100 साथियों के साथ मैराथन बैठक, अखिलेश अब नवरात्र में करेंगे बड़ा चुनावी ऐलान, ये है पूरा मामला

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अखिलेश यादव
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Uttar Pradesh News : चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है. इन सीटों पर मतदान की तारीखों का इंतजार राजनीतिक पार्टियों से लेकर आम आदमी तक को है. उपचुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही न हुआ हो लेकिन सियासी दलों ने अभी से ही अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. उपचुनाव में मुकाबला बीजेपी के नेतृत्व वाली NDA और सपा-कांग्रेस के इंडिया गठबंधन देखी जा रही है. वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव उपचुनाव को लेकर  नवरात्रों में बड़ा एलान कर सकते हैं. 

बिछने लगी उपचुनाव की बिसात 

बता दें कि सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को मिर्जापुर से आये समाजवादी पार्टी नेताओ और पदाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में मिर्जापुर से लगभग 100 पदाधिकारियों ने भाग लिया और विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया. बैठक का मुख्य उद्देश्य मझवां विधान सभा उप चुनाव को जीतने की रणनीति बनाना था. अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करें. उन्होंने यह भी कहा कि नवरात्र के अवसर पर मझवां विधानसभा उप चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी का ऐलान कर दिया जाएगा.

कार्यकर्ताओं से कही ये बात

अखिलेश यादव ने अपने संबोधन में कहा, "हमें संगठन की एकजुटता और मजबूती के साथ चुनाव में उतरना होगा और हर नेता, कार्यकर्ता को पूरी निष्ठा के साथ मेहनत करनी होगी." सपा अध्यक्ष ने यह भी जोर दिया कि पार्टी नेताओं को जमीनी स्तर पर जनता के मुद्दों को उठाना चाहिए और उनके समाधान की दिशा में कदम उठाना चाहिए. सिर्फ नारों और भाषणों से कुछ हासिल नहीं होगा, हमें हर गांव, हर मोहल्ले में जाकर जनता का समर्थन हासिल करना होगा. इस बैठक में पार्टी नेताओं ने अखिलेश यादव के निर्देशों को पूरी तत्परता से निभाने का संकल्प लिया और मझवां उप चुनाव को जीतने के लिए एकजुट होकर कार्य करने की बात कही.

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बता दें कि मिर्जापुर की मझावा विधानसभा सीट के साथ ही उत्तर प्रदेश के 10 सीटों पर उपचुनाव होना है. इन दस सीटों में सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर, कुंदरकी  फूलपुर, गाजियाबाद, खैर और मीरापुर शामिल हैं. इन सीटों में खाली हुई 10 सीटों में से पांच सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सपा के पास थीं. वहीं, फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर भाजपा के पास थीं. मीरापुर लोकदल के पास थी. 

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