‘मायावती के खिलाफ कुछ नहीं बोलूंगा’, जानिए स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्यों कही ये बात
Uttar Pradesh News: समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने अपने बयान से एक बार फिर नये विवाद को जन्म दे दिया…
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Uttar Pradesh News: समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने अपने बयान से एक बार फिर नये विवाद को जन्म दे दिया है. इस बार स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि, ‘बद्रीनाथ और रामेश्वरम जैसे मंदिर बौद्ध मठ को तोड़कर बनाए गए हैं. अगर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा किया जा रहा है तो बौध मठ तोड़कर मंदिर बनाए गए इसके साक्ष्य हमारे पास हैं.’ लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने इस दावे के साथ राहुल सांकृत्यायन, स्वामी विवेकानंद समेत तमाम इतिहासकारों और महापुरुषों के द्वारा लिखी किताबें का जिक्र किया है. वहीं सपा नेता ने अपने इस बयान पर सफाई दी है.
समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, ‘मेरी भावना किसी को आहत करने की नहीं है. मैं उनको सावधान करना चाहता हूं, जो लोग हर मस्जिद में मंदिर खोज रहे हैं. मंदिर में बौद्ध मठ खोजने वालों के पास सुबूत है. मैं कहता हूँ आपसी सौहार्द को पैदा कीजिए, आपसी लड़ाई में न उलझे.’
बसपा सुप्रीमो मायावती पर दिया बड़ा बयान
मायावती ने उनके इस बयान पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव में समुदाय के बीच दरार बढ़ाने के लिए ऐसे बयान दिए जा रहे हैं. मायावती के इस बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, मायावती जी मेरी नेता रही हैं, मैं उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलूंगा. मैं बौद्ध और मुसलमानों को खुश नहीं कर रहा हूं. मैं भाईचारा चाहता हूं. मैं विवादों पर विराम लगाना चाहता हूं.’
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‘बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए मंदिर’
स्वामी प्रसाद मौर्या ने अपने पूर्व के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘सातवी सदी के अंदर बद्रीनाथ बौद्ध मठ था, उसके बाद आदि शंकराचार्य ने उसको परिवर्तित करा कर बद्रीनाथ हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया था. मेरे इस बयान पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा था कि इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं कहना चाहता हूं कि आपको सभी की आस्था का सम्मान करना चाहिए. भारतीय संविधान के अनुसार सभी धर्मों का सम्मान करते हुए मैंने यह बयान दिया है’
इस किताब की दिया हवाला
बद्रीनाथ मंदिर पर बौद्ध मठ के होने का दावा करने के दावे के पीछे स्वामी प्रसाद मौर्या ने राहुल सांकृत्यायन के किताब हिमालय का जिक्र भी किया. राहुल सांकृत्यायन ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि बद्रीनाथ की मूर्ति बुद्ध की है. बद्रीनाथ के उस समय के रावल (पुजारी) से राहुल सांक्त्यायन ने बात करके उन्हें पता चला कि यह बुद्ध को मूर्ति थी. इस बात का समर्थन वर्तमान रावल और भूतपूर्व रावल श्रीवासुदेवजी ने भी किया. इस प्रकार इसमें संदेह नहीं रह गया कि मूर्ति बुद्ध की है.
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स्वामी प्रसाद ने कहा कि मेरी बात का समर्थन वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने भी माना बद्री नाथ पहले बौद्ध मठ था. राजनीतिक लाभ उठाने के लिये इन धार्मिक स्थलों के विवादों को तूल दिया जाता रहा है. इन विवादों के पिटारे पर ढक्कन लगाने के लिये नरसिम्हाराव सरकार के कार्यकाल में उपासना स्थल अधिनियम 1991 आया था. जिसमें स्पष्ट किया गया था कि अयोध्या विवाद के अलावा देश के सभी धार्मिक स्थलों की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 के दिन थी. वही भविष्य में भी बरकरार रहेगी. यानी कि अयोध्या के अलावा किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति में बदलाव नहीं हो सकेगा.
बदरीनाथ के साथ स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामेश्वरम मंदिर को लेकर कहा कि रामेश्वर मंदिर भी बौद्ध मंदिर को तोड़कर बनाया गया. इस साक्ष्य को स्वीकार करना चाहिए. सारनाथ और श्रावस्ती में भी बुद्ध की ऐसी ही मूर्ति थी. एक दूसरे अंग्रेज़ लेखक ने भी लिखा है कि बद्रीनाथ और केदारनाथ को बौद्ध मठ से हिन्दू मंदिर बनाया गया है. तिब्बत में भी बौद्ध धर्म वहीं से गया था. शंकराचार्य के अलावा कई राजाओं ने भी बौद्ध मठ को तोड़वाया. बद्रीनाथ और केदारनाथ बौद्ध मठ था ऐसा कई लेखकों ने लिखा है.
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