कानपुर: 1.5 लाख में हवन, दिमाग से भूतकाल मिटाने का दावा! करौली बाबा के आश्रम पहुंचा UP Tak

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Kanpur News: देश में इन दिनों बाबाओं की खूब चर्चा है. अभी बीते दिनों बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री जमकर सुर्खियों में बने थे. वहीं इस बीच उत्तर प्रदेश के एक बाबा भी काफी वायरल हो गए हैं. इनका नाम है संतोष सिंह भदौरिया. यह बाबा करौली शंकर के नाम से मशहूर हैं. बाबा करौली का आश्रम यूपी के कानपुर में है. बाबा का दावा है कि वह ओम शिव कहकर बीमारियों को दूर कर देते हैं. मगर जब नोएडा निवासी डॉक्टर सिद्धार्थ चौधरी ने बाबा के कथित चमत्कार पर सवाल उठाए, तो आरोप है कि बाबा के बाउंसरों ने उनकी पिटाई करवा दी. पिटाई के बाद डॉक्टर ने पुलिस में केस दर्ज कराया. वहीं, इस बीच यूपी तक ने कानपुर के करौली वाले बाबा से खास बातचीत की है. बातचीत में बाबा ने कई बड़ी बातें की हैं. साथ ही करौली बाबा ने यूपी तक के कैमरे पर अपने आश्रम को भी दिखाया और बताया कि यहां किस तरह से चंदा आता है और कैसे यहां वैदिक संस्कार कराए जाते हैं.

डॉक्टर की पिटाई मामले पर बाबा ने कहा, “वह पागल था. जो हमें गाली बकेगा, उसे हमारे भक्त छोड़ेंगी थोड़ी. पहले भी इस तरह के तमाम कांड हो चुके हैं. जो भी मुकदमे मुझपर लगाए गए, वे राजनीतिक थे. जब आप कुछ बड़ा करते हैं, तभी मुकदमे लगते हैं. मेरे खिलाफ षड्यंत्र किया गया है और मैं यह जानता हूं कि यह किसने किया है. जल्द ही बताऊंगा.”

बाबा ने कहा, “एक हवन का डेढ़ लाख रुपये लेता हूं. ऐसे ही फ्री में थोड़ी सब हो जाएगा. इलाज कराने जाते हैं, तो डॉक्टर भी तो फीस लेता है न. सारा इनकम टैक्स देता हूं. सबसे पैसा लेता हूं. बकायदा रेजिट्रेशन होता है, बिना इसके फिर कैसे चलाएंगे इतना बड़ा आश्रम.” बाबा ने दावा करते हुए कहा, “मैं भूत काल को दिमाग से मिटा देता हूं, जिससे आदमी खुद ही ठीक हो जाता है. मैंने सिद्धियां प्राप्त की हैं.” बाबा ने कहा कि भारत हिंदूराष्ट्र कभी नहीं बन सकता, क्योंकि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है.

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर बाबा करौली ने कहा, “अच्छा ही कर रहा है वो, लेकिन मैं यह सब नहीं करता. मैं रोगों से और अन्य चीजों से मुक्ति दिलाता हूं.”

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कौन हैं ये बाबा?

आपको बता दें कि जब ये बाबा किसान नेता थे, तब इनकी पहचान संतोष सिंह भदौरिया की थी. मगर पिछले कुछ सालों में इनकी पहचान करौली बाबा की हो गई है. ये बाबा रहने वाले तो उन्नाव के हैं, लेकिन गंगा पार कानपुर में एक ज़मीन पर आश्रम बनाकर बाबा बन गए. बाबा के दरबार में जाने के लिए भक्तों को 100 रुपये की पर्ची कटानी पड़ती है और विशेष पूजन के लिए विशेष दान करना पड़ता है.

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