कैसी होगी रामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला की प्रतिमा? इन लोगों को मिली खास जिम्मेदारी
Ayodhya News: ‘काम कोटि छबि स्याम सरीरा, नील कंज बारिद गंभीरा’ गोस्वामी तुलसीदास के राम सौंदर्य, मर्यादा और शक्ति के ऐसे प्रतिमान हैं, जिसकी समानता संभव…
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Ayodhya News: ‘काम कोटि छबि स्याम सरीरा, नील कंज बारिद गंभीरा’ गोस्वामी तुलसीदास के राम सौंदर्य, मर्यादा और शक्ति के ऐसे प्रतिमान हैं, जिसकी समानता संभव नहीं है. मगर अब राम के ऐसे ही स्वरूप को मूर्ति में ढालने की तैयारी है. अयोध्या स्थित जन्मभूमि के गर्भगृह में विराजमान होने वाली प्रतिमा का स्वरूप ऐसा ही हो, इसके लिए श्रीराम ट्रस्ट ने प्रयास तेज कर दिए हैं. विशेषज्ञों का पैनल राम के बालस्वरूप की प्रतिमा को आकार देगा. मंदिर निर्माण समिति की बैठक में राम की प्रतिमा के बारे में आने वाले सुझावों पर मंथन किया गया है.
विशेषज्ञों का पैनल ट्रस्ट की सहमति से फाइनल करेगा डिजाइन
नेपाल की गंडकी नदी से मिली शालिग्राम शिला को अयोध्या लाने के लिए यात्रा शुरू हो चुकी है. वहीं अब इस बात पर भी मंथन तेज हो गया है कि गर्भगृह में विराजमान होने वाली रामलला की प्रतिमा का स्वरूप कैसा हो. ये बात पहले ही तय हो चुकी है कि रामलला की प्रतिमा बालस्वरूप होगी.
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जानकारी के अनुसार प्रतिमा के लिए कैसी भाव भंगिमा का चयन किया जाए, इसके लिए राम के बाल स्वरूप की अब तक उपलब्ध चित्रों को बैठक में कम्प्यूटर पर देखा गया है. मंदिर निर्माण ट्रस्ट और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र परिषद ने इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों (technical experts) के अलावा अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों का एक पैनल तैयार किया है. इसमें ख्यतिप्राप्त चित्रकार वासुदेव कामथ, मूर्तियों के शोधकर्ता और मूर्तिकार पद्मविभूषण सुदर्शन साहू और नामचीन शिल्पकार पद्मश्री राम सुथार के अलावा पुरातत्ववेत्ता और शोधकर्ता शामिल हैं.
भाव भंगिमा और मुद्रा पर मंथन
रविवार को मंदिर समिति की बैठक में मंदिर निर्माण के अलावा रामलला की प्रतिमा को लेकर भी मंथन हुआ है. चित्रकार वासुदेव कामथ स्केच बनाकर बैठक में लाए थे. रामलला की उस स्केच को भी बैठक में सभी सदस्यों ने देखा है. उसके बाद उसके लिए सुझाव दिए गए हैं. उन सुझावों को शामिल कर दोबारा स्केच बनेगा. जानकारी के अनुसार, राम लला की बालस्वरूप प्रतिमा के मुख (चेहरे) को लेकर विशेष चर्चा हुई है. रामलला मुस्कान और आंखों में वो बाल स्वरूप चंचलता के साथ ही देवत्व का भाव होना जरूरी है. असंख्य लोगों के आराध्य राम के बाल रूप में वो भाव होना चाहिए कि लोग 35 फीट दूर से भी दर्शन करने वाले उस रूप को देख सकें.
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रामलला के मुख पर बाल सुलभ कोमलता होनी चाहिए. इसके साथ ही उनकी मुद्राएं क्या होंगी इस पर भी सदस्यों ने अपने सुझाव रखे हैं. हाथ में धनुष बाण और पैरों में खड़ाऊं होंगे. दरअसल अभी मंदिरों में भगवान राम की जो प्रतिमाएं मिलती हैं, वो ज्यादातर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप के हैं. बालक राम में शक्ति और सौंदर्य के साथ बाल सुलभ कोमलता का समन्वय किया जाएगा. मूर्ति बनाने में पहला चरण उनके रूप को चित्रित करने (Artwork) का है. इसमें विश्वनाथ कामथ की भूमिका है. एक बार डिजाइन फाइनल होने के बाद चित्र के अनुरूप मूर्ति में ढाला जाएगा.
गंडकी नदी से निकली शालिग्राम शिला को देखेंगे विशेषज्ञ
इधर नेपाल की गंडकी नदी से शालिग्राम शिला को भी अयोध्या लाया जा रहा है. शालिग्राम शिला का विशेष महत्व है. हालांकि अभी तकनीकी विशेषज्ञों का पैनल शिला का परीक्षण कर भव्य मूर्ति के लिए उसकी अनुकूलता और क्षरण जैसी बातों पर मंथन करेगा.
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जानकारी के अनुसार प्रख्यात चित्रकार वासुदेव कामथ के अलावा रामलला की मूर्ति बनाने में पद्मभूषण शिल्पकार राम वनजी सुथार को जिम्मेदारी दी गई है. राम सुथार ने स्टैचू ऑफ यूनिटी का भी शिल्प तैयार किया है. हाल ही में अयोध्या में लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि स्वरूप जिस वीणा को स्थापित किया गया है वो भी राम सुथार और उनके बेटे अनिल राम सुथार ने तैयार किया है.
वहीं मूर्ति बनाने के पहले चरण यानी आर्ट वर्क की जिम्मेदारी सम्भालने वाले चित्रकार वासुदेव कामथ अंतर्रराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार हैं, जिन्हें स्केच और पोर्ट्रेट बनाने में विशेष ख्याति प्राप्त है. जानकारी के अनुसार इसके अलावा मूर्तिकार पद्मविभूषण सुदर्शन साहू , पुरातत्ववेत्ता मनइया वाडीगेर और तकनीकी विशेषज्ञ और मंदिर बनाने वाले वास्तुकार भी मूर्ति ने निर्धारण में भूमिका निभाएंगे, क्योंकि ये बात बात भी तय हो चुकी है कि रामलला की मूर्ति ऐसी होगी जिसमें मंदिर के वास्तु की दृष्टि से समन्वय होगा.
रामनवमी के दिन रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी. निर्माण समिति की बैठक में ये भी बात तय हुई कि हर शनिवार को मंदिर निर्माण समिति की ऑनलाइन बैठक भी होगी.
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