री का ब्रेन ऑपरेशन सफल हुआ तो घर के लोगों ने राहत की सांस ली.
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डॉक्टर अनुरोध के कारनामें के बाद घर के लोगों के आश्चर्य का ठिकाना तब नहीं रहा, जब ऑपरेशन के महज दस घंटे के भीतर सावित्री अपने बेड पर उठ कर बैठी और उसने मुस्कुराते हुए अपने घर वालों को पहचान लिया. उसने सबसे पहले अपनी नम आंखों से डॉक्टर अनुरोध से मिलने की इच्छा जाहिर की और जब डॉक्टर अनुरोध उससे मिलने पहुंचे तो अपनी आंखों में खुशी के आंसू भरकर अपनी भर्राई आवाज के साथ उसने हाथ जोड़कर डॉक्टर अनुरोध का अभिवादन किया और उसको नई जिंदगी देने के लिए उन्हें बार-बार धन्यवाद दिया. यह दृश्य वार्ड में मौजूद लोगों की आंखों को भी नम कर गया.
गौरतलब है कि भारत सरकार की नीति आयोग के पैरामीटर पर शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी जरूरतों से महरूम इंडो नेपाल बॉर्डर पर स्थित बहराइच जिले में चिकित्सा क्षेत्र की आधुनिक सुविधाओं की पूरी तरह की कमी है, जिसके चलते बहराइच समेत इसके सीमावर्ती अन्य जिलों और नेपाल के लोगों को किसी भी बड़ी बीमारी के लिए देश के अन्य क्षेत्रों में जाना पड़ता है.
बहराइच के मेडिकल कॉलेज समेत सभी बड़े अस्पतालों में किसी भी बड़े ऑपरेशन को संपन्न करने के लिए न तो संसाधन हैं और न ही बड़ी बीमारियों को ठीक करने वाले बेहद प्रशिक्षित डॉक्टर. ऐसे में डॉक्टर अनुरोध पटेल जो इसी बहराइच की माटी में पले-बढ़े और फिर पीजीआई चंडीगढ़ से अध्यन कर सर्जरी क्षेत्र की डिग्री एमसीएच को सफलतापूर्वक प्राप्त किया. उन्होंने बहराइच में सफलता पूर्वक ब्रेन सर्जरी कर न्यूरो समस्याओं से जूझ रहे लोगों में आशा की किरण जगा दी है.
डॉक्टर ने क्या कहा?
डॉक्टर अनुरोध पटेल बताते हैं कि ब्रेन ट्यूमर के मरीज को तेज सिर दर्द, उल्टी होना, शरीर के एक भाग में कमजोरी अथवा लकवा का मार जाना. आंखों की रोशनी का जाना और दिमागी कमजोरी जैसे लक्षण होते हैं. सही वक्त पर सही सलाह और मस्तिष्क की जांच से मरीज की जान बचाई जा सकती है. इस केस में भी यही था.
उन्होंने कहा कि सावित्री के सिर में भी भारी दर्द रहता था और उसकी आंखों की रोशनी जा चुकी थी. जब हमने उसका एमआरआई कराया तो उसकी पुष्टि हुई. लेकिन उसका ट्यूमर ब्रेन के बेहद जटिल भाग में था जिसे वेंट्रिकल कहा जाता है, इसलिए इसका ऑपरेशन बेहद रिस्की और चुनौतीपूर्ण था. हमें खुशी है कि हमारी महंत कामयाब साबित हुई और ये ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा. इस ऑपरेशन को पूरा करने में साढ़े छह घंटे से अधिक समय लगा.
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