हैदराबाद में KCR से मिले चंद्र शेखर आजाद, अब अंदर की तस्वीर और खबर भी आई सामने
उत्तर प्रदेश की सियासत में इस समय एक नाम खासा सुर्खियां बटोर रहा है. ये नाम है भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद का. सियासी हलकों…
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उत्तर प्रदेश की सियासत में इस समय एक नाम खासा सुर्खियां बटोर रहा है. ये नाम है भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद का. सियासी हलकों में चंद्रशेखर आजाद की राजनीतिक ताकत को हल्के में नहीं आंका जा रहा है. तभी तो समाजवादी पार्टी से लेकर राष्ट्रीय लोकदल के नेता भी समय-समय पर चंद्रशेखर आजाद से मुलाकात करते रहते हैं और राजनीतिक रणनीतियां बनाते रहते हैं.
इसी बीच भीम आर्मी प्रमुख ने बीते शुक्रवार यानी कल हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रखेखर से मुलाकात की. बता दें कि दोनों के बीच ये मुलाकात हैदराबाद के प्रगति भवन में हुई. इस दौरान चंद्रशेखर के साथ राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्यों अवाइज़ तज़ीम अहमद और जतिन गोराईया भी थे. इस मुलाकात की जानकारी खुद भीम आर्मी चीफ ने ट्वीट करके दी.
क्या कहा चंद्रशेखर आजाद ने
भीम आर्मी चीफ ने ट्वीट किया, “कल हैदराबाद के प्रगति भवन में राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्यों अवाइज़ तज़ीम अहमद और जतिन गोराईया के साथ तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव जी से मुलाकात की. तेलंगाना के गठन में शामिल संघर्षों, बलिदानों और योजना के बारे में जाना. उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर दलितों के सशक्तिकरण पर अपने विचार साझा किए और बताया कि दलित बंधु इसके लिए एक आदर्श मॉडल कैसे हो सकता है.”
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Yesterday met Chief Minister of Telangana K. Chandrashekhar Rao ji with National Core Committee members Avaiz Tazim ahmad and Jatin Goraiya at Pragati Bhawan, Hyderabad. Got to know about the struggles, sacrifices and planning involved in the formation of Telangana.
He shared his… pic.twitter.com/QIsOMDAliF— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) July 29, 2023
आखिर क्या सियासी संदेश देना चाहते हैं चंद्रशेखर
दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 करीब हैं. ऐसे में दलित वोट बैंक को लेकर एक बार फिर राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं. उत्तर प्रदेश में मायावती की बहुजन समाज पार्टी से लेकर समाजवादी और भारतीय जनता पार्टी तक दलित वोट बैंक अपने-अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं. मगर देशभर में दलित वोट किस करवट बैठेगा, इसका अंदाजा फिलहाल राजनीतिक पंडित भी नहीं लगा पाए हैं.
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माना जा रहा है कि भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के बीच दलितों के हितों को लेकर पैन इंडिया स्तर की बात हुई है. यहां बात तो दलित मुद्दे पर हुई है. मगर माना जा रहा है कि इस मुलाकात का असल लक्ष्य दलित सियासत को अपने-अपने खेमे में बैठाना है और दलित वर्ग को बड़ा राजनीतिक संदेश देना है.
सभी की नजर दलित वोट बैंक पर
दरअसल कांग्रेस लोकसभा चुनाव 2024 में दलित वोट को अपने खेमे में लाना चाहती है. माना जाता है कि कांग्रेस ने इसलिए ही दलित समुदाय से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है, जिससे कांग्रेस दलित वर्ग तक अपना संदेश आसानी से पहुंचा पाए. दरअसल कांग्रेस को लगता है कि यूपी में मायावती की राजनीतिक ताकत कमजोर हुई है और उनका वोट खासकर दलित वोट उनके हाथों से दरक रहा है. ऐसे में दलित राजनीति का जो स्पेस खाली हो रहा है, कांग्रेस उसपर कब्जा करके यूपी की राजनीति में जोरदार वापसी करना चाहती है तो वहीं देशभर के दलित वोट बैंक पर भी कब्जा जमाना चाहती है.
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तो वहीं दूसरी तरफ केसीआर और चंद्रशेखर आजाद भी विपक्ष के सियासी दलों को अपनी राजनीतिक ताकत दिखाना चाहते हैं. इसलिए दोनों दलित राजनीति को धार देने में जुटे हुए हैं. राजनीतिक पंडितों की माने तो इस मुलाकात के सहारे जहां केसीआर तेलंगाना के दलितों को राजनीतिक संदेश दे रहे हैं तो वहीं चंद्रशेखर आजाद यूपी समेत देशभर के दलितों को अपनी ताकत और दलित राजनीति का एहसास करवा रहे हैं. दलित वोट बैंक किसके पक्ष में बैठता है, ये तो आने वाले आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव 2024 में पता चल ही जाएगा.
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