UP Nagar Nikay Chunav: मेरठ में मेयर चुनाव पर BJP-BSP में ही रही जंग, अबतक SP जीत से दूर
Meerut Mayor election news: उत्तर प्रदेश में अब कभी भी नगर निकाय चुनावों का ऐलान हो सकता है. निकाय चुनावों (Uttar Pradesh Nikay chunav news)…
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Meerut Mayor election news: उत्तर प्रदेश में अब कभी भी नगर निकाय चुनावों का ऐलान हो सकता है. निकाय चुनावों (Uttar Pradesh Nikay chunav news) को यूपी में 2024 के लोकसभा चुनावों के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. हम आपको यूपी के नगर निगम, मेयर चुनाव और वॉर्ड की राजनीति के बारे में दिलचस्प जानकारी दे रहे हैं. जैसे गाजियाबाद मेयर चुनाव में आपने देखा कि बीजेपी लगातार परचम लहरा रही है. ऐसे ही इस स्टोरी में हम आपको मेरठ में मेयर चुनाव के इतिहास, वर्तमान की जानकारी दे रहे हैं.
मेरठ नगर निगम के चुनाव में मेयर सीट पर बसपा और भाजपा में ही हमेशा टक्कर रहती है. आज तक समाजवादी पार्टी मेरठ मेयर सीट पर कब्जा नहीं जमा पाई है. मेरठ नगर निगम की मेयर सीट पर 6 बार के चुनाव में बसपा ने तीन बार बाजी मारी है. भाजपा दो बार मेरठ के मेयर की कुर्सी पर काबिज हो पाई है. एक बार निर्दलीय अरुण जैन मेरठ नगर निगम में नगर प्रमुख की कुर्सी पर कब्जा कर चुके हैं. अरुण जैन निर्दलीय चुनाव जीतकर नगर प्रमुख बने थे क्योंकि तब मेयर को नगर प्रमुख के नाम से ही जाना जाता था और उस समय नगर प्रमुख सभी पार्षद चुनते थे.
एक नजर में मेरठ नगर निगम (Meerut municipal corporation at a glance)
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मेरठ नगर निगम 31 मई 1994 में नगर महापालिका से बना. फिलहाल मेरठ की महापौर सुनीता वर्मा हैं. इन्होंने चुनाव बसपा से लड़ा था पर फिलहाल सपा में हैं.
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मेरठ नगर निगम में 90 वार्ड हैं. इसमें 2017 में बसपा के 28 ,18 निर्दलीय ,सपा के 4, कांग्रेस के 2, राष्ट्रीय लोक दल के एक , बीजेपी के 36 और AIMIM के एक पार्षद हैं.
मेरठ एनसीआर का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, मेरठ के टाउन हॉल का निर्माण 1886 में हुआ था, जबकि नगर पालिका की स्थापना 1892 में हुई थी.
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15 जून 1982 को इसे नगर परिषद (नगर महापालिका) के रूप में अपग्रेड किया गया था.
31 मई 1994 को उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 के अधिनियमन के बाद इसे नगर निगम के लिए अपग्रेड कर दिया गया.
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2006 में मेरठ नगर निगम के मेयर की कुर्सी ओबीसी महिला के लिए आरक्षित रही. 2017 में मेरठ नगर निगम के मेयर की कुर्सी एससी महिला के लिए आरक्षित रही. मेयर को नगर निगम के कानूनी प्रमुख के रूप में सेवा करने के लिए चुना जाता है. वह सदन मेरठ टाउन हॉल का मुखिया है.
UP Politics: मेरठ में 2017 में 90 वार्ड थे. इनमें 90 पार्षद चुने जाते हैं. इसके अलावा 10 अतिरिक्त पार्षद राज्य सरकार द्वारा नामित होते हैं. साल 2017 में 90 वॉर्ड में से 35 सीटें सामान्य थीं ,17 किसी भी वर्ग से आने वाली महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, 16 अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित थीं, 7 अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं और 5 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित थीं.
मेरठ में अबतक बने मेयर के कार्यकाल
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1989 से 1994 तक दिवंगत अरुण जैन नगर प्रमुख रहे.
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1995 से 2000 तक मोहम्मद अयूब अंसारी (बसपा) नगर प्रमुख रहे.
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2000 से 2005 तक हाजी शाहिद अखलाक (बसपा) नगर प्रमुख /महापौर रहे.
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नवंबर 2005 से नवंबर 2006 तक अलग-अलग आईएएस और एक कार्यवाहक महापौर रहे.
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2006 से 2012 तक मधु गुर्जर (बीजेपी) महापौर रहीं. यह यहां बीजेपी की पहली महिला मेयर थीं.
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2012 से 2017 तक हरिकांत अहलूवालिया (बीजेपी) मेरठ के महापौर रहे.
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2017 से अब तक की सुनीता वर्मा महापौर हैं. इन्होंने चुनाव तो बसपा से जीता थी, लेकिन फिलहाल समाजवादी पार्टी में हैं.
मेरठ में नगर निगम की राजनीति देखकर यह साफ है कि यहां बीजेपी और बसपा का जोर चलता रहा है. हालांकि आगामी चुनावों में क्या होगा, इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता. इस बार भी बीएसपी ने जोरशोर से शहरी निकाय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. इसके अलावा बीजेपी की चुनावी जिताऊ मशीनरी अनवरत चल रही है. समाजवादी पार्टी भी 2022 विधानसभा चुनावों की हार के बाद वापसी की कोशिशों में जुटी है. कुल मिलाकर देखें तो मेरठ में इस बार जबर्दस्त घमासान होने की उम्मीद है.
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