वृंदावन Iskcon मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो दर्शन और आरती का टाइम यहां जान लीजिए

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Vrindavan Iskcon Temple :  भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है, जहां हर गली में आपको एक मंदिर मिल जाएंगे. वहीं कृष्ण भक्तों के लिए वृंदावन का अपना ही एक अलग महत्व है. वहीं भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में सराबोर होकर सभी भक्त मथुरा और वृन्दावन भारी संख्या में पहुंचते हैं. उत्तरप्रदेश राज्य के इस पवित्र शहर में भक्त दूर-दूर से बांके बिहारी जी के दर्शन करने के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं. वृंदावन नगर श्री कृष्ण भगवान के बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है. वहीं वृंदावन का इस्कॉन मंदिर, श्री कृष्ण बलराम मंदिर के रूप में जाना जाता है और ये देश के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है.

मंदिर का इतिहास

वृन्दावन (Vrindavan News) का इस्कॉन मंदिर का निर्माण 1975 में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) द्वारा किया गया था. इस्कॉन की स्थापना 1966 में ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी. यह मंदिर कृष्ण और उनके भाई बलराम को समर्पित है, जिन्हें भागवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजा जाता है. यहां प्रतिदिन होने वाली आरती और भगवद गीता की कक्षाओं से दिव्य मंदिर में आने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.

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मंदिर की ये हैं खासियत

वृंदावन का इस्कॉन मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है, जो वास्तुकला की एक शैली है जिसकी उत्पत्ति दक्षिणी भारत में हुई थी. यह मंदिर सफेद संगमरमर और बलुआ पत्थर से बना है और इसे फूलों, जानवरों और धार्मिक प्रतीकों की शनदार नक्काशी से सजाया गया है. मंदिर परिसर में एक बड़ा बगीचा, एक पुस्तकालय, एक संग्रहालय और एक गेस्टहाउस भी शामिल है. यह मंदिर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और यह दुनिया भर के हिंदुओं के लिए तीर्थ स्थान भी है. मंदिर सभी धर्मों के आगंतुकों के लिए खुला है, और यह कीर्तन (भक्ति गीत), आरती (प्रार्थना समारोह), और प्रसादम (पवित्र भोजन) सहित विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है.

जानें दर्शन और आरती का टाइम

सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में इस्कॉन मंदिर तड़के सुबह चार बजकर दस मिनट पर खुलता है. मंदिर खुलने के ठीक बाद समाधि आरती होती है. इसके बाद साढ़े चार बजे सुबह मंगला आरती होती है. साथ ही अन्य कई तरह की आरती की जाती है. इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में दर्शन और पूजन का सिलसिला चलता रहता है. दोपहर बारह बजकर पैंतालीस मिनट (12:45PM) पर भगवान को भोग लगाकर मंदिर का द्वार बंद कर दिया जाता है. इसके बाद मंदिर साढ़े चार बजे शाम को खुलता है और गर्मी के मौसम में रात आठ बजकर पैंतालीस मिनट पर मंदिर को बंद कर दिया जाता है. जबकि सर्दी के मौसम में आठ बजकर पंद्रह मिनट (08:15PM) पर मंदिर के कपाट (गेट) बंद होते है.

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