खतौली उपचुनाव: RLD के प्रचार के दौरान क्यों नहीं दिख रहे सपा के झंडे? जानिए वो वजह
यूपी तक की टीम आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ खतौली के कई गांव में गई थी, जहां जयंत चौधरी बकायदा गांव में जाकर लोगों…
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यूपी तक की टीम आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ खतौली के कई गांव में गई थी, जहां जयंत चौधरी बकायदा गांव में जाकर लोगों के घरों की कुंडिया खटखटा कर उन्हें अपनी पार्टी की तरफ से पर्ची दे रहे थे. मगर एक बात जो खटक रही थी वह यह कि आजाद समाज पार्टी यानी चंद्रशेखर रावण की पार्टी के झंडे और नेता तो साथ थे, लेकिन समाजवादी पार्टी का झंडा कहीं नहीं दिख रहा था. जमीनी स्तर पर दोनों पार्टियों का समन्वय ऐसा है कि सपा के चेहरे और सपा के झंडे जयंत के साथ नहीं दिखाई दे, लेकिन दोनों के वोट एक साथ पड़ने की संभावना है.
अखिलेश यादव का कार्यक्रम मैनपुरी के अलावा रामपुर में लगा है, जहां 3 दिसंबर को अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और चंद्रशेखर रावण एक साथ दिखाई देंगे. लेकिन खतौली के समीकरण में अखिलेश यादव फिट नहीं बैठ रहे हैं.
आरएलडी को मालूम है कि मुस्लिम वोट उन्हें मिल रहा है और समाजवादी पार्टी अगर खुलकर प्रचार नहीं करती तो भी उन्हें नुकसान नहीं होगा. मुस्लिम वोट बैंक तो उन्हें मिलेगा ही. ऐसे में अगर सपा के झंडे और नेता खतौली में नहीं दिखाई दे तो उन्हें चुनाव प्रचार में आसानी होगी.
ये एक अनकही रणनीति है कि जाट इलाकों में सपा के नेता और झंडा नहीं दिखाई दे, लेकिन दलित-जाट की एकता दिखे, इसलिए जयंत के जाट इलाकों में चुनाव प्रचार में सपा के झंडे और बैनर पोस्टर से आरएलडी परहेज कर रही है.
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रणनीति साफ है कि पश्चिमी और खासकर मुजफ्फरनगर में चुनाव में मुद्दे चाहे जितने उठ जाएं, आखिर होते-होते यह कानून व्यवस्था और हिंदू मुस्लिम पर आ जाता है. ऐसे में हिंदू और मुस्लिम में चुनाव नहीं बंटे, इसी स्ट्रेटेजी की झलक खतौली में जमीन पर दिखाई दे रही है.
अखिलेश यादव वैसे भी उपचुनाव में प्रचार नहीं करते, लेकिन इस बार डिंपल यादव के चुनाव प्रचार में रमे हैं. दूसरी तरफ रामपुर भी जाएंगे लेकिन वह खतौली प्रचार करने नहीं आ रहे. वजह साफ है कि खतौली बीजेपी का गढ़ है जहां कई बार से बीजेपी चुनाव जीत रही है और जयंत चौधरी की रणनीति है कि इस बार यह चुनाव हिंदुओं के बीच हो, जिसमें जाट, गुर्जर और दलित आरएलडी के साथ आ जाएं खुले तौर पर, जबकि मुसलमान तो वोट देंगे ही.
फिलहाल मुस्लिम इलाकों में शांति है वहां इस बार वोटिंग को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखाई दे रहा. मुसलमानों को भी लग रहा है कि जब अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाना था तब उन्होंने आक्रामक तरीके से वोट किया था लेकिन इस बार सरकार बनाने का चुनाव नहीं है , इसलिए शांति से ही वोट देना बेहतर है.
खतौली कस्बे में सपा के दफ्तर के नजदीक अकील अहमद ने यूपी तक को बताया कि उनका वोट तो आरएलडी को जाएगा, लेकिन मुसलमानों का एक तबका बीजेपी को भी वोट करेगा, जो सरकार और प्रशासन के नजदीक है.
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जयंत चौधरी सोमवार को फीमपुर गांव सहित तीन गांव में माइक्रो कैंपेन पर उतरे थे. जहां वह जाट बहुल गांव में घर घर जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे और सभी से पांच दिसंबर को आरएलडी को वोट देने की खास अपील कर रहे थे. जयंत चौधरी की कोशिश है कि इस चुनाव को हिंदू-मुसलमान से बाहर निकाल कर दलित-गुर्जर -जाट और मुसलमानों का समीकरण तैयार कर लिया जाए.
बीजेपी से मुजफ्फरनगर के सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने यूपी तक से बातचीत में कहा कि जो नेता हेलीकॉप्टर से नीचे नहीं उतरता था, उसे गली-गली घूमने पर मजबूर कर दिया है. यह भी हमारी एक उपलब्धि है. बहरहाल संजीव बालियान का मानना है कि मुसलमान वोट इस बार कुछ मात्रा में बीजेपी को भी मिलेगा और उसकी वजह साफ है कि उन्हें सरकार बदलने के लिए वोट नहीं करना.
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