जब थाने के बाहर ‘जय-जय शंकर, जय हरिशंकर’ के लगे थे नारे…ऐसे बन गए हरिशंकर ब्राह्मणों के नेता
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) का मंगलवार की शाम गोरखपुर में निधन हो गया. वह 90 वर्ष के थे.…
ADVERTISEMENT
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) का मंगलवार की शाम गोरखपुर में निधन हो गया. वह 90 वर्ष के थे.
यूपी में ब्राह्मणों के नेता के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले हरिशंकर तिवारी कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मायावती और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व की उत्तर प्रदेश सरकार में 1997 से 2007 तक लगातार कैबिनेट मंत्री भी रहे.
हरिशंकर तिवारी ने 1985 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर गोरखपुर जिले की चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। बाहुबली कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी उस समय जेल में बंद थे. बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए. उसके बाद 2002 तक वह लगातार छह बार निर्वाचित हुए.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
हालांकि, 2007 के विधानसभा चुनाव में वह हार हो गए. तिवारी कांग्रेस पार्टी के अलावा कांग्रेस (तिवारी) और अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस में रहे. वह अखिल भारतीय लोक तांत्रिक कांग्रेस के लंबे समय तक अध्यक्ष भी रहे.
पूर्वांचल की राजनीति में कभी खासा दबदबा रखने वाल हरिशंकर तिवारी की पहचान ब्राह्मणों के नेता के तौर पर रही है.
ADVERTISEMENT
हरिशंकर तिवारी ऐसे बने ब्राह्मणों के नेता
साल 1986 में गोरखपुर जिले के बड़हलगंज में कांग्रेस पार्टी और ब्राह्मणों के बड़े नेता पंडित कमलापति त्रिपाठी नेशनल डिग्री कॉलेज के एक कार्यक्रम में आमंत्रित किए गए थे. इस कार्यक्रम के आयोजक हरिशंकर तिवारी थे, जो तब तक जेल में रहते हुए पहली बार निर्दलीय विधायक चुन लिए गए थे.
नेशनल डिग्री कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम खत्म होने के बाद कमलापति त्रिपाठी के काफिले को छोड़ने के लिए हरिशंकर तिवारी 3 किलोमीटर दूर दोहरीघाट तक गए. दोहरीघाट मऊ जिले में आता है. लौटते समय पुलिस ने गोरखपुर की सीमा पर हरिशंकर तिवारी को गिरफ्तार कर लिया.
ADVERTISEMENT
हरिशंकर तिवारी की गिरफ्तारी के बाद चारों तरफ हल्ला मच गया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह हरिशंकर तिवारी का एनकाउंटर कराना चाहते हैं. यह बात जंगल में आग की तरह फैली और तकरीबन 5000 लोगों ने थाना घेर लिया.
इधर, जब कमलापति त्रिपाठी वाराणसी पहुंचे तो उन्हें पता चला कि हरिशंकर तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया है. फिर उन्होंने तुरंत तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से बात की.
उधर, तकरीबन 5000 लोग थाना घेरकर बैठ गए थे और ‘जय-जय शंकर, जय हरिशंकर’ के नारे लगा रहे थे. यह नारे लगातार तेज होते जा रहे थे और 5000 लोगों की भीड़ देखकर पुलिस के पसीने छूट रहे थे. आखिरकार पुलिस को हरिशंकर तिवारी को छोड़ना पड़ा और इसी घटना के बाद से हरिशंकर तिवारी यूपी में ब्राह्मणों के नेता बन गए.
ADVERTISEMENT