20 साल बाद अमेरिका से लखनऊ आई महोगनी खोज रही असली मां बाप को, हाथ में हैं सिर्फ कुछ फोटो
Lucknow News: ये साल 2000 की बात है. लखनऊ के एक अनाथालय में एक अमेरिकी महिला ने 2 साल की बच्ची को गोद दिया. वह…
ADVERTISEMENT
Lucknow News: ये साल 2000 की बात है. लखनऊ के एक अनाथालय में एक अमेरिकी महिला ने 2 साल की बच्ची को गोद दिया. वह अमेरिकन महिला उस बच्ची को लेकर वापस अमेरिका चली गई. आज साल 2023 चल रहा है. अब वह बच्ची बड़ी हो चुकी है. मगर अब वह लड़की वापस लखनऊ आई है और अपने माता-पिता, परिवार की तलाश में भटक रही है.
आपको पहले हम साल 2000 में लेकर चलते हैं कि आखिर ये बच्ची अनाथालय में पहुंची कैसे?
दरअसल साल 2000 में लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर एक मासूम बच्ची काफी देर से लावारिस हालत में थी. बच्ची की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. मौके पर जीआरपी पुलिस पहुंची. जीआरपी ने बच्ची के परिजनों की, माता-पिता की काफी तलाश की. मगर जीआरपी को किसी के बारे में कुछ पता नहीं चला. बच्ची इतनी छोटी थी कि वह अपना नाम और पता बता भी नहीं सकती थी. ऐसे में जीआरपी ने मासूम को अनाथालय भेज दिया.
अमेरिकी महिला ने ले लिया गोद
बच्ची करीब 2 साल तक अनाथालय में रही. फिर एक दिन एक अमेरिकी महिला ने उस बच्ची को गोद ले लिया और उसे अपने साथ लेकर अमेरिका चली गई. उस अमेरिकी महिला ने बच्ची को वही पाला और उसे बढ़ा किया. मगर पिछले दिनों उस महिला की मौत हो गई. मगर अपनी मौत से पहले वह महिला उस बच्ची को सच बता गई कि वह उसकी असली मां नहीं है, बल्कि उसने उसे भारत से गोद लिया था. ये सुनते ही लड़की सन्न रह गई.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
अब वह बच्ची बड़ी हो चुकी है और अपने अमेरिकी दोस्त के साथ भारत आई है. वह यहां अपने माता-पिता की तलाश कर रही है. वह अपने परिजनों को खोज रही है. जब उसे लखनऊ से अमेरिकी महिला ने गोद लिया था तब उसका नाम रेखा था. मगर अब उसका नाम महोगनी हो चुका है.
लखनऊ से अमेरिका.. अब 20 साल बाद फिर लखनऊ और एक तलाश
अमेरिकी नागरिक महोगनी की उम्र 23 साल हो चुकी है. साल 2002 में जब बच्ची को गोद लिया गया, तब से वह पहली बार भारत और लखनऊ आई है. महोगनी पहले अमेरिका के मिनेसोटा से दिल्ली आई और फिर वहां से लखनऊ पहुंची है. महोगनी लखनऊ में अपने परिवार को खोज रही है.
ADVERTISEMENT
महोगनी ने Up Tak को बात करते हुए बताया कि लखनऊ आते ही वह सबसे पहले चरबाग रेलवे स्टेशन गई और वहां रेलवे पुलिस से मुलाकात की. फिर वह उस अनाथालय गई, जहां से उसे गोद लिया गया था. मगर अभी तक उसके हाथ कोई खास जानकारी नहीं लगी है. कुछ दस्तावेज मिले हैं, मगर किसी में भी परिजनों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. दरअसल महोगनी रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में मिली थी. उसके परिजनों का पता नहीं चल पाया था. ऐसे में किसी भी दस्तावेज में उसके परिजनों के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
अपनों की तलाश और हाथ में सिर्फ कुछ फोटोग्राफ
Up Tak से बात करते हुए महोगनी रोने लगी. महोगनी के हाथों में उसकी बचपन की कुथ फोटो हैं. महोगनी ने बताया, “मैं साल 2000 में पुलिस को लावारिस हालत में लखनऊ के चरबाग रेलवे स्टेशन पर मिली थी. काफी खोजबीन के बाद जब मेरे परिजनों का पता नहीं चला तो मुझे लखनऊ के लीलावती मुंशी बालगृह (अनाथालय) भेज दिया गया. इस अनाथालय से करीब दो साल बाद एक अमेरिकी महिला ने मुझें गोद ले लिया और अपने साथ लेकर यूएस चली गई.
ADVERTISEMENT
महोगनी ने आगे बताया कि जिस महिला ने मुझे गोद लिया उनका नाम कैरोल ब्रांड था. कैरोल एक सिंगल मदर थी, लेकिन गोद लेने के कुछ साल बाद उसका नेचर बदल गया. महोगनी के मुताबिक, बड़े होने पर कैरोल उसे तंग करने लगी. उसके बारे में अपमानजनक बातें करने लगी. मगर 5 साल पहले उनका निधन हो गया. महोगनी के मुताबिक, कैरोल ने मरने से पहले उसे सारी बाते बता दी और गोद लेने से जुड़े सारे कागज उसे सौंप दिए.
दोस्त क्रिस्टोफर के साथ भारत आई महोगनी
बता दें कि महोगनी अमेरिका के मिनेसोटा राज्य के मिनटोंका में रहती है. वह वहां एक कैफे में काम करती है. मिली जानकारी के मुताबिक, यहां उसकी दोस्ती क्रिस्टोफर नाम के शख्स से हुई. क्रिस्टोफर पेशे से आर्टिस्ट है. जब उसने क्रिस्टोफर को अपनी कहानी बताई तो उसने भारत आने की योजना बनाई. पैसों के अरेंजमेंट और वीजा आदि में समय लगा. लेकिन फाइनली, पिछले हफ्ते वो दोनों लखनऊ पहुंच गए.
बहुत मुश्किल है राह मगर नहीं हारी है हिम्मत
महोगनी जिस रास्ते पर निकली है, वह बहुत मुश्किल है. वह जिस लक्ष्य के साथ भारत और लखनऊ आई है, कोई नहीं जानता कि उसे उसमें कामयाबी मिलेगी या नहीं. मगर महोगनी ने हिम्मत नहीं हारी है. उसका मानना है कि वह किसी ना किसी तरह से अपने परिजनों को खोज निकालेगी. जहां उसके मिशन में हजारों परेशानियां पहले से ही हैं तो दूसरी परेशानी उसके साथ उसके वीजा को लेकर भी हैं. बता दें कि महोगनी सिर्फ 30 दिनों के वीजा के साथ भारत आई है. इन 30 दिनों में से काफी दिन उसके खत्म हो चुके हैं. मगर महोगनी का कहना है कि वह अगर इस बार कामयाब नहीं होती है तो वह फिर भारत आएगी और अपने परिजनों को खोजेगी. फिलहाल एक कैक ड्राइवर महोगनी और उसकी दोस्त की मदद कर रहा है. वह ही लोकल लोगों से उनकी बात करवाता है और पूरे दिन उनके साथ चलता है.
ADVERTISEMENT