लोकसभा में पहुंचे थे अफजाल अंसारी लेकिन नहीं ली सांसद पद की शपथ, क्या है इसके पीछे की वजह?

विनय कुमार सिंह

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Afzal Ansari News: आम चुनाव के खत्म होने के बाद कई नव निर्वाचित सांसद 18वीं लोकसभा के पहली सत्र में शपथ लेते नजर आए. इस मौके पर समाजवादी पार्टी (सपा) से गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी लोकसभा में तो नजर आए, लेकिन उन्होंने शपथ नहीं ली. बता दें कि मंगलवार को सदन की कार्यवाही के दौरान जब अफजल अंसारी पहुंचे तब उनकी सपा चीफ अखिलेश यादव और आजमगढ़ सांसद धर्मेंद्र यादव से बातचीत भी हुई थी. मगर अफजाल द्वारा शपथ न लेने का मुद्दा सुर्खियों में बना हुआ है. अफजाल अंसारी ने शपथ क्यों नहीं ली, उसे आप खबर में आगे जान सकते हैं.

क्या है वजह?

बता दें कि अफजाल अंसारी के शपथ ना ले पाने की वजह कोई और नहीं बल्कि कानूनी दावपेंच ही है. दरअसल, अफजाल अंसारी को गैंगस्‍टर के एक केस में चार साल की सजा सुनाई गई थी. इस आदेश के कारण उनकी लोकसभा सदस्‍यता चली गई थी.  अफजाल अंसारी ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली.  इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट गए थे. 

बता दें कि 14 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश से उनकी सदस्‍यता तो वापस करा दी, लेकिन कुछ पाबंदियां भी लगा दीं. इसमें कहा गया कि अफजाल अंसारी सदन की कार्यवाही में हिस्‍सा नहीं ले सकते. कोर्ट के इसी आदेश को आधार बनाकर लोकसभा सचिवालय ने अफजाल को नए सदन में शपथ के लिए नहीं बुलाया. अब सवाल है कि ऐसे हालात में क्या होगा अफजाल अंसारी का.

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गाजीपुर सीट से जीत का सर्टिफिकेट मिलने के साथ ही अफजाल अंसारी सांसद तो बन गए. लेकिन शपथ ना ले पाने के कारण उनके अधिकार सीमित ही हैं. या यूं कहे वो महज़ डमी सांसद जैसे ही हैं. क्योंकि नियमों के मुताबिक चुने हुए उम्मीदवारों के पास शपथ लेने से पहले सीमित अधिकार होते हैं. वो संसद की किसी बहस का हिस्सा नहीं बन सकते. यहां तक कि संसद की चर्चा में शामिल होने या संसद में कोई टिप्पणी करने का अधिकार भी उनके पास नहीं होता. 

क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 99?

संविधान के अनुच्छेद 99 में कहा गया है कि सदन में अपना स्थान लेने से पहले हर सदस्य को राष्ट्रपति या उनकी ओर से इस काम के लिए नियुक्त किए गए व्यक्ति के सामने शपथ लेनी पड़ती है.अगर कोई शपथ लिए बगैर सदन की चर्चा या बहस में शामिल होता है तो उसे दंड देने का प्रावधान भी हमारे संविधान में है. अनुच्छेद 104 के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति अनुच्छेद 99 के तहत बिना शपथ लिए, या जानते हुए कि वो सदस्यता के लिए अयोग्य है या उसे विधि द्वारा ऐसा करने से प्रतिबंधित किया गया है. 

सदन में सदस्य के रूप में बैठता है या मतदान करता है तो उसे प्रत्येक दिन के हिसाब से 500 रुपए का जुर्माना देना होगा.  ऐसे में अब सबकुछ टिका है हाईकोर्ट के फैसले पर जिसमें 2 जुलाई को आखिरी सुनवाई रखी गई है. वहीं इन सबके बीच अखिलेश यादव अब कोर्ट के आदेश की व्‍याख्‍या के लिए लीगल एक्सर्पर्ट्स की हेल्प लेने और इस मामले को फिर से सुप्रीम कोर्ट ले जाने की तैयारी में हैं.  वहीं दूसरी ओर विरोधी पक्ष  इस पर हमलावर हैं और अखिलेश यादव, अफज़ाल पर जानबूझकर जनता को धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं.

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