आजम खान को हर वक्त सता रहा फिर से जेल जाने का डर? ऐसी बात कही जिसे सुन हर कोई चौंक गया
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान (Azam Khan) का दर्द झलक पड़ा. उन्होंने रामपुर स्थित जौहर यूनिवर्सिटी में झंडारोहण…
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान (Azam Khan) का दर्द झलक पड़ा. उन्होंने रामपुर स्थित जौहर यूनिवर्सिटी में झंडारोहण किया. इस मौके पर उन्होंने पिंजरे में बंद पक्षियों को भी आजादी दिलाई तो अपने दिल का दर्द जाहिर करते हुए एक बार फिर जेल जाने की आशंका जता डाली. ऐसे में जौहर यूनिवर्सिटी की देखभाल का आवाहन करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि एक दिन हालात अच्छे होंगे. आसमान में बदल जाएंगे और तपती धूप जैसी मुश्किलों से राहत मिलेगी.
स्वतंत्रता दिवस पर जौहर यूनिवर्सिटी में झंडारोहण करने के बाद आजम खान ने अपनी स्पीच के दौरान कहा,
“जो कहता हूं वह सच और सही होता है, उसकी सजा मुझको मिली भी है और हर वक्त अरमान है कि कब हम फिर उन जेल की दीवारों के बीच चले जाएं, जहां से हम 27 महीने तनहाई का सफर तय करके आए हैं. हर रात और हर सुबह इसी इंतजार में गुजरती है कि आज का दिन हमारा आजादी का गुजरा है, लेकिन अगला लम्हा क्या होगा. यह हमें खुद भी नहीं मालूम. हमें कैद कर देंगे. हम जेल में होंगे तो जिम्मेदारी आप पर होगी.”
उन्होंने आगे कहा कि हम आज 15 अगस्त पर आपको यह जिम्मेदारी देते हैं कि हम बाहर हो या ना हो आप इस ईंधारे की हमारे बच्चों की और हमारे बच्चियों की मुस्तकबिल की हिफाजत उस मलिक की दुआओं से करेंगे.
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रामपुरी चाकू को लेकर कही ये बात
आजम खान ने अपनी स्पीच में यह भी कहा, “यहां तक कि रामपुरी चाकू से फिल्मों में कत्ल किए जाने लगे और इसे लेकर रामपुर का चाकू एक दहशत हथियार के नाम से जाना गया. वह हमारी पहचान बन गया. मगर इस चाकू वाले रामपुर को दस्तकारी से या कारोबार से पहचान नहीं मिली. आज से कुछ साल पहले तक यही रामपुर के चाकू बनाने वाले लोग रामपुर की तहसील के सामने फुटपाथ पर बैठकर खुले में चाकू बेचा करते थे. उनके ऊपर पॉलिथीन की पन्नी का भी साया नहीं था.”
उन्होंने कहा,
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“जो लोग फुटपाथ पर बैठकर चाकू बेचा करते थे, उनके लिए एक बाजार बना और उसका नाम उस शख्स के नाम से रखा जो तारीख में आज भी अमर है. उसका नाम टीपू सुल्तान है. टीपू सुल्तान मार्केट रखा और फुटपाथ पर बैठने वाले लोगों के पास जो दुकाने हैं, आज उसकी कम से कम गैरकानूनी ही लफ्ज़ सही लेकिन उसकी पगड़ी एक करोड़ रुपए से ज्यादा है. एक तरफ वो जहन था जिसने रामपुर के चाकू को फिल्मों तक पहुंचा दिया और एक जहन यह था कि उसने इस शहर को तालीम के नाम से पूरी दुनिया तक पहुंचा दिया.”
आजम खान ने कहा कि यह तय आपको करना है कि आजादी के इस दिन हमें किस चीज को अपनाना है. हम कलम की धार से अपने आप को आगे बढ़ाएंगे या हथियार की धार से, यह आपको तय करना है. बहुत गर्मी है, बहुत सख्त मौसम है, कभी-कभी रह रहकर बादल आ जाते हैं, साया कर देते हैं. ऐसा ही साया यकीनन कभी आएगा. जब जुल्म की तपिश खत्म हो जाएगी और बगैर बादलों के भी हिंदुस्तान ठंडक महसूस करेगा. आप सबको आज के दिन की बहुत-बहुत मुबारकबाद.
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