UPSC Success Story: असफलता से हैं निराश तो हादसे में कई अंग खोने वाले सूरज तिवारी की कहानी भर देगी जोश

हर्ष वर्धन

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IIS Suraj Tiwari Inspiring Story: शकील आजमी ने ये पंक्तियां 'हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है' मानो IIS अधिकारी सूरज तिवारी के लिए ही लिखी थीं.

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IIS Suraj Tiwari Inspiring Story: शकील आजमी ने ये पंक्तियां 'हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है' मानो IIS अधिकारी सूरज तिवारी के लिए ही लिखी थीं. विषम हालात में सफलता कैसे पाई जाती है, उसकी जीती जागती नजीर सूरज तिवारी हैं. हादसे में एक हाथ और दो पैर गंवा देने के बाद फिर से उठना और UPSC का एग्जाम क्लियर कर देना, ये कोई आसान बात नहीं है. मगर इसे आसान कर दिखाया है सूरज ने. इस बात में कोई दो मत नहीं है कि उनकी कहानी प्रेरक है. इसलिए यूपी Tak ने सूरज से खास बातचीत कर उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी आपके सामने पेश करने के कोशिश की है. ऊपर शेयर किये गए वीडियो के साथ-साथ नीचे आप खबर में तफ्सील से जान सकते हैं, सूरज ने क्या-क्या बताया.  

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जानें सूरज तिवारी की पूरी कहानी 

 

यूपी Tak से खास बातचीत के दौरान मूल रूप से मैनपुरी के रहने वाले सूरज ने शुरूआत की अपने परिवार को लेकर. उन्होंने बताया कि वह एक सामान्य परिवार से आते हैं. वह मीडिल क्लास फैमिली में बड़े हुए. एक आम लड़के की तरह हिंदी मीडियम से 12वीं तक की उन्होंने पढ़ाई की. तब तक उन्होंने UPSC एग्जाम का सपना तक भी नहीं देखा था. मगर इस बीच कुछ ऐसा हुआ जिससे उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई... 

 

 

आखिर क्या हुआ था सूरज के साथ?

सूरज ने बताया कि 12वीं के बाद वह एक सामान्य लड़के की तरह प्राइवेट नौकरी कर रहे थे. मगर शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था. साल 2017 में एक ट्रेन दुर्घटना की वजह से सूरज की जिंदगी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. इस हादसे में उन्होंने अपना एक हाथ और दोनों पैर खो दिए. यह दुर्घटना तब हुई जब वह नोएडा से ट्रेन में बैठकर अपने घर जा रहे थे. जब उन्हें होश आया तब उन्होंने अपने आप को एम्स अस्पताल में पाया. सूरज ने बताया कि इस दौरान उनकी हालत बहुत गंभीर थी और बचने की कोई उम्मीद भी नहीं थी. मगर डॉक्टरों के प्रयास से वह जिंदा तो बच गए, लेकिन उन्होंने अपना एक हाथ और पैर खो दिया.

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सूरज ने बताया कि वह मैनपुरी के एक मध्यम परिवार से आते हैं. उनके पिता एक दुकान चलाते हैं. घर में उनके अलावा माता-पिता और छोटे भाई-बहन हैं. सूरज ने बताया कि उनके एक बडे़ भाई और थे जिन्हें उन्होंने अपनी दुर्घटना से 6 महीने पहले खो दिया था. इसके बाद से परिवार की स्थिति और खराब हो गई.


सूरज ने क्यों चुना UPSC का रास्ता?

सूरज ने बताया कि इस दुर्घटना के बाद उन्हें JNU के बारे में पता चला. यहां उन्हें दूसरे प्रयास के दौरान रशियन लैंग्वेज में एडमिशन मिला, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. सूरज ने बताया कि जब 2018 में उन्होंने एडमिशन लिया, तब दो साल बाद एक प्रोटेस्ट के दौरान उन्होंने लोगों से मिलना जुलना और लाइब्रेरी में जाना शुरू किया. इस दौरान ही उन्हें UPSC के बारे में जानने का मौका मिला. 

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इस दौरान उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की. मगर साल 2022 में अपने फर्स्ट अटेंप्ट में उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई. वहीं, साल 2023 में प्री में उनका सेलेक्शन हो गया. सूरज ने बताया कि प्री क्लियर होने के बाद उन्होंने अपने ऑप्शन सब्जेक्ट सोशयोलॉजी के बारे में पढ़ना शुरू कर दिया. बकौल सूरज, प्री एग्जाम क्लियर होने के बाद उन्होंने अपना सारा फोकस सिर्फ और सिर्फ सोशयोलॉजी के लिए लगा दिया और ऐसे उन्होंने मेंस क्लियर किया. वहीं इसके बाद उन्होंने इंटरव्यू राउंड से पहले दो-तीन राउंड मॉक इंटरव्यू दिए और फिर तीसरे फेज में भी उन्हें सफलता मिल गई. 

 

 

इंटरव्यू में मुलायम सिंह को लेकर पूछा गया था ये सवाल

इंटरव्यू को लेकर सूरज ने बताया कि वह काफी उत्साहित थे. जब इंटरव्यू के लिए वह रूम नंबर-1 में पहुंचे तब राउंड टेबल पर 5 लोग थे. इस दौरान सबने बारी-बारी सवाल पूछना शुरू किया. सूरज ने बताया कि उन्होंने शुरूआत सेल्फ इंट्रोडक्शन से की. वहीं दूसरा सवाल उनसे पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को लेकर पूछा गया. उन्होंने बताया कि उनसे करीब 15 सवाल पूछे गए, जिनमें से उन्होंने 12-13 सवालों के सही जबाव दिए (सूरज ने इंग्लिश में दिया था इंटरव्यू). इंटरव्यू के दो महीने बाद उनका रिजल्ट सामने आया और उन्होंने अपनी मेहनत के बदौलत सपने को हासिल कर लिया.

दिव्यकीर्ति सर को लेकर सूरज ने क्या कहा?

सूरज ने बताया कि वह मॉक इंटरव्यू के दौरान दिव्यकृति सर से मिलना चाहते थे. लेकिन उनकी बिजी शेड्यूल की वजह से नहीं मिल पाए थे. हालांकि जब उन्होंने सफलता हासिल की तब उन्होंने खुद मिलने के लिए बुलाया.
 

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