ज्ञानवापी के ASI सर्वे का मुस्लिम पक्ष ने किया बॉयकाट, बोला- इस तरह का आदेश नहीं देना चाहिए था

रोशन जायसवाल

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Varanasi News: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे ASI की टीम आज यानी सोमवार सुबह से कर रही है. मिली जानकारी के मुताबिक, ASI के करीब 40 सदस्य ज्ञानवापी परिसार का सर्वे करने के लिए अंदर गए हैं. सर्वे को देखते हुए वाराणसी में काफी हलचल है. एक तरफ जहां हिंदू पक्ष इसे अपनी बड़ी सफलता मान रहा है तो वहीं मुस्लिम पक्ष इस सर्वे से खुश नहीं है.  

इसी बीच ज्ञानवापी के मस्जिद कमेटी ने ASI के इस सर्वे का बहिष्कार कर दिया है. मिली जानकारी के मुताबिक, बीती रात को ही मस्जिद कमेटी ने वाराणसी प्रशासन को लिखकर दिया है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक वह इसमें हिस्सा नहीं लेंगे.

‘सुप्रीम कोर्ट जाएगा मुस्लिम पक्ष’

बता दें कि आज यानी सोमवार सुबह 7 बजे से शुरू हुआ ASI सर्वे का मुस्लिम पक्ष ने पूरी तरह से बायकॉट कर दिया है. मिली जानकारी के मुताबिक, आज हो रही ASI कार्रवाई के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में भी अपनी बात आज ही रखेगा. मुस्लिम पक्ष का मानना है कि कोर्ट ने एक दूसरे मामले में पहले ही ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पर रोक लगा रखी है. ऐसे में जिला जज का आदेश और ASI की कार्रवाई सही नहीं है. 

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‘ASI की कार्रवाई में शामिल होने का सवाल ही पैदा नहीं होता’

ज्ञानवापी मस्जिद के इमाम अंजुमन इंतजामिया मसाजिद समिति के जनरल सेक्रेटरी और मुफ्ती ए बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने ASI सर्वे का बहिष्कार किया है. उन्होंने कहा, “एएसआई की तरफ से उनको किसी तरह का नोटिस नहीं दिया गया है. इसलिए उनकी कार्रवाई में शामिल होने का सवाल ही पैदा नहीं होता.”

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उन्होंने आगे बताया कि जिला जज के ASI सर्वे के आदेश के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट में आज उसी को लेकर सुनवाई भी हुई है. इस दौरान उन्होंने जिला जज के आदेश पर भी सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा, “जब 1991 से ही एक दूसरे मामले में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई सर्वे पर रोक लगाई गई है तो जिला जज को इस तरह का आदेश नहीं देना चाहिए था, लेकिन इसके बावजूद जब आदेश दिया गया तो उसके खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट गए हुए हैं.” उन्होंने आगे कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट में यह पक्ष रखा जाएगा कि जब 1991 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे पर रोक लगाई गई है तो क्या यह कार्रवाई कोर्ट की अवमानना नहीं है?

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