भाजपा के लोग सोचते हैं कि पिछड़े लोग शूद्र हैं: लखनऊ में अखिलेश यादव
UP Political News: लखनऊ में मां पीताम्बरा 108 महायज्ञ में पहुंचे समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने काले…
ADVERTISEMENT
UP Political News: लखनऊ में मां पीताम्बरा 108 महायज्ञ में पहुंचे समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए. यादव यहां मां पीताम्बरा शक्तिपीठ में आयोजित महायज्ञ और परिक्रमा कार्यक्रम में भाग लेने गए थे. उनका यह विरोध सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा श्रीरामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी को लेकर था.
इस घटना के बाद यादव ने संवाददाताओं से कहा,
“मैंने परिक्रमा करके मां पीताम्बरा और संतों का आशीर्वाद लिया। भाजपा के लोगों को इससे दिक्कत हो रही है. मुझे यहां जिन लोगों ने आमंत्रित किया है उन्हें भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों से धमकी मिल रही है. भाजपा हमारे धर्म की ठेकेदार नहीं है. भाजपा ने अपने गुंडों को भेजा था ताकि मैं इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकूं.”
अखिलेश यादव
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
उन्होंने कहा, “हम समाजवादी लोग हैं और ऐसे गुंडों से नहीं डरते। भाजपा के लोग सोचते हैं कि पिछड़े लोग शूद्र हैं. भाजपा को धार्मिक कार्यक्रमों में पिछड़े वर्गों के लोगों के जाने से परेशानी हो रही है। भाजपा के लोगों को यह याद रखना चाहिये कि समय बदलता है और भविष्य में उनके साथ भी ऐसा हो सकता है.”
अखिलेश ने कहा, “भाजपा के लोग हम सबको शूद्र मानते हैं. पिछड़ों को शूद्र और दलितों को शूद्र मानते हैं. उनको ये तकलीफ है कि हम उनके धार्मिक स्थान पर क्यों जा रहे हैं? जिस घर में मैं रहने गया था उस घर को भाजपा वालों ने गंगा जल से धोया था.”
ADVERTISEMENT
श्रीरामचरित मानस पर मौर्य की टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के बारे में पूछे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा, “मैंने स्वामी प्रसाद मौर्य जी से कहा है कि वह जाति आधारित जनगणना के लिये अपने अभियान को तेजी से आगे बढ़ाएं.”
गौरतलब है कि मौर्य ने पिछले रविवार को श्रीरामचरित मानस की एक चौपायी का जिक्र करते हुए इसे महिलाओं तथा पिछड़ों के प्रति अपमानजक करार दिया था और इस पर पाबंदी लगाने की मांग की थी./ उनके इस बयान पर खासा विवाद उत्पन्न हो गया था. संत समाज और हिंदूवादी संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया था. इस मामले में मौर्य के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT