लखनऊ समेत UP में इन जगहों पर क्यों आया भूकंप, क्या डरने की जरूरत है? यहां समझिए बड़ी बातें
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और सीतापुर समेत अन्य जिलों में 19-20 अगस्त की मध्य रात्रि को भूकंप के झटके महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप…
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और सीतापुर समेत अन्य जिलों में 19-20 अगस्त की मध्य रात्रि को भूकंप के झटके महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक यह जलजला 19-20 अगस्त की मध्य रात्रि को करीब एक बजकर 12 मिनट पर आया और इसकी तीव्रता 5.2 रही. भूकंप का केंद्र नेपाल के सीमावर्ती जिले बहराइच में भूतल से 82 किलोमीटर गहराई में था. हालांकि, भूकंप से किसी तरह के जानमाल की कोई खबर नहीं है.
लखनऊ समेत इन इलाकों में भूकंप क्यों आया?
लखनऊ और उसके आसपास के इलाकों में आखिर भूकंप क्यों आया, इसे समझने के लिए हमने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के जीयो फिजिसिस्ट एक्स्पर्ट से खास बातचीत की.
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उन्होंने बताया, “भूकंप करोड़ों-अरबों सालों से आते रहे हैं और जब तक पृथ्वी रहेगी ये आते रहेंगे. दरअसल, हमारी पृथ्वी एक यूनिफॉर्म सिंगल रॉक लेयर नहीं है. वो तमाम टुकड़ों की असेंबली है. अलग-अलग बॉउंड्री बनी हुई हैं. ये सारी प्लेट्स (टेक्टोनिक) अलग-अलग दिशा में मूव कर रही होती हैं. अगर दो प्लेट्स आपस में कॉन्टेक्ट में आ जाती हैं और एक दूसरे को धक्का देती हैं, तो ज्यादा मजबूत वाली प्लेट कम मजबूत वाली प्लेट से फ्रिक्शन के जरिए भूकंप की स्थिति पैदा करता है. इसलिए जो सतह की मूवमेंट होती है, उसकी वजह से अक्सर भूकंप आते रहते हैं.”
हालिया आए भूकंप से क्या डरने की जरूरत है?
‘लखनऊ और उसके आसपास के इलाके में आए भूकंप से क्या डरने की जरूरत है?’ इस सवाल के जवाब में BHU के जीयो फिजिसिस्ट एक्स्पर्ट ने कहा, “लखनऊ में जो भूकंप आया था उसके तीव्रता 5.2 थी और इससे ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है.” उन्होंने आगे बताया, “इतनी तीव्रता वाले भूकंप को मॉडरेट माना जाता है. ये छोटे क्षेत्रों में खराब निर्माण वाली इमारतों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. जबकि अच्छी तरह से डिजाइन की गई इमारतों को भी मामूली रूप से क्षति पहुंचाने में सक्षम होता है.”
भूकंप आने पर सबसे पहले क्या करें?
BHU के जीयो फिजिसिस्ट एक्स्पर्ट ने हमें बताया, “भूकंप आने के बाद लोगों के पास समय बहुत कम होता है बचने के लिए. भूकंप आने पर पिलर अपनी जगह बने रहते हैं, मगर सीलिंग गिरने की संभावना ज्यादा बनी रहती है. सीलिंग के मलवे से बचने के लिए अगर अपने सिर को ढकते हुए किसी टेबल या चौकी के नीचे प्रवेश कर लें, तो ये सबसे पहले बचने का अच्छा उपाए है.”
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उन्होंने आगे बताया कि अगर आपके पास समय है, तो आप तुरंत खुले मैदान की ओर भाग सकते हैं.
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