यूपी में INDIA को छोड़ NDA के साथ जाएंगे जयंत चौधरी? BJP ने दिया इन 4 सीटों का ऑफर

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रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी
रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी
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इंडिया गठबंधन में शामिल रालोद को लेकर बड़ी खबर आ रही है. सूत्रों के हवाले से पता चला है कि बीजेपी ने आरएलडी को 4 लोकसभा सीट ऑफर की है. जानकारी के मुताबिक, बीजेपी की तरफ से रालोद को कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा लोकसभा सीटें ऑफर की गई हैं. वहीं, गठबंधन में संभावित दरार की वजह ये है कि सपा चाहती है कि मुजफ्फरनगर, कैराना और बिजनौर लोकसभा सीटों पर उसके उम्मीदवार रालोद के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ें.  सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के साथ गठबंधन की संभावित बातचीत को लेकर जयंत ने मंगलवार को दिल्ली में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता से मुलाकात की. 

गौरतलब है कि करीब पखवाड़े भर पहले जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की लखनऊ में हुई मुलाकात के बाद दोनों के बीच सात सीटों पर डील हो गई थी. इन 7 सीटों में 5  बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना, मथुरा, हाथरस तो तय हैं लेकिन दो सीटों पर अभी भी नाम को लेकर संशय बना हुआ है. अभी यह तय नहीं हो पा रहा है कि मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, नगीना और फतेहपुर सीकरी में से कौन सी और 2 सीट आरएलडी को दी जाएगी.

मुजफ्फरनगर सीट को लेकर मची खींचतान

मुजफ्फरनगर में प्रत्याशी को लेकर सपा और आरएलडी में खींचतान मची है.  समाजवादी पार्टी चाहती है कि हरेंद्र मलिक को वहां से चुनाव लड़ाया जाए. सपा के हरेंद्र मलिक आरएलडी के टिकट पर लड़े. जबकि आरएलडी के कई स्थानीय नेता इसके विरोध में है और नहीं चाहते की हरेंद्र मलिक को मुजफ्फरनगर की सीट दी जाए. दरअसल, हरेंद्र मलिक जब कांग्रेस में हुआ करते थे तब से चौधरी परिवार से पुरानी अदावत रही है और मुजफ्फरनगर सीट चौधरी परिवार की कोर सीट मानी जाती है. इसलिए जयंत चौधरी या तो खुद के लिए या अपने किसी करीबी को यहां से लड़ना चाहते हैं. लेकिन जैसा कि तय हो चुका है कि ना तो जयंत चौधरी चुनाव लड़ेंगे और ना ही उनकी पत्नी चारु. ऐसे में पार्टी के भीतर कई नेता मुजफ्फरनगर सीट की दावेदारी कर रहे हैं.

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अपने नेता को लड़ाना चाहती है सपा

समाजवादी पार्टी का मानना है कि संजीव बालियान को अगर कोई चुनौती दे सकता है तो वह या तो चौधरी परिवार या फिर हरेंद्र मलिक. लेकिन जयंत की पार्टी का काडर हर हाल में यह सीट अपने लिए चाहता है. वह नहीं चाहता कि सपा का कैंडिडेट हो और आरएलडी का सिंबल. यही लड़ाई अब सतह पर आ गई है. दावे तो यह भी किया जा रहे हैं कि अगर मुजफ्फरनगर पर समाजवादी पार्टी अपना कैंडिडेट देती है तो आरएलडी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी को संभालना मुश्किल हो सकता है.

अखिलेश-जयंत में तय हुआ फॉर्मूला

हालांकि माना जा रहा है कि अखिलेश और जयंत के बीच मुजफ्फरनगर का फार्मूला तय हो चुका है. जिसमें हरेंद्र मलिक आरएलडी के सिंबल पर चुनाव में उतरेंगे लेकिन जयंत चौधरी इसे फिलहाल अपने कार्यकर्ताओं में जाहिर नहीं कर रहे. नीतीश कुमार के तर्ज पर एनडीए में जयंत के जाने की चर्चा तो सियासी फिजा में तैरती रहती है लेकिन एक बार गठबंधन हो जाने सीटों की संख्या तय हो जाने और अखिलेश और जयंत हाल में हुई. मुलाकात में सब कुछ तय हो जाने के बाद अचानक से एनडीए की ओर रुख करने का कोई कारण नहीं है. ऐसा आरएलडी की सियासत पर नजर रखने वालों का भी मानना है.

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चंद्रशेखर आजाद को लेकर भी चर्चा

बहरहाल बसपा के एक बड़े गुर्जर चेहरे और चंद्रशेखर रावण को लेकर भी दोनों दलों में चर्चा है. चंद्रशेखर रावण को जयंत चौधरी नगीना किसी लड़ाना चाहते हैं. जबकि अखिलेश यादव से फिलहाल चंद्रशेखर रावण की कोई सीधी बातचीत नहीं हो रही. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में आरएलडी को दी गई सीटों का ऐलान हो सकता है. अगर मुजफ्फरनगर पर समाजवादी पार्टी की चली तो उसके एवरेज में आरएलडी को एक सीट और बढ़ाई जा सकती है. यह फार्मूला भी इस वक्त दोनों दलों के बीच चर्चा में है.

आरएलडी का अब तक कैसे रहा चुनावी सफर

आरएलडी 2004 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ी थी. उस वक्त आरएलडी-बीजेपी गठबंधन 10 सीटों पर लड़े थे, जिसमें से इस गठबंधन को 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. 
2009 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी-बीजेपी गठबंधन 7 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से इस गठबंधन को 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

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2014 में लोकसभा चुनाव में आएलडी कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ी थी. इस गठबंधन ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी. 

2019 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी-बसपा-एसपी गठबंधन ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें एक भी सीट गठबंधन को नहीं मिली.  

(कुमार अभिषेक के इनपुट्स के साथ)
 

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