अनूठी मिसाल! धर्म से मुस्लिम और 5 वक्त के नमाजी को है रामचरितमानस-गीता का कंठस्थ ज्ञान

संतोष सिंह

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Basti News: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और बिहार में आरजेडी मंत्री के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान के बाद सियासी भूचाल आ गया है. सभी राजनीतिक पार्टियां अपने वोटबैंक के हिसाब से बयान दे रही हैं. मगर आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो धर्म से तो मुस्लिम हैं, लेकिन रामचरितमानस, गीता और कुरान का उन्हें कंठस्थ ज्ञान है.

बता दें कि उन्हें सिर्फ हिंदू धर्म का ज्ञान ही नहीं है बल्कि वह हिंदू धर्म के ग्रंथों की चौपाइयों का किसी विद्वान पंडित से भी ज्यादा अच्छी तरह से उच्चारण करते हैं और उसका भावार्थ लोगों को समझाते हैं. बता दें कि पेशे से वकील बदीउज्जमा सिद्दीकी ने जब हर रोज गीता और रामायण का पाठ करने का फैसला किया तो उनके इस फैसले को लेकर भारी हंगामा हुआ. मिली जानकारी के मुताबिक, उनके समाज के तथाकथित ठेकेदारों ने इसे समाज और धर्मद्रोह तक की संज्ञा दे डाली थी, लेकिन तब की बात अब आई-गई हो गई है.

पांच वक्त की पढ़ते हैं नमाज और करते हैं गीता का पाठ

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पेशे से वकील बदीउज्जमा आज 5 समय की नमाज भी पढ़ते हैं और अपने घर बैरागल गांव में गीता और रामायण का पाठ भी करते हैं. यहां तक की बस्ती कचहरी में स्थित उनके चेंबर के टेबल पर भी गीता देखी जा सकती है. बताया जाता है कि उन्हें गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक कंठस्थ हैं. ऐसे में उनकी गिनती क्षेत्र में हिंदू धर्म के अच्छे विद्धानों में होने लगी है.

यहां तक कि वह अपने क्लाइंट को भी गीता का उपदेश देने से नहीं चूकते हैं. बदीउज्जमा बताते हैं, “बचपन से ही उन्हें हिंदू धर्म ग्रंथों में आस्था रही है. इसलिए संस्कृत में पढ़ाई करके साहित्याचार्य की उपाधी भी हासिल कर ली.”  बदीउज्जमा कहते हैं कि संस्कृत और हिंदू धार्मिक ग्रंथों को लेकर उनका लगाव देखते हुए उनके समाज के लोगों ने उनका विरोध किया. मगर मैंने समय-समय पर अपने तर्कों से सबकी आवाज बंद कर दी.

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40 साल से कर रहे हैं रामचरितमानस और रामायण का पाठ

68 साल के बदीउज्जमा का दावा है कि वह पिछले 40 सालों से गीता, श्रारामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण का पाठ कर रहे हैं. वह चुनौती देते हुए कहते हैं कि उनके इलाके का कोई पंडित शास्त्रार्थ कर उनका मुकाबला नहीं कर सकता है.

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अधिवक्ता हनुमान प्रसाद भी दावा करते हुए कहते हैं कि बदीउज्जमा के घर पर हिंदू धर्मग्रंथों की पूरी लाइब्रेरी है. बताया जाता है कि बदीउज्जमा अपने वकील साथियों को भी अकसर गीता और रामायण का उपदेश देकर उनकी समस्याओं का समाधन करते रहते हैं.

स्वामी प्रसाद और कथित विवादित चौपाई पर ये बोले

बदीउज्जमा सिद्दीकी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस की चौपाई ढोल गंवार शुद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी के भावार्थ को गलत ठहराते हुए बताया कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने गलत बयान दिया है. इस चौपाई में गोस्वामी जी ने ढोल का जो शाब्दिक अर्थ बताया है कि उसमें ढोल एक ऐसी चीज है, जिसके सौंदर्य को बढ़ाने के लिए उसमें थाप दी जाती है. तभी ढोल के अंदर से सुरीली आवाज निकलती है. गंवार का शाब्दिक अर्थ है कि जो अज्ञानी व्यक्ति है उसको हम उत्साहित नहीं करेंगे तो उसमें ज्ञान कहां से आएगा. उन्होंने आगे कहा कि इस चौपाई में शुद्र का शाब्दिक अर्थ है कि जब समाज वर्गीकृत किया गया था तो उसमें शूद्र को समाज को चलाने का दायित्व दिया गया था. इसमें उसकी ताड़ना का कोई अर्थ नहीं है. इसी तरह पशु और नारी को भी नियंत्रित रखने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं. इस चौपाई में तुलसीदास जी का यही मानना है. मगर स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस चौपाई को लेकर जो बयान दिया है वह राजनीति से प्रेरित है. उन्होंने भावनाओं को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया है.

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