वाराणसी: नाराज नाविक समाज कर सकता है निकाय चुनाव में बड़ा उलटफेर, कैंडिडेट उतारने का प्लान

रोशन जायसवाल

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आगामी नगर निगम चुनाव में वाराणसी में लाखों की संख्या में नाविक समाज कोई बड़ा उलटफेर कर सकते हैं और तो और इस समाज के लोगों ने इस बार अपने बीच का खुद का प्रत्याशी उतारने का भी इरादा बना लिया है. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वाराणसी पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नाविकों में भारी गुस्सा है.

आरोप है कि नाविकों का उत्पीड़न किया जा रहा है. दरअसल पिछले हफ्ते हुए नाव हादसे के बाद वाराणसी पुलिस-प्रशासन गंगा में नौका संचालन को लेकर सख्त हो गया है.

वाराणसी नगर निकाय के 100 वार्ड्स में लगभग दो दर्जन से ज्यादा वार्ड्स नाविक समाज के प्रभाव वाले क्षेत्र माने जाते हैं, जिसमें लाखों की संख्या में मतदाता रहते हैं. लेकिन इस बार वाराणसी के नाविक समाज ने खुद अपने बीच का प्रत्याशी निकाय चुनाव में उतारने का मूड बना लिया है.

यह निर्णय हजारों नाविकों ने दशाश्वमेध घाट पर हुए नाविकों की उस महापंचायत के दौरान लिया जो पुलिस के उत्पीड़न के खिलाफ हुआ था. उस दौरान वाराणसी में गंगा में नौका संचालन भी ठप कर दिया गया था.

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महापंचायत के दौरान नाविक समाज के वरिष्ठों में से एक केदारघाट के रहने वाले पप्पू मांझी ने बताया कि वे आपसी संबंधों पर प्रत्याशियों को जिताते हैं, लेकिन उसके बावजूद न तो क्षेत्र का सभासद और न ही विधायक ध्यान देता है और न ही उनका मुद्दा उठाता है.

शिवाला घाट निवासी प्रमोद मांझी ने बताया कि पहली बार उनको नगर निगम ने रावण बनाकर प्रस्तुत किया है और खुद को राम, इसलिए इस बार नगर निगम में ऐसे लोगों को भेजने जा रहें हैं जो नाविक समाज के मुद्दों को सदन में रखें.

वहीं युवा नाविक हरिश्चंद्र ने बताया कि नाविकों के नाव का लाइसेंस वाराणसी में नगर निगम ही जारी करता है और वही जवाबदेह होता है. लेकिन नगर-निगम के प्रतिनिधि की कोई ताकत नहीं होती है. इसलिए इस बार समाज के युवा प्रयास कर रहें हैं चुनाव लड़ने की, क्योंकि निगम के सदन पटल पर जब मजबूती से हमारी समस्या को कोई रखने वाला होगा तो समाधान निकलेगा.

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वहीं नाविकों के साथ देने वाले समाजसेवी अनुपम राय ने बताया कि जिस समाज के लोगों ने भगवान राम को पार लगाया, आज की सत्ता उन्हीं को पार लगाने में लगी हुई है. इनको नगण्य इसलिए माना जाता है. ऐसी क्या मजबूरी थी कि नाविकों पर पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ गया?

उन्होंने आगे कहा कि अगर प्रशासन इनकी समस्या का समाधान कर देता है तो इनको लड़ना ही नहीं पड़ेगा. आखिर में अपना रोजगार बंद करके कोई बैठक कर रहा है तो आज उनके घर में चूल्हा कैसे जलेगा? नाविक समाज रोज कुआं खोदता है और रोज पानी पीता है. प्रदूषण को देखते हुए इनके नाव में CNG लगाया जा रहा है, लेकिन पीएम का भेजा क्रूज डीजल से चलेगा, ये कहां का इंसाफ है?

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