गाजीपुर में सपा के साथ बसपा पर भी खूब बरसे, आखिर चल क्या रहा है ओम प्रकाश राजभर के मन में?

विनय कुमार सिंह

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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) की सियासत कब कौन सा ठौर पकड़ ले, कुछ कहा नहीं जा सकता. यूपी में सपा (Samajwadi Party) के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद फिलहाल राजभर सपा के ही खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर नजर आए हैं. पर इस बार उन्होंने मायावती (Mayawati) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) को भी नहीं बख्शा है.

आपको बता दें कि ओमप्रकाश राजभर निजी कार्यक्रमों शामिल होने के लिए गाजीपुर पहुंचे हुए थे. इसी दौरान उन्होंने अखिलेश यादव की सपा और मायावती की बसपा पर निशाना साधते हुए, दोनों को पिछड़ों और दलितों का असली दुश्मन बताया डाला. ओमप्रकाश राजभर ने पल्लवी पटेल के विपक्षी एकजुटता को लेकर दिए गए हालिया बयान पर कहा कि परिवार की फूट विनाश का कारण बनती है. हालांकि उन्होंने पल्लवी पटेल के इस विचार का स्वागत भी किया और कहा कि, ‘उनकी सोच अच्छी है. दुर्भाग्य है कि पिछड़े और दलितों की दुहाई देने वाले जो बड़े नेता हैं अखिलेश यादव और मायावती, दोनों खुद आपस में दुश्मन हैं और लड़ रहे हैं. अगर यह दोनों दलित और पिछड़ों के हितैषी हैं तो एक क्यों नहीं हो जाते?’

राजभर ने आगे कहा कि इन दोनों के पास उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने भर का वोट है. उन्होंने कहा कि इनकी लड़ाई का नुकसान 69 हजार शिक्षक भर्ती वाले पिछड़े और दलितों को, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय में नियुक्ति की आस लगाए युवाओं को हो रहा है. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर अखिलेश यादव के हालिया बयान कि भाजपा और कांग्रेस एक हैं पर टिप्पणी करते हुए राजभर ने कहा कि जब इन नेताओं की जरूरत होती है तो समझौता हो जाता है, जब जरूरत पड़ी थी तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी साथ चुनाव लड़ी थी.

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राजभर ने समाजवादी पार्टी की सरकार में प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने का मुद्दा फिर उठाया. उन्होंने कहा कि, ‘हाई कोर्ट ने 4 सितंबर 2013 को एक आदेश दिया कि पिछड़े वर्ग के जो 27% आरक्षण है, उसका लाभ 12 जातियां उठा रही हैं, इसको बांटकर उत्तर प्रदेश की सरकार व्यवस्था बनाए कि सबको उसका लाभ मिले, उस समय मुख्यमंत्री कौन था? माननीय अखिलेश यादव जी, लेकिन इसको बहाल नहीं किया. 15 सितंबर 2013 को ही फिर आदेश आता है कि गरीब का बेटा और अमीर का बेटा एक साथ ही उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ेगे, इसकी व्यवस्था उत्तर प्रदेश सरकार करे, लेकिन उन्होंने नहीं किया?

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