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गोरखपुर: इंजीनियर ने बनाया चलता-फिरता तारामंडल, मोबाइल नक्षत्रशाला से दिखाता है ब्रह्मांड

विनित पाण्डेय

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Gorakhpur News: बाबा गोरखनाथ की धरती पर होनहारों की कमी नहीं है. यहां के युवाओं ने समय-समय पर अपनी प्रतिभा का लोहा राष्ट्रीय पटल पर मनवाया है. अब यहां के एक और युवा ने गोरखपुर और अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया है. बता दें कि गोरखपुर शहर के ही एक युवा इंजीनियर ने स्टार्टअप के रूप में चलते फिरते तारामंडल (मोबाइल प्लेनेटोरियम) को बनाया है, जहां काफी कम दरों पर विद्यार्थियों को ब्रह्मांड का दर्शन कराया जाता है.

मिली जानकारी के मुताबिक, अब नागालैंड, हरियाणा, बिहार, उड़ीसा सहित दूसरे राज्यों में भी संचालित सरकारी और निजी नक्षत्रशालाओं में उपकरण लगाने का कार्य इंजीनियर द्वारा किया जा रहा है. आपको बता दें कि नकहा नंबर दो, भगवानपुर के रहने वाले सचिंद्रनाथ निषाद ने हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई कोलकाता से पूरी की है. उन्होंने आईटी से  बीटेक साल 2007 में किया था.

बचपन से तारों की दुनिया में थी रुचि

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बता दें कि बचपन से ही सचिंद्रनाथ निषाद को आकाश में तारों की दुनिया को लेकर बेहद रुचि थी. बीटेक के बाद उन्होंने पहले दिल्ली स्थित सॉफ्टवेयर कंपनी में काम किया फिर दो सालों तक बेंगलुरु में काम किया. मगर कुछ अलग करने की चाहत में वह गोरखपुर लौटे और साल 2016 में गोरखपुर में अपने शौक को पूरा करने के लिए स्टार्टअप को शुरू किया.

उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर मोबाइल प्लेनेटोरियम का अविष्कार किया. शुरू में आई दिक्कतों के बाद अब उन्हें धीरे-धीरे स्कूलों में काम मिलने लगा. इसी दौरान गोरखपुर महोत्सव में भी मोबाइल नक्षत्रशाला आकर्षण का केंद्र रहा. कोरोना काल से पहले की बात करें तो सचिन की संस्था 6-7 लाख रुपये वार्षिक की आमदनी कर रही थी.

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कोरोना काल में कोई काम नहीं हुआ तो उस समय उनकी टीम ने अन्य संस्थाओं से संपर्क किया और अपना प्रोजेक्ट पेश किया. इसी का ही परिणाम है कि हालात सामान्य होने पर वर्तमान वर्ष में तकरीबन 38 लाख रुपये का टर्न ओवर उनकी टीम ने किया है.

एक बार में 40-50 विद्यार्थी उठा सकते हैं लुत्फ

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सचिन ने बताया कि मोबाइल नक्षत्रशाला के बेस मॉडल को तैयार करने में तकरीबन चार से पांच लाख रुपये का खर्च आता है. इससे एडवांस नक्षत्रशाला 7 से 8 और अत्याधुनिक नक्षत्रशाला की कीमत 15 लाख से प्रारंभ होती है. नक्षत्रशाला को तैयार करने में बाहर ब्लैक आउट फैबरीक और अंदर भी विशेष फैबरीक का इस्तेमाल किया जाता है.

इसके साथ ही ब्लोअर, 360 डिग्री प्रोजेक्शन मशीन सहित अन्य आवश्यक सामग्री की जरूरत पड़ती है. विद्यार्थियों के लिए न्यूनतम शुल्क 25-30 रुपये प्रति छात्र रखा गया है. सचिन ने बताया कि मोबाइल नक्षत्रशाला का बेस मॉडल को तैयार करने में तकरीबन चार से पांच लाख रुपये का खर्च हुआ है.

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मोबाइल नक्षत्रशाला एक आसमानी थिएटर है, जो मुख्य तौर से खगोल विज्ञान और रात के आकाश के बारे में शैक्षिक और मनोरंजक शो प्रस्तुत करने और आकाशीय नेविगेशन में प्रशिक्षण के लिए बनाया गया है. सचिन का दावा है कि सरकार की ओर से संचालित नक्षत्रशालाओं में अगर उन्हें उपकरण लगाने का मौका मिले तो वो इसे आधी से कम कीमत में लगा सकते हैं.

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