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OBC-SC/ST आरक्षण को लेकर UP में क्यों मचा है बवाल? अनुप्रिया पटेल-संजय निषाद के BJP पर तेवर हाई

आयुष अग्रवाल

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UP Politics: लोकसभा चुनाव में हार के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा में बैठकों और समीक्षाओं का दौर जारी है. भाजपा यूपी में हार की वजह खोज रही है. इसी बीच एक लेटर ने यूपी की सियासत में भूचाल मचा कर रख दिया है. दरअसल ये पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब एनडीए में शामिल अपना दल (एस) की चीफ और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा. इस पत्र में जो लिखा हुआ था, वह अचानक से बड़ा मुद्दा बन गया. इसके बाद एनडीए में ही शामिल निषाद पार्टी के चीफ और योगी कैबिनेट में मंत्री संजय निषाद ने भी योगी सरकार को आंख दिखानी शुरू कर दी.

पहले जानते हैं कि आखिर अनुप्रिया पटेल ने अपने पत्र में क्या-क्या लिखा?

पिछले दिनों एनडीए में शामिल अपना दल(एस) की चीफ और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा. इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि एसटी-एससी और ओबीसी नियुक्तियों में साक्षात्कार के जरिए होने वाली भर्तियों में गड़बड़ी की जा रही है. उनका आरोप था कि आरक्षित सीटों पर एसटी-एससी और ओबीसी की भर्तियां नहीं हो रही हैं. उन्हें Not Found Suitable लिखकर रिजेक्ट किया जा रहा है और नौकरी नहीं दी जा रही है. इसी के साथ अनुप्रिया पटेल ने ये भी आरोप लगाया कि आरक्षित सीटों को इसके बाद अनारक्षित किया जा रहा है और वहां नौकरी दी जा रही हैं.

बता दें कि लोकसभा चुनाव-2024 में विपक्षी राजनीतिक दलों ने भाजपा को आरक्षण खत्म करने के मुद्दे पर जमकर घेरा था. विपक्षी दलों का कहना था कि भाजपा सरकार में आरक्षण को कमजोर किया गया है और भाजपा आरक्षण को खत्म करने जा रही है. विपक्ष ने साफ कहा था कि अगर भाजपा को 400 सीट मिल जाती हैं तो भाजपा इस बार आरक्षण खत्म करके संविधान भी बदल देगी. विपक्ष के इन आरोपों का असर चुनावी परिणाम में भी देखने को मिला और बड़े पैमाने पर दलित और ओबीसी वर्ग यूपी में भाजपा से टूटकर गठबंधन को जा मिला. ऐसे में अनुप्रिया पटेल के इस लेटर ने यूपी में हड़कंप मचा कर रख दिया.

फिर संजय निषाद ने दिखाई भाजपा को आंख

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पत्र के अगले ही दिन एनडीए में शमिल निषाद पार्टी के चीफ और योगी सरकार में केबिनेट मंत्री संजय निषाद ने भी भाजपा को आरक्षण के मुद्दे पर आंख दिखानी शुरू कर दीं. संजय निषाद ने कहा,  जब योगी जी सांसद थे तब वह सदन में मुद्दा उठाते थे कि निषाद समाज को आरक्षण दिया जाए. कहते थे कि निषाद आरक्षण के हकदार हैं. मगर जब पक्ष (सरकार में आने पर) इसपर चर्चा भी नहीं हुई. ऐसे में लोगों को निराशा महसूस होती है. 

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2024 में लोगों ने वोट नहीं दिया- संजय निषाद

इस दौरान संजय निषाद ने ये भी कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर ही भाजपा को यूपी में नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा, लोगों को लगता है कि पहले तो उनसे निषाद आरक्षण को लेकर कहा गया था. भरोसा दिलाया गया था. मगर अब समाज के लोगों में काफी उदासीनता है. समाज के लोगों ने साल 2019-22 में खूब वोट दिया. मगर साल 2024 में समाज के कुछ लोगों ने वोट नहीं दिया. उन्होंने आरक्षण के मुद्दे को लेकर इस बार वोट नहीं दिया. संजय निषाद ने कहा है कि अब इस मुद्दे पर उनके कार्यकर्ता और समाज घेर रहा है. निषाद आरक्षण का मुद्दा उठा रहा है. ऐसे में अब हमारे लोग जमा हो रहे हैं. आने वाले 2 दिनों तक इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा की जाएगी.

यूपी लोक सेवा आयोग को देना पड़ा जवाब

बता दें कि इसके बाद से ही ये पूरा मामला सुर्खियों में आया और इस पूरे मुद्दे पर खुद सरकार को जवाब देना पड़ा. यूपी लोक सेवा आयोग ने केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को लेटर लिखा और उनके आरोपों को खारिज कर दिया. 

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यूपी लोक सेवा आयोग ने अपने जवाब में बताया, अभ्यर्थियों का व्यक्तिगत विवरण इंटरव्यू बोर्ड के सामने नहीं भेजा जाता है. इसलिए साक्षात्कार बोर्ड Not Found Suitable नहीं लिखता, बल्कि ग्रेडिंग देता है. दो पालियों में होने वाले साक्षात्कार के औसत अंक को जोड़कर रिजल्ट तैयार किया जाते हैं. साक्षात्कार के लिए जो अंक तय किए गए हैं, वही पैमाना है.

पूरा जवाब पढ़ें: OBC, SC/ST को इंटरव्यू में बाहर करने के आरोप पर UP सरकार ने दिया जवाब, अब क्या करेंगी अनुप्रिया?

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यूपी लोक सेवा आयोग की तरफ से कहा गया है कि साक्षात्कार की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है, जिसमें कोडिंग के जरिए नाम क्रमांक और आयु और आरक्षण श्रेणी को छुपा लिया जाता है. सामान्य, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए 40 प्रतिशत अंक सफल होने के लिए रखे जाते हैं, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 35 प्रतिशत अंक सफल होने के लिए निर्धारित हैं. इस दौरान उन्होंने अपने जवाब में ये भी कहा कि ओबीसी-एससी/एसटी की भर्तियां किसी अन्य को नहीं दी जाती और अगर कोई उम्मीदवार नहीं मिलता है तो उन पदों को उसी वर्ग के लिए आगे भेज दिया जाता है. फिलहाल ये पूरा मामला उत्तर प्रदेश में चर्चाओं में बना हुआ है.

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