राहुल, अखिलेश दिखा रहे थे संविधान की कॉपी, मायावती को रास नहीं आई ये बात, क्या क्या कहा?
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद 24 जून को नननिर्वाचित सांसदों ने संसद भवन के अंदर शपथ ली. इस दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के विजयी सांसद हाथ में संविधान की किताब लेकर पहुंचे. इसी मामले को लेकर बसपा चीफ मायावती ने तंज कसा है.
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UP News: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद 24 जून को नननिर्वाचित सांसदों ने संसद भवन के अंदर शपथ ली. इस दौरान एक गजब नजारा देखने को मिला. बता दें कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के विजयी सांसद हाथ में संविधान की किताब लेकर पहुंचे. सपा चीफ अखिलेश यादव जब अपने दल के सांसदों के साथ संसद भवन में एंट्री ले रहे थे तब उनके हाथ में संविधान की किताब थी. वहीं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ लेने के लिए पहुंचे थे, तब राहुल गांधी ने उन्हें संविधान की किताब दिखाई थी, जिसका वीडियो वारयल हो रहा है. वहीं, अब इसी को लेकर बसपा चीफ मायावती ने तंज कसा है.
बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा 'केंद्रीय संसद में विपक्ष द्वारा संविधान की कॉपी दिखाई जाने के मामले में ये सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे लग रहे हैं और इन दोनो ने मिलकर इस संविधान को जातिवादी, सांप्रदायिक और पूंजीवादी संविधान बना दिया. सत्ता और विपक्ष की दोनो की अंदरूनी मिलीभगत है. दोनों ही सत्ता विपक्ष की अंदरूनी मिलीभगत से जबरदस्ती संविधान बचाने का नाटक किया जा रहा. अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये दोनों ही भारतीय संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ये कतई उचित नहीं है. इन दोनों ने अंदर-अंदर मिलकर संविधान में इतने संशोधन कर दिए की अब ये समतामूलक, धर्म निरपेक्ष नहीं बल्कि पूंजीवादी, जातीवादी और सांप्रदायिक संविधान बनकर रह गया. ये दोनों ही आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं और एससी, एसटी, आदिवासी को संविधान का लाभ नहीं देना चाहते.'
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अखिलेश के नेतृत्व में सपा ने किया है कमाल
बता दें कि अखिलेश यादव के हाथों में ही सपा की कमान है. साल 2014 लोकसभा चुनाव, फिर साल 2017 यूपी विधानसभा चुनाव, फिर साल 2019 लोकसभा और साल 2022 यूपी विधानसभा चुनावों में सपा कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई. यहां तक की साल 2017 के बाद वह साल 2022 यूपी विधानसभा चुनाव भी हार गई और यूपी में सत्ता नहीं बना पाई. ऐसे में लगातार अखिलेश यादव के नेतृत्व पर सवाल उठाए जा रहे थे. मगर साल 2024 लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की रणनीति ने यूपी में भाजपा को बुरी तरह से रौंद डाला है. अकेले अखिलेश यादव ने भाजपा को ऐसी चोट दी है, जिसकी उम्मीद भाजपा के रणनीतिकारों को शायद ही कभी रही होगी.
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