Exclusive: RLD चीफ जयंत चौधरी ने बताया, कैसे जीता खतौली का रण और आगे क्या हैं तैयारियां

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Jayant Chaudhary interview over RLD-SP Khatauli victory: मैनपुरी उपचुनाव के नतीजे जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी के लिए खुशखबरी लेकर आए है, वहीं बीजेपी के लिए रामपुर में मिली जीत भी बड़ी कामयाबी मानी जा रही है. मैनपुरी, रामपुर की चर्चा के बीच एक जीत बेहद अहम रही, वो थी खतौली की. खतौली उपचुनाव में आरएलडी के उम्मीदवार मदन भैया ने बीजेपी की उम्मीदवार राजकुमारी सैनी को हरा दिया. इस जीत में आरएलडी चीफ जयंत चौधरी की भूमिका अहम रही. गुर्जर कैंडिडेट उतारना, चंद्रशेखर को गठबंधन से जोड़ना समेत कई फैक्टर्स जयंत ने जोड़े. हमसे बातचीत में जयंत ने खतौली सीट पर रणनीति के बारे में विस्तार से बताया:

सवाल: आप खतौली की जीत को कैसे देखते हैं और जीत के पीछे की अहम वजहें क्या रहीं?

उत्तर: ये जीत काफी अहम है. एंटी-इंकम्बेंसी सरकार के खिलाफ तेजी से बढ़ी है. ये गन्ना बेल्ट है, लेकिन यहां सरकार किसानों के मुद्दों पर फ्लॉप साबित हो रही है. इसका असर खतौली नतीजों पर भी पड़ा. वहीं पूर्व विधायक विक्रम सैनी से भी यहां की जनता नाराज़ चल रही है. इसके अलावा हमने अपने कैंपेन को बहुत माइक्रो-लेवल पर रखा. हमने बड़ी रैलियों के बजाए छोटी-छोटी जनसभाओं पर फोकस किया. डोर-टू-डोर कैंपेन किया, जो कि सफल रहा. जनता से हमने डायरेक्ट कनेक्ट किया इस चुनाव में. हमारे प्रत्याशी ने भी कम समय में मजबूती से चुनाव लड़ा.

सवाल: आप भीम आर्मी चीफ़ चंद्रशेखर के फैक्टर को कैसे देखते हैं? उन्होंने आपको समर्थन दिया था इस चुनाव में.

उत्तर: चंद्रशेखर का आना काफी पॉजिटिव साबित हुआ. हमने कॉम्बिनेशन जो ट्राई किया वो भी सफल रहा. आज की तारीख में जनता युवा नेताओं को पसंद करती है. चंद्रशेखर ने काफी संघर्ष किया है. कई मुद्दों पर वह काफी वोकल रहे हैं. जनता के बीच उनकी पकड़ बढ़ी है. ऐसे में उनका साथ आना हमारे गठबंधन के लिए फायदेमंद रहा है. हमें ऐसे चेंजमेकर्स को पहचानना होगा. हम राजस्थान भी साथ गए थे कुछ महीने पहले तो वहां भी रेस्पॉन्स प़ॉजिटिव मिला. इस जीत से पूरे पश्चिम यूपी में एक संदेश गया है.

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सवाल: क्या आप चंद्रशेखर को मायावती के विकल्प के तौर पर देख रहे हैं?

उत्तर: देखिए ये कहना जल्दबाज़ी होगा. इस पर मैं फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा. अभी हम साथ मिलकर चुनाव लड़े हैं और आगे भी लड़ेंगे.

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सवाल: मैनपुरी और रामपुर चुनाव के नतीजों को कैसे देखते हैं?

उत्तर: मैनपुरी का नतीजा सुखद रहा. वहां बड़ी जीत मिली लेकिन रामपुर में किस तरह से लोगों को वोट डालने से रोका गया, सबने देखा. सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया. खतौली में भी कोशिश की इन लोगों लेकिन हम जीत गए लेकिन रामपुर में तो लोगों ने वीडियो भी देखे. प्रशासन वोट डालने से रोक रहा था. इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. चाहे अब सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़े लेकिन जाएंगे.

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सवाल: क्या बीजेपी ने खतौली में उतना दम नहीं लगाया जितना मैनपुरी-रामपुर में लगाया?

उत्तर: ऐसा नहीं है कि बीजेपी ने खतौली में कोशिश नहीं की. बहुत कोशिश की. मुख्यमंत्री भी आए. प्रदेश अध्यक्ष रात-रात भर रुके फिर भी बीजेपी नहीं जीती. अब जनता इनकी राजनीति से ऊब रही है. खतौली ने साबित कर दिया. यहां बीजेपी की हिंदु-मुस्लिम पॉलिटिक्स अब नहीं चलने वाली. जनता असल मुद्दों का समाधान चाहती है अब.

सवाल: मुज़्जफरनगर दंगों का असर RLD की राजनीति पर भी पड़ा. खतौली जीत के बाद मुज्जफरनगर को कैसे देखते हैं आप?

उत्तर: बहुत हालात बदले हैं. चौधरी साहब (अजीत सिंह) के प्रयासों से, हम सभी की कोशिशों से मुज्जफरनगर में भाईचारा बढ़ा है. हमने भाईचारा जिंदाबाद कैंपेन भी चलाया. 9 साल में अब जाकर हालात बदले हैं. मुज्जफरनगर-शामली में बीजेपी के पास सिर्फ एक सीट बची है. आपको बीजेपी की नफरत भरी पॉलिटिक्स के खिलाफ़ खुलकर आना पड़ेगा. ये बात मैं सभी से कहता हूं . मेरा मानना है सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड से ज्यादा सभी समाज की यूनिटी की बात करनी पड़ेगी. लोगों को जोड़ना पड़ेगा जिसमें हम सफल हो रहे हैं. खतौली की जीत एक बड़ा संदेश है आने वाले दिनों के लिए.

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