संजय दत्त का जबर फैन, मुख्तार का डॉक्टर, ऐसे बन गया संजीव जीवा जुर्म की दुनिया का दूसरा नाम
माफिया अतीक अहमद का काला साम्राज्य तो ढह चुका है, अब बाहुबली मुख्तार अंसारी का जरायम का किला भी ढहने की कगार पर आ गया…
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माफिया अतीक अहमद का काला साम्राज्य तो ढह चुका है, अब बाहुबली मुख्तार अंसारी का जरायम का किला भी ढहने की कगार पर आ गया है. पहले मुन्ना बजरंगी, फिर राकेश पांडे और अब संजीव जीवा माहेश्वरी की मौत ने मुख्तार अंसारी को हिला कर रख दिया है. माना जाता है कि मुख्तार अंसारी की गैंग में ये तीनों ही मुख्य किरदार में रहते थे. इनके दम पर ही मुख्तार जेल में बैठे-बैठे बड़ी से बड़ी वारदातों को अंजाम दे देता था. ये तीनों मुख्तार के काले साम्राज्य के किले के वह सिपाही थे, जिसपर मुख्तार आंखमूंद कर भरोसा करता था. मगर अब इन तीनों की मौत के बाद से मुख्तार का बचा-कुचा साम्राज्य भी पूरी तरह से ढहने की कगार पर पहुंच चुका है.
मुख्तार की सल्तनत का आखिरी सिपाही भी ढेर
मुजफ्फरनगर के एक डॉक्टर के यहां पर दवाइयों की पुड़िया बनाने वाला एक लड़का आगे जाकर सुपारी किलर बन गया. वह ऐसा किलर बन गया, जिसने उत्तर प्रदेश में कई ऐसी वारदातों को अंजाम दिया, जिससे पूरा यूपी हिल गया. अब आपको बताते हैं कि आखिर मुख्तार का ये खास शार्प शूटर और करीबी संजीव जीवा माहेश्वरी कौन था? कौन था ये अपराधी, जिससे उत्तर प्रदेश के ही नहीं बल्कि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड तक के अपराधी कांपते थे.
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पिता बच्चों के भविष्य के लिए गांव छोड़ शहर आए और बेटा बन गया अपराधी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक आदमपुर नाम का गांव है. इस गांव की पहचान वैसे तो अन्य गांवों की तरह खेती-किसानी से होती है. मगर ये गांव काफी समय से संजीव जीवा के गांव के नाम से जाना जाता रहा है. बीते गुरुवार को आदमपुर गांव में संजीव जीवा माहेश्वरी के शव को गांव वालों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी. जीवा का अंतिम संस्कार उसके बड़े बेटे ने किया.
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दरअसल संजीव जीवा के पिता ओमप्रकाश माहेश्वरी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए साल 1986 में गांव छोड़कर मुजफ्फरनगर की शहर कोतवाली क्षेत्र की प्रेम पुरी कॉलोनी आ गए थे. ओम प्रकाश माहेश्वरी ने डेरी का धंधा शुरू किया. उस समय उनका बेटा संजीव 12वीं की पढ़ाई पूरी कर चुका था. 12वीं के बाद वह भी अपने पिता का हाथ बांटने लगा. मगर उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा संजीव आगे जाकर ऐसा शार्प शूटर बन जाएगा, जो पुलिस को भी चुनौती दे देगा.
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जरायम की दुनिया में डाक्टर था जीवा
बताया जाता है कि संजीव पढ़ने में काफी तेज था. इसलिए वह डॉक्टर बनना चाहता था. मगर एक तरफ पैसे की चाहत और दूसरी तरफ घर के आर्थिक हालातों के चलते संजीव माहेश्वरी ने डॉक्टर बनने के बजाय एक स्थानीय डॉक्टर के दवाखाने पर कंपाउंडर बनकर काम करना शुरू कर दिया. इस दौरान लोग संजीव को डॉक्टर कहने लगे. जब संजीव माहेश्वरी जरायम की दुनिया में संजीव जीवा बना तो उसे मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी समेत बड़े बड़े माफिया तक डॉक्टर ही कहकर बुलाने लगे.
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डूबी रकम वसूलने से शुरू हुई संजीव माहेश्वरी के संजीव जीवा बनने की कहानी
जिस डॉक्टर के यहां संजीव काम करता था, वहीं से ही संजीव का संजीव माहेश्वरी से संजीव जीवा बनने का सफर शुरू हुआ. दरअसल जिस दवाखाने पर संजीव काम करता था, उसके डॉक्टर का पैसा इलाके का दबंग वापस नहीं कर रहा था. 1 दिन डॉक्टर काफी परेशान था. इस दौरान संजीव ने डॉक्टर से उसके परेशान होने की वजह पूछी.
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डॉक्टर ने बताया कि दबंग उसका पौसा लौटा नहीं रहा है. पैसे मांगने पर धमकी भी देता है. इस दौरान संजीव जीवा ने शर्त रखी कि अगर वह उसका पैसा ले आया तो उसमें से एक हिस्सा डॉक्टर को उसे देना होगा. डॉक्टर को भी लगा कि रकम डूब रही है, जो मिल जाए वही सही है. उसने संजीव की बात पर हामी भर दी. संजीव उस व्यक्ति के पास गया और सारी रकम ले कर आ गया. फिर डॉक्टर ने भी उसका हिस्सा उसे दे दिया. बस यहीं से संजीव की जुर्म की दुनिया में एंट्री हो गई और उसे ये दुनिया पसंद आने लगी. यहीं से संजीव माहेश्वरी की ,संजीव जीवा बनने की शुरुआत हो गई.
संजय दत्त की फिल्म देख नाम के आगे जोड़ लिया था जीवा
संजीव जीवा माहेश्वरी फिल्म स्टार संजय दत्त का बहुत बड़ा फैन रहा है. संजीव, संजय दत्त की हर फिल्म देखता था. जब वह जुर्म की दुनिया में दस्तर दे रहा था, तब उसने अपना नाम भी बदल लिया. दरअसल संजीव ने संजय दत्त की फिल्म को देखकर अपने नाम के आगे जीवा जोड़ लिया और संजीव माहेश्वरी से संजीव जीवा बन गया.
जुर्म की दुनिया में संजीव जीवा एक ऐसा गैंगस्टर था, जिसने एंट्री करते ही अपहरण, रंगदारी वसूली, हत्या की वारदातों को अंजाम दे दिया. इसी के साथ वह हथियारों की सप्लाई भी करने लगा और देखते ही देखते उत्तर भारत के सबसे बड़े अपराधियों में से एक बन गया. उस समय कहा जाता था कि छोटे हथियार से लेकर एके-47 तक, संजीव जीवा के पास सब मिलेगा.
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परिवार में कौन-कौन है
संजीव जीवा के परिवार में उसका एक भाई राजीव माहेश्वरी है. संजीव की 2 बहनें भी हैं. संजीव की शादी पायल से हुई, जिससे संजीव के 4 बच्चे हुए. संजीव और पायल के 3 लड़के हैं तो वहीं 1 लड़की है. संजीव के पिता की मौत हो चुकी है. संजीव आखिर बार अपने गांव अपने पिता की मौत के समय ही आया था. संजीव की हत्या से जहां उसके परिवार और गांव में गम और गुस्सा है तो वहीं संजीव ने जिन परिवारों को उजाड़ा है, वह संजीव की हत्या को भगवान का इंसाफ बता रहे हैं.
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