मैनपुरी उपचुनाव: अखिलेश के पास ये चार विकल्प थे, पर डिंपल यादव को ही क्यों चुना गया? जानिए

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

Mainpuri By-election: समाजवादी पार्टी (सपा) ने 5 दिसंबर को होने वाले मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए पूर्व सांसद और पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. 10 अक्टूबर को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण यह सीट खाली हुई थी. डिंपल को चुनने के फैसले ने राजनीतिक हलकों में कुछ आश्चर्य पैदा कर दिया है, क्योंकि अखिलेश के चचेरे भाई और मैनपुरी के पूर्व लोकसभा सांसद तेज प्रताप यादव की यहां से चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना मनाई जा रही थी. ऐसा कहा जा रहा है कि मैनपुरी में परिवार की विरासत दांव पर लगी होने के कारण डिंपल यादव को तेजप्रताप से पहले चुना गया.

डिंपल यादव को ही क्यों चुना गया? जानिए

सपा नेताओं का कहना है कि मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की मौत के आलोक में डिंपल की उम्मीदवारी से सहानुभूति वोट मिलने में मदद मिलेगी. सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “अखिलेश यादव के पास चार विकल्प थे: तेज प्रताप यादव, चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव या परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति. अधिकांश लोगों ने ऐसा मान लिया था कि तेज प्रताप होगा को टिकट मिल जाएगी, लेकिन अखिलेश ने डिंपल को चुना, क्योंकि वह शायद मैनपुरी में नेताजी (मुलायम) की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सबसे उपयुक्त हैं.”

उन्होंने कहा, “वह भाजपा के खिलाफ सबसे मजबूत विकल्प भी हैं. साथ ही, शिवपाल यादव (अखिलेश से अलग हुए उनके चाचा) के लिए मुलायम सिंह यादव की बहू के खिलाफ मैनपुरी से चुनाव लड़ना अब आसान नहीं होगा.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

सपा के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि डिंपल यादव के नाम को मैनपुरी में अखिलेश ने यादव और मुस्लिम समुदायों के पार्टी नेताओं के साथ-साथ यादव कबीले के बुजुर्गों के बीच कई दौर की बैठकों के बाद तय किया है.

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “मैनपुरी में जाति समीकरण पर विचार करें, जहां शाक्य समुदाय और ठाकुर वोट महत्वपूर्ण हैं. पार्टी ने हाल ही में आलोक शाक्य को मैनपुरी जिला अध्यक्ष बनाया है और डिंपल शादी से पहले जाति से ठाकुर हैं. यह सब एक रणनीति का हिस्सा है.”

डिंपल के उपचुनाव में जीत को लेकर सपा के कई नेता आश्वस्त हैं. ”सपा प्रवक्ता अमीक जमी ने कहा, “हम फैसले का स्वागत करते हैं. इससे पहले, हमारे पास राज्यसभा में एक महिला सांसद (जया बच्चन) थी; अब हमारे पास लोकसभा में होंगी. हम मैनपुरी में आसानी से जीत जाएंगे.”

ADVERTISEMENT

वहीं, भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “मैनपुरी की सीट भाजपा जीतेगी चाहे सपा ने किसी को भी मैदान में उतारा हो. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का एक ही काम है- नारे लगाना का. उन्हें चुनाव टिकट नहीं मिलेगा, क्योंकि उस पार्टी में केवल एक परिवार को चुनाव लड़ने का अधिकार है.”

आपको बता दें कि मैनपुरी सपा परिवार का गढ़ रहा है. यहीं से मुलायम पहली बार 1996 में सांसद चुने गए थे. उन्होंने इस सीट से तीन बार 2004, 2009 और 2019 में सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा था. 2014 के उपचुनाव में यह सीट तेज प्रताप ने जीती थी.

गौरतलब है कि डिंपल दो बार कन्नौज से लोकसभा सांसद रह चुकी हैं. मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव, जो 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गईं, को भगवा पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपनी शुरुआत का इंतजार है. अपर्णा के करीबी सूत्रों का दावा है कि उनके पास मैनपुरी से भाजपा का टिकट हासिल करने का मौका है, हालांकि पार्टी का एक वर्ग गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवार के पक्ष में है.

ADVERTISEMENT

SP, BJP से पहले राजभर ने मैनपुरी, खतौली उपचुनाव में खड़े किए कैंडिडेट, इन्हें दिया टिकट

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT