लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अब तक क्या-क्या कार्रवाई हुई? विस्तार से जानिए
Lakhimpur Kheri Violence: देश के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा किसानों को थार जीप से रौंदने के मामले में जेल की…
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Lakhimpur Kheri Violence: देश के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा किसानों को थार जीप से रौंदने के मामले में जेल की हवा खा रहा है. घटना के बाद गृह राज्य मंत्री का एक बयान आपको याद होगा जब उन्होंने दावा किया था कि अगर उनके बेटे की मौजूदगी घटनास्थल पर कोई साबित कर दे तो वह मंत्री पद छोड़ देंगे. बता दें कि लखीमपुर पुलिस ने इस मामले की जांच में पाया कि मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा घटनास्थल पर मौजूद था. पुलिस ने जांच में आशीष मिश्रा को किसानों की हत्या, हत्या का प्रयास में आरोपी बताया है. पुलिस की दाखिल की गई चार्जशीट के बाद अब लखीमपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में आरोप तय हो चुके हैं और 16 दिसंबर से ट्रायल भी शुरू हो जाएगा.
गौरतलब है कि मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी ने 3 जनवरी 2022 को 5000 पन्ने की चार्जशीट दाखिल की थी. पुलिस की चार्जशीट में आशीष मिश्रा समेत कुल 14 लोग आरोपी बनाए गए. जिनमें पहले नंबर पर मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा के साथ अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, सत्यम त्रिपाठी, लतीफ काले, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडे, लवकुश, शिशुपाल, उल्हास त्रिवेदी, रिंकू राणा, धर्मेंद्र सिंह बंजारा के साथ वीरेंद्र कुमार शुक्ला का भी नाम तथ्य छिपाने के आरोप में शामिल किया गया.
वीरेंद्र कुमार शुक्ला की ही वह तीसरी स्कॉर्पियो थी जिसको पुलिस ने लावारिस हालत में बरामद किया था. पुलिस ने अपनी चार्जशीट में वीरेंद्र शुक्ला को आईपीसी की धारा 201 यानी साक्ष्य छुपाने का आरोपी बनाया. जबकि आशीष मिश्रा समेत सभी 13 आरोपियों के ऊपर जो चार्जशीट दाखिल की गई उसमें आईपीसी की धारा 147,148, 149, 307, 302, 326, 120 बी, 30 आर्म्स एक्ट और 177 एमवी एक्ट लगाया गया.
पुलिस ने अपनी चार्जशीट में करीब 100 से अधिक फोटो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस के तौर पर शामिल किए. इसके साथ ही कॉल डिटेल, मोबाइल लोकेशन, मोबाइल टावर रिकॉर्ड, बैलिस्टिक रिपोर्ट भी पुलिस ने चार्जशीट में बतौर सुबूत के तौर पर लगाई. पुलिस की तरफ से दाखिल की गई चार्जशीट पर अब आरोप तय हो चुके हैं. आशीष मिश्रा समेत कुल 14 आरोपियों पर आरोप तय किए गए हैं.
वीरेंद्र कुमार शुक्ला को सिर्फ तथ्य छुपाने का आरोपी माना गया है. मार्च महीने से चल रही आरोप तय होने की कार्रवाई में पूरे 9 महीने लग गए. अब मामला ट्रायल पर आ गया है. किसानों की तरफ से केस लड़ रहे वकील अमान खान कहते हैं कि ‘आरोप तय होने में वक्त जरूर लगा लेकिन इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की नजर है. लिहाजा खतरा कम है लेकिन खत्म नहीं हुआ है. ट्रायल में गवाहों के मुकरने का खतरा जरूर है, लेकिन गवाहों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सुरक्षा मिली है. पुलिस की जांच निष्पक्ष रूप से की गई, तभी आशीष मिश्रा को अभी तक बेल नहीं मिली जो न्याय की उम्मीद जगाता है.’
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वहीं, दूसरी तरफ आशीष मिश्रा के वकील अवधेश सिंह को अब कोर्ट से आशीष के बरी होने की उम्मीद है. अवधेश सिंह कहते हैं कि ‘आशीष मिश्रा घटना के वक्त घटनास्थल पर थे ही नहीं. गलत तथ्यों के आधार पर चार्जशीट लगाकर झूठा फंसाया गया है. पुलिस की चार्जशीट तथ्यहीन है, ट्रायल में आशीष मिश्रा जरूर बरी हो जाएंगे.
गौरतलब है कि लखीमपुर हिंसा मामले में कुल 8 लोगों की जान गई थी. आशीष मिश्रा की गाड़ी से किसान नक्षत्र सिंह, लवप्रीत सिंह, दलजीत सिंह और गुरविंदर सिंह की जान गई, तो वहीं बनवीरपुर में हो रहे दंगल कार्यक्रम की कवरेज करने गए स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप भी को भी थार जीप ने रौंद कर मार डाला था.
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