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गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बनेगा UP का दूसरा मिल्क बैंक, जानिए इससे क्या होगा लाभ

रवि गुप्ता

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Gorakhpur News: गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में मिल्क बैंक शुरू करने की कवायद की जा रही है. बता दें कि लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ऐसी मिल्क बैंक संचालित है. बीआरडी में अगर मिल्क बैंक शुरू हो जाती है, तो यह प्रदेश में दूसरा मिल्क बैंक होगा. गौरतलब है कि इसके सकुशल संचालित होने से मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने वाले नवजात को मां के दूध के लिए तरसना नहीं होगा. साथ ही नवजातों को मां का पौष्टिक दूध मिल सकेगा. दरअसल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बड़ी संख्या में लोग इलाज कराने आते हैं. इनमें बिहार समेत अन्य जिलों के लोग भी निर्भर रहते हैं. ऐसे में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मिल्क बैंक स्थापित हो जाने से बहुत से लोग इसका लाभ उठा सकेंगे.

बीआरडी मेडिकल के प्रशासन की मानें तो यह मिल्क बैंक 500 बेड के बाल रोग संस्थान में खुलेगा. मिल्क बैंक खोलने का प्रस्ताव एनजीओ सुहानी ने दिया था. अब शासन से इसकी मंजूरी भी मिल गई है. मिल्क बैंक के लिए आवश्यक उपकरण भी एनजीओ ही खरीदेगा. उसका संचालन एनजीओ के साथ मेडिकल कॉलेज प्रशासन भी करेगा. प्रदेश में अभी केवल किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ही यह सुविधा बीते कुछ माह से उपलब्ध है. ऐसे में गोरखपुर की यह एक और उपलब्धि होगी, जिसका सीधा लाभ गोरखपुर मंडल और बस्ती मंडल के लोग ले सकेंगे.

गौरतलब है कि इस मिल्क बैंक से नवजातों को दूध दिया जाएगा. इस मिल्क बैंक के कई फायदे होंगे, जैसे कि बीमार नवजात का इलाज करा रही मां अपना दूध मिल्क बैंक में सुरक्षित रखवा सकेगी. समय-समय पर कर्मचारी मां के दूध को उसके नवजात को पिलाया करेंगे. इसके लिए मां को बार-बार बच्चों के वॉर्ड में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी. क्योंकि कई नवजात जन्म लेते ही जार में रख दिया जाता है, जहां पर किसी के जाने के लिए मनाही की जाती है.

कहते हैं विशेषज्ञ?

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बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरके सिंह ने बताया कि मां का दूध बहुत फायदेमंद होता है. यह बच्चों के विकास के लिए बेहद जरूरी है. यह जन्म लेने वाले शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे नवजात कई बीमारियों से बचता है. उन्होंने बताया कि कई बार मां को आवश्यक मात्रा से अधिक दूध बनता है. नवजात को भरपेट दूध पिलाने के बाद भी मां के पास दूध बचा रहता है. ऐसी मां अपने बचे हुए दूध को दान दे सकेंगी. यह दूध दूसरे नवजातों की जान बचाने में मददगार साबित होगा.

क्या कहते है मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य?

इस बाबत मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि मिल्क बैंक का संचालन शुरू होने जा रहा है. ये बहुत ही अच्छी पहल है. एनजीओ सुहानी ने इसका विचार दिया था. उन्हीं को इसकी देख-रेख की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. मिल्क बैंक में दूध को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए उसे पाश्चरीकृत किया जाएगा. इसके बाद दूध के खराब होने की आशंका नहीं रहेगी. मिल्क बैंक में मां का दूध करीब 1 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकेगा.

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