छात्रों के हाथों से उतरवाई राखी, स्कूल बोला- हिंदू धर्म का प्रचार यहां नहीं चलेगा, हंगामा

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Bareilly News: देशभर में बीते बुधवार और आज यानी गुरुवार को रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार मनाया जा रहा है. इसी बीच उत्तर प्रदेश के बरेली से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक मिशनरी स्कूल में छात्रों को रक्षा बंधन का पर्व मनाने से रोका गया है. आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने बच्चों के हाथ में बंधी राखी भी कैंची से कटवा दी. आरोप ये भी है कि स्कूल प्रबंधन ने बच्चों के हाथों में बंधा कलावा भी कटवा दिया.

राखी और कलावा कैंची से काट दिया

मिली जानकारी के मुताबिक, यह पूरा मामला आंवला थाना क्षेत्र के भमोरा रोड स्थित होली फैमिली कान्वेंट स्कूल का बताया जा रहा है. आरोप है कि यहां स्कूल प्रबंधन ने हिंदू आस्थाओं को ठेस पहुंचाई है. बताया जा रहा है कि स्कूल प्रबंधन ने छात्र-छात्राओं को रक्षाबंधन मनाने से रोका है. स्कूल प्रबंधन पर आरोप है कि उनकी तरफ से कहा गया कि यहां हिंदू धर्म का कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया जाएगा.

बताया जा रहा है कि स्कूल में बच्चे राखी बांध कर आए थे. इसका स्कूल के एक टीचर ने विरोध किया था और बच्चों की राखी को कैंची से कटवा दिया गया था. मिली जानकारी के मुताबिक, इस बात की जानकारी छात्रों के माता-पिता को लगी तो वह भड़क गए. मामला हिंदू संगठनों तक भी पहुंच गया. छात्रों के माता-पिता का आरोप है कि ये स्कूल ईसाई मिशनरी का है और ये हिंदू आस्थाओं को ठेस पहुंचाता है. 

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मिशनरी स्कूल ने मांगी माफी

बता दें कि मामले की सूचना मिलते ही छात्रा के माता-पिता के साथ हिंदू संगठन भी स्कूल पहुंच गए और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ विरोध करने लगे. मिशनरी स्कूल पर हिंदू आस्थाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा. मामले की जानकारी जैसे ही पुलिस को लगी, पुलिस मौके पर पहुंची. मिली जानकारी के मुताबिक,  पुलिस ने मौके पर पहुंच कर स्कूल प्रबंधन से माफी मंगवाई और छात्रों के राखियां फिर से बांधी गई. 

स्कूल बोला- आगे से नहीं होगी ऐसी गलती

छात्रों के माता-पिता के मुताबिक, स्कूल प्रबंधन ने लिखित में माफी मांगी है और लिखा है कि आगे से इस तरह की गलती कभी स्कूल की तरफ से नहीं की जाएगी. अभिभावकों का कहना है कि मिशनरी स्कूलों में हमेशा हिंदू धर्म की आस्थाओं को ठेस पहुंचाई जाती है. स्कूल की तरफ से कहा गया कि हिंदू धर्म का कोई प्रचार-प्रसार यहां नहीं होगा. मगर हमने इसका विरोध किया और स्कूल को अपनी गलती माननी पड़ी.

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