आय से अधिक संपत्ति का मामला: अखिलेश को राहत, SC ने कहा- इस केस में अब कुछ नहीं बचा
आय से अधिक संपत्ति के मामले में समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव और दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने…
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आय से अधिक संपत्ति के मामले में समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव और दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खिलाफ इस केस में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट की कॉपी की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका में सुनवाई करने का कोई आधार नही है.
इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अब इस मामले मे कुछ नहीं बचा. सीबीआई ने भी केस बंद कर दिया है ना? इसके जवाब में वकील ने कहा कि इस मामले में जब संज्ञेय अपराध बनाया गया था, तो रिपोर्ट की कॉपी दी जानी चाहिए थी.
बता दें कि अखिलेश यादव और प्रतीक यादव को आय के घोषित स्रोतों से अधिक संपत्ति विवाद में बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद की है. कोर्ट ने CBI की 2013 की वो क्लोजर रिपोर्ट मंजूर की जिसे फर्जी बताते हुए याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने आरटीआई अर्जी लगाई थी. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने ऐसी कोई भी क्लोजर रिपोर्ट से इंकार किया था. इसके बाद फर्जीवाड़ा करने की भी बात याचिका में कही गई थी. यानी अब सुप्रीम कोर्ट ने उस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ याचिका भी खारिज करते हुए अखिलेश यादव और उनके परिवार को राहत दे दी है.
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सीबीआई ने 7 अगस्त 2013 को इस मामले में अपनी जांच बंद कर दी. इसके बाद 2013 में ही सीवीसी को रिपोर्ट भी सौंप दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके 6 साल बाद 2019 में यह याचिका दाखिल की गई. मेरिट नहीं होने की वजह से याचिका खारिज कर दी गई.
आपको बता दें कि 5 दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बंद करने से इनकार कर दिया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इन दलीलों पर सुनवाई करेगा कि याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के आय से अधिक संपत्ति संचित करने से जुड़े आरोपों की प्रारंभिक जांच बंद करने की सीबीआई रिपोर्ट की प्रति दी जा सकती है, या नहीं.
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सीबीआई ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि चूंकि मुलायम और उनके दो बेटों- अखिलेश और प्रतीक- के संज्ञेय अपराध करने का ‘प्रथम दृष्टया कोई सबूत’ नहीं मिला, इसलिए प्रारंभिक जांच को आपराधिक मामले/प्राथमिकी में परिवर्तित नहीं किया गया था. इस तरह सात अगस्त, 2013 के बाद मामले में कोई जांच नहीं की गई. इसके बाद सोमवार सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया.
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