मैनपुरी के दिव्यांग सूरज बने IAS, जानिए विकास दिव्यकीर्ति ने सफल होने में कैसे की उनकी मदद
‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है?’ इन पंक्तियों को मैनपुरी के…
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‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है?’ इन पंक्तियों को मैनपुरी के रहने वाले दिव्यांग सूरज तिवारी ने सार्थक कर दिखाया है. आपको बता दें कि UPSC-2022 के नतीजों में सूरज को 917वीं रैंक मिली है और इसी के साथ उनका IAS में सलेक्शन हो गया है. सूरज की कहानी ऐसी है कि जो उसे सुनेगा उसे खुद ब खुद प्रेरणा मिल जाएगी. दरअसल, 29 जनवरी 2017 को सूरज का रेल हादसा हुआ था, जिसके चलते उन्हें अपने 2 पैर और एक हाथ को खोना पड़ा था. मगर इसके बावजूद सूरज ने हार नहीं मानी और देश की सबसे कठिन माने जाने वाली परीक्षा में सफलता हासिल की. आपको बता दें कि सूरज ने अपनी सफलता का श्रेय दृष्टि IAS के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति को दिया है. सूरज के अनुसार, उन्होंने यूट्यूब पर विकास दिव्यकीर्ति के लेक्चर सुन नोट्स बनाए थे, जिनका फायदा उन्हें इंटरव्यू के दौरान मिला.
सूरज ने विकास दिव्यकीर्ति को दिया सफलता का श्रेय
विकास दिव्यकीर्ति के साथ मंच साझा करते हुए सूरज ने कहा, “सर मैंने आपको यूट्यूब से ही फॉलो किया. मैंने आपके एथिक्स के लेक्चर सुने. मैंने हिंदी और इंग्लिश के लेक्चर सुनकर नोट्स बनाए. इंटरव्यू में जाने से दो दिन पहले मैंने आपके एथिक्स के नोट्स रिवाइज किए थे. उनसे सवाल भी बने थे और शायद उन्हीं सवालों के जवाब की वजह से मैं यहां पर हूं.”
18-20 घंटे तक पढ़ाई करते थे सूरज
मिली जानकारी के अनुसार, UPSC की परीक्षा में सफलता पाने के लिए सूरज 18 से 20 घंटे तक पढ़ाई करते थे और उसमें भी सूरज ने ये सफलता बिना किसी कोचिंग के प्राप्त की है. सूरज एक माध्यम वर्गीय परिवार से हैं. इनके पिता राजेश तिवारी एक टेलर हैं और उनकी एक छोटी सी सिलाई की दुकान कुरावली में है.
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