सेंगोल की पूजा करने वाले पुजारियों को स्वामी मौर्य ने बताया ‘कट्टरपंथी ब्राह्मण’, जानें

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UP News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंगोल राजदंड को नए संसद भवन में स्थापित कर दिया है. पीएम ने स्पीकर की कुर्सी के बराबर में सेंगोल को स्थापित किया है. सेंगोल की स्थापना से पहले तमिलनाडु से आए साधु-संतों ने पूरे विधि विधान से इस सेंगोल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में सौंपा. अब इसको लेकर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने विवादित बयान दिया है.

अक्सर अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चाओं में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने तमिलनाडु से आए गुरुओं को निशाने पर लिया है और भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर निशाना साधा है.

जानिए इस बार स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्या कह दिया   

स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया, “सेंगोल राजदंड की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरुओं को बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा सरकार का यदि पंथनिरपेक्ष संप्रभु-राष्ट्र भारत में विश्वास होता तो देश के सभी धर्म गुरुओं जिसमें बौद्ध धर्माचार्य, जैन आचार्य, गुरु ग्रंथी साहब, मुस्लिम धर्मगुरु, ईसाई धर्मगुरु आदि सभी को आमंत्रित किया जाना चाहिए था.”

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‘भाजपा ने अपनी दूषित मानसिकता को दिखाया है’

स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया, “ऐसा न कर भाजपा ने अपनी दूषित मानसिकता और घृणित सोच को दर्शाया है. यद्यपि कि भाजपा सरकार सेंगोल राजदंड की स्थापना कर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है अपितु दक्षिण के ब्राह्मण धर्मगुरुओं को बुलाकर ब्राह्मणवाद को भी स्थापित करने का कुत्सित प्रयास कर रही है.”

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क्या है सेंगोल का इतिहास

बता दें कि सेंगोल का इतिहास 14 अगस्त साल 1947 से जुड़ा हुआ है. दरअसल एक चिंता ये थी कि ब्रिटेन से भारत को मिली आजादी को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाने के लिए क्या किया जाए, कैसा आयोजन किया जाए? यही सवाल लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू से पूछा. पंडित नेहरू को भी चिंता होने लगी. उन्होंने फौरन श्री राजगोपालाचारी से संपर्क किया. माना जाता है कि उन्होंने पंडित नेहरू को चोला राजाओं द्वारा अपनाने वाली एक विधि के बारे में बताया, तब जाकर एक शब्द सामने आया. वह शब्द था सेंगोल यानी राजदंड.

फिर भारतीय सेंगोल बनाया गया. तमिलनाडु के विद्वानों ने प्राचीन विधि से पूजा पाठ की और मंगल गीतों के साथ ये सेंगोल प्रधानमंत्री नेहरू को सौंपा गया. बता दें कि ये सेंगोल इसके बाद प्रयागराज संग्रहालय में रखवा दिया गया. अब एक बार फिर ये भारतीय राजदंड यानी सेंगोल नए संसद भवन में स्थापित कर दिया गया है.

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