हाथरस कांड में आखिरकार 900 दिन बाद आया फैसला, परत दर परत जानिए कब क्या-क्या हुआ

अभिषेक मिश्रा

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हाथरस कांड
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Hathras Crime News: आखिरकार हाथरस कांड में 900 दिन बाद फैसला आया है. कोर्ट ने आरोपी संदीप को दोषी मानते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा के साथ 50 हजार का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने शेष तीन आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है. बता दें कि लव कुश, रामू और रवि को दोषमुक्त कर दिया गया है. कोर्ट ने संदीप को आईपीसी की धारा 304 एससी-एसटी एक्ट के लिए दोषी माना है, मगर उसके ऊपर रेप का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है. गौरतलब है कि 14 सितंबर को हाथरस के बूलगढ़ी गांव की 19 साल की दलित लड़की के साथ चार लोगों वारदात को अंजाम दिया था. एक पखवाड़े बाद लड़की का निधन हो गया और यह आरोप लगाया गया कि 29 और 30 सितंबर के बीच की रात को परिवार की मंजूरी के बिना पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. उसके बाद से हर तरह के राजनीतिक दल मैदान में कूद पड़े. वहीं, यह जानना अहम है कि इस केस में अब तक क्या-क्या हुआ है?

विस्तार से जानिए पूरे मामले को

दिन- 14 सितंबर:

हाथरस के बूलगढ़ी गांव में 19 वर्षीय पीड़िता और उसकी मां बाहर खेतों में काम कर रही थीं. वे दोनों एक दूसरे से करीब 100 मीटर की दूरी पर थीं. जिन खेतों में वे काम कर रही थीं, उनके मालिक ‘ऊंची जाति’ के किसान थे. पीड़िता और उसकी मां अक्सर वहां अपने पशुओं के लिए घास लेने जाती थीं. इस बीच पीड़िता की मां अपनी बेटी की चीख सुनती है और उसे ढूंढने दौड़ती है. वह अपनी लड़की को खून से लथपथ पड़ी हुई देखती है और उसकी जीभ कटी हुई होती है. पीड़िता की मां का कहना है कि उसने अपनी बेटी को दुपट्टे और उसी खून से सने कपड़े से ढक दिया. इसके बाद महिला अपने बेटे को आवाज लगाती है, जो कुछ देर बाद बाइक से मौके पर पहुंच जाता है. वे दोनों पीड़िता को स्थानीय थाने ले गए.

सुबह 10.30 बजे : पीड़िता अपनी मां और भाई के साथ चंदपा थाने पहुंची. पुलिस के सामने बयान दर्ज कर शिकायत दर्ज कराती है. मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पुलिस ने पीड़िता की शिकायत दर्ज करने में देरी की और उसके परिवार को उसे ले जाने के लिए कहा, जबकि पीड़िता होश में आती-जाती रही. उसके भाई का दावा है कि संदीप ने उसके साथ ये काम किया है. इसके बाद सुबह 11.45 बजे: पुलिस पीड़िता को अपनी जीप से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक का कहना था कि पीड़िता की हालत गंभीर है. डॉक्टर ने कहा कि स्थानीय क्लिनिक में उसके इलाज की सुविधा नहीं है. पीड़िता को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के जेएन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेफर किया गया है.

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दिन- 15 सितंबर:

जानकारी के अनुसार, मामला 15 सितंबर को रिपोर्ट किया गया था. दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट पर जोर अपराधियों की जाति पर नहीं था, बल्कि आरोपी और पीड़ित के बीच पारिवारिक झगड़ा था. रिपोर्ट में कहा गया कि पीड़िता अपनी मां के साथ जानवरों के लिए चारा इकट्ठा कर रही थी, तभी आरोपी (केवल एक युवक) पीड़िता पर चढ़ गया, उसे घसीट कर ले गया और गला दबाकर उसकी हत्या करने का प्रयास किया.

रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता ने हंगामा किया, जिससे आरोपी मौके से फरार हो गया. पीड़िता के भाई ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया. अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट में पीड़िता के साथ किसी तरह के यौन शोषण का जिक्र नहीं है. आरोपी की पहचान संदीप के रूप में हुई. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि पीड़िता के साथ उसके रिश्तेदार चंदपा थाने गए थे. इंस्पेक्टर चंदपा पीएस दीपक शर्मा के मुताबिक, दोनों पक्षों में काफी समय से पारिवारिक विवाद के चलते कोर्ट में भी केस चल रहा था. मामला दर्ज कर जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया गया. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि रिपोर्ट में कहीं भी रेप का जिक्र नहीं किया गया और आरोपियों की संख्या एक थी.

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अगले हफ्ते में पीड़िता की हालत बिगड़ती है, हालांकि, बीच में वह होश में आई और उसने अपने परिवार से बात की. वहीं 19 सितंबर: जेएन मेडिकल कॉलेज में पीड़िता का बयान दर्ज किया गया. उसने संदीप समेत दो हमलावरों का नाम लिया.  इस बयान के आधार पर पुलिस ने धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 354 (छेड़छाड़) के तहत कार्रवाई शुरू कर दी. संदीप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

दिन- 19 सितंबर-22 सितंबर:

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने 19 सितंबर को पीड़िता से मुलाकात की, जिसके बाद पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों की सूची में छेड़खानी का आरोप जोड़ा गया. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि घटना के आठ दिन बाद 22 सितंबर को पहली बार बलात्कार के आरोप सामने आए और आरोपियों की सूची में तीन अतिरिक्त नाम जोड़े गए.

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कांग्रेस नेता श्योराज जीवन ने पीड़िता के परिवार से मिलने के बाद उससे मुलाकात की, जिसके बाद घटना के इर्द-गिर्द कहानी बदलने लगी. कांग्रेस नेता का एक बयान भी वायरल हुआ जिसमें कहा गया, ‘हमारी बेटी ने अपनी इज्जत बचाई है लेकिन पापियों ने उसकी जीभ काट दी है, उसकी रीढ़ तोड़ दी है.’

दिन 22 सितंबर:

टीओआई की एक रिपोर्ट में कहा गया, “यूपी के हाथरस में एक 19 वर्षीय दलित लड़की का कथित रूप से चार उच्च जाति के पुरुषों द्वारा गैंगरेप किया गया. इसा दौरान उसका गला घोंटने की भी कोशिश की गई, जिससे वह कई दिनों तक आईसीयू में अपने जीवन के लिए लड़ती रही.” रिपोर्ट में आगे कहा गया, “मंगलवार को लड़की का बयान दर्ज होने के बाद, प्राथमिकी में सामूहिक बलात्कार के आरोप जोड़े गए और तीन और लोगों पर मामला दर्ज किया गया.”

तब हाथरस के एसपी विक्रांत वीर ने टीओआई को बताया था, “एक और आरोपी को पकड़ लिया गया है और अन्य को भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.” सबसे जरूरी बात यह है कि रिपोर्ट में कहा गया कि लड़की खतरे से बाहर थी जब उसने 22 सितंबर को पुलिस को अपना बयान दिया. हालांकि वह अभी भी आईसीयू में भर्ती थी.

दिन- 24 सितंबर-28 सितंबर:

अगले दिन, 24 फरवरी को एक पत्रकार ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि आगरा में एक दलित लड़की के साथ बलात्कार हुआ है और देश में दलित सिर्फ वोट बैंक बन गए हैं. इसी तरह समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह ने दावा किया कि आगरा में एक दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ और उन्होंने इस मामले को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा. हालांकि, दोनों ने आगरा में बलात्कार की एक घटना की बात की, लेकिन यह काफी हद तक निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वे दो कारणों से हाथरस मामले का जिक्र कर रहे थे. पहले तो आगरा पुलिस ने स्पष्ट किया कि आगरा में इस तरह की कोई रेप की घटना रिपोर्ट नहीं हुई और दूसरी बात, अनुजा जायसवाल ने किसी कारण से अपनी रिपोर्ट के लिए आगरा का उल्लेख किया था।

दिन- 26 सितंबर:

टीओआई ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें आगरा को स्थान के रूप में उद्धृत किया गया था. रिपोर्ट के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से में कहा गया, “लड़की के सबसे बड़े भाई ने कहा कि अगर उसकी मां बोलती तो जांच जल्द शुरू हो सकती थी.” लड़की के भाई, जिसने पहली पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी, ने टीओआई को बताया, “बाद में मेरी मां ने हमें बताया कि उसने मेरी बहन को अर्धनग्न अवस्था में पाया था. वह कलंक के बारे में चिंतित थी. इसके अलावा आरोपी प्रभावशाली जाति के हैं.” इन सब के बीच केस में एससी/एसटी एक्ट के तहत शुल्क भी जोड़े गए और गांव में पीएसी बल तैनात कर दिया गया. पीड़िता को आगे के इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. तब तक वारदात के चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया था.

दिन- 29-30 सितंबर:

29 सितंबर के तड़के पीड़िता की सफदरजंग अस्पताल में तड़के मौत हो गई. दिन भर के विरोध और ड्रामे के बाद पीड़िता के शव को बूलगढ़ी ले जाया गया. पीड़िता की मौत के बाद भीम आर्मी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. आरोप लगा कि यूपी पुलिस ने परिवार को रातों-रात शव का अंतिम संस्कार करने पर मजबूर किया.

दिन- 30 सितंबर:

30 सितंबर सुबह करीब 3 बजे हाथरस डीएम के आदेश के तहत अधिकारियों द्वारा पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया. आरोप लगा कि अंतिम संस्कार के समय परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि परिवार की मंजूरी के बिना पीड़िता का दाह संस्कार किया गया था. हालांकि, पीड़िता के पिता पुलिस के साथ श्मशान घाट गए थे, जहां संस्कार किया गया था. पीड़िता के भाई का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें शव को श्मशान घाट ले जाने के लिए मजबूर किया.

पुलिस ने बताया कि शुरुआती मेडिकल रिपोर्ट में रेप के कोई निशान नहीं थे. पीड़िता की मौत के बाद आईपीसी की धारा 302 (हत्या) भी जोड़ी गई. एससी/एसटी एक्ट के तहत पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का आर्थिक मुआवजा दिया गया. इंटरनेट पर चल रहीं क्रूरता की खबरों को खारिज करते हुए पुलिस ने इस बात से इनकार किया कि पीड़िता की जीभ काट दी गई थी या उसकी आंखें निकाल ली गई थीं. पुलिस ने इनकार किया था कि उसकी रीढ़ की हड्डी को तोड़ दिया गया था.

दिन- 1 अक्टूबर:

एडीजी प्रशांत कुमार ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया था कि ‘जिन फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार था, वे प्राप्त हो गई हैं और एफएसएल रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर से लिए गए नमूनों में कोई शुक्राणु या वीर्य नहीं मिला है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कोई यौन हमला नहीं हुआ था, जैसा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से भविष्यवाणी की गई थी.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘हमलावरों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई और मामले में बार-बार स्पष्टीकरण के बावजूद, कुछ समूह झूठे दावों और गलत सूचनाओं के आधार पर जाति आधारित हिंसा भड़काने में शामिल रहे. उसी दिन, प्रियंका गांधी ने पीड़िता के पिता का एक वीडियो साझा किया जिसमें उन्होंने दावा किया कि उन पर दबाव डाला जा रहा था. इस बात के भी संकेत थे कि उन्हें कुछ खास लोगों द्वारा विशिष्ट बयान देने के निर्देश दिए जा रहे थे. पिता ने यह भी कहा कि वह इस मामले की सीबीआई जांच चाहते हैं. कहानी में सबसे बड़ा ट्विस्ट अगले दिन यानी 2 अक्टूबर को आया.

दिन- 2 अक्टूबर:

सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और कुछ अन्य अधिकारियों को निलंबित करने का निर्देश दिया. यूपी सरकार ने आरोपी, शिकायतकर्ता और मामले में शामिल पुलिस अधिकारियों के लिए नार्को पॉलीग्राफ टेस्ट का भी आदेश दिया.

दिन- 3 अक्टूबर:

3 अक्टूबर को एसआईटी की जांच पूरी हुई और मीडिया को पीड़ित परिवार के गांव तक पहुंच मुहैया कराई गई. एसडीएम ने इस बात से भी इनकार किया कि पीड़ित परिवार के फोन जब्त कर लिए गए थे. उसी दिन पीड़िता की मां ने ‘आजतक’ से कहा कि वह इस मामले की सीबीआई जांच नहीं चाहती हैं. पीड़िता की मां ने यह भी कहा कि परिवार नार्को टेस्ट नहीं कराएगा. उनका तर्क था कि वे नहीं जानते कि नार्को टेस्ट क्या होता है और इसलिए वे इसे नहीं कराएंगे. साथ ही, एक कांग्रेस समर्थक साकेत गोखले ने जांच अधिकारियों को पीड़िता के परिवार का नार्को टेस्ट कराने से रोकने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

सीएम योगी ने उसी दिन मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए. हालांकि, पीड़िता के भाई ने इस फैसले का विरोध किया क्योंकि एसआईटी की जांच जाहिर तौर पर चल रही थी. एक और रिपोर्ट है जो 3 अक्टूबर को प्रकाशित हुई थी, जिसने संभावित विरोधाभास का संकेत दिए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता के बड़े भाई का कहना है कि वह खेत में था लेकिन बहुत दूर था और उसकी मां पहले ही घास लेकर घर जा चुकी थी. उसका कहना था कि उसने ही पीड़िता को ढूंढा था. हालांकि यह इस मामले के बारे में ज्ञात हर चीज के विपरीत है. लगभग सभी रिपोर्ट्स इस बात से सहमत हैं कि मां ने ही बेटी की खोज की थी और उसके अपने बयान इस बात की पुष्टि करते हैं.

दिन- 21 नवंबर-2 मार्च 2023:

21 नवंबर को सीबीआई अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों को पॉलीग्राफ व ब्रेन मैपिंग जांच कराने के लिए गुजरात ले गई. आरोपियों को 6 दिसंबर को फिर गुजरात से अलीगढ़ जेल में निरुद्ध किया गया.
18 दिसंबर 2020 को सीबीआई ने जांच के बाद हाथरस के विशेष न्यायालय (एससी-एसटी एक्ट) में चारों अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. 02 मार्च 2023 को कोर्ट ने एक आरोपी को दोषी माना और तीन को बरी किया.

हाथरस केस में सीएम योगी ने भी विपक्षी दलों पर देश भर में दंगे भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया. किसी का नाम लिए बिना यूपी के सीएम की टिप्पणी यूपी पुलिस द्वारा आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आई, जिसमें घटना का उपयोग करके राज्य में हिंसा भड़काने के लिए आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया. उस दावे के मुताबिक ‘जस्टिस फॉर हाथरस’ नाम की एक वेबसाइट बनाई गई और फर्जी आईडी के जरिए हजारों लोगों को वेबसाइट से जोड़ा गया.

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