मेरठ: जननांग नहीं थे विकसित, ऑपरेशन कर दो को लड़की, एक को लड़का बनाया पर बच्चे नहीं होंगे

उस्मान चौधरी

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मेरठ मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिस्ट ब्लॉक में मेडिकल साइंस से जुड़ी नई-नई उपलब्धियां सामने आ रही हैं. ऐसी ही एक नई उपलब्धि सामने आई है. सर्जरी विभाग अध्यक्ष डॉक्टर सुधीर राठी की अगुवाई में महीने भर मे तीन लोगों की सर्जरी के बाद जननांगों से जुड़ी समस्या को ठीक कर 2 को लड़की और एक को लड़का बनाया गया है. तीनों मरीज स्वस्थ हैं. आपको बता दें कि यह मेरठ के मेडिकल कॉलेज कैंपस में अपनी तरीके का पहला मामला है.

इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने बताया कि तीनों मरीजों में पुरुष वाले एक्स-वाई क्रोमोसोम थे, लेकिन इनके जननांग पूरी तरीके से विकसित नहीं हो पाए थे. इसके बाद दो मरीजों ने लड़की बनना स्वीकार किया और एक ने लड़का. लंबे ऑपरेशन के बाद इनमें 2 को लड़की और एक को लड़का बनाने में सफलता मिली है.

डॉक्टर ने बताया कि लगभग 3 माह पहले क्रमशः 17, 18, 19 साल के 3 लोगों ने ग्रंथि रोग विभाग में परामर्श लिया. इन तीनों के जननांग विकसित नहीं थे, जिस कारण उन्हें पता नहीं था कि वह लड़का है या लड़की. मरीज की जेनेटिक एनालिसिस पर पता चला कि तीनों के क्रोमोसोम एक्स-वाई हैं. हालांकि जननांग पूरी तरीके से विकसित नहीं थे. इसके बावजूद तीनों को लड़का-लड़की, दोनों रूप में बदला जा सकता था, लेकिन दो ने लड़की और एक ने लड़का बनने का फैसला किया.

डॉक्टरों ने यह भी बताया कि लड़का से लड़की बनना एक आसान प्रक्रिया है, लेकिन लड़की से लड़का बनना कठिन प्रक्रिया है. लड़का बने मरीज के जननांग को बनाने के लिए उसके बाएं हाथ के मांस का इस्तेमाल किया गया. इस सर्जरी में करीब 8 घंटे का समय लगा और मरीज का ऑपरेशन पूरी तरीके से सफल रहा. मरीज अब पूरी तरीके से स्वस्थ है.

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वहीं लड़की बनी मरीजों के जननांग निर्माण के लिए बड़ी आंत का टुकड़ा इस्तेमाल किया गया. मेरठ मेडिकल के डॉक्टर का कहना है कि तीनों लोग ही सामान्य जीवन एवं वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकते हैं परंतु संतान उत्पत्ति नहीं कर सकते हैं. मेरठ मेडिकल कॉलेज के अभी डॉक्टर इस उपलब्धि से काफी खुश हैं और उनका कहना है कि आने वाले समय में मेरठ मेडिकल कॉलेज में और भी तरीके से अलग-अलग ऑपरेशंस की तैयारियां की जा रही हैं.

मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य आरसी गुप्ता का कहना है कि यहां यह अपने तरीके का पहला मामला है. पहली बार है कि इस तरीके से लिंगारोपण का ऑपरेशन कर दो को लड़की और एक को लड़का बनाया गया है.

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