यूपी: BJP के लिए रिकॉर्ड वाला तो BSP-कांग्रेस के लिए झटके और सपा की वापसी का साल रहा 2022
Uttar Pradesh Political Year ender 2022: 2022 की शुरुआत में जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की लड़ाई से जिस धुआंधार सियासत की शुरुआत हुई…
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Uttar Pradesh Political Year ender 2022: 2022 की शुरुआत में जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की लड़ाई से जिस धुआंधार सियासत की शुरुआत हुई वह साल के अंत तक बनी रही. बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में यूपी में लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की. ऐसा 37 साल बाद हुआ और 70-80 के दशक के कांग्रेस के सिंगल पार्टी डोमिनेंस की यादें फिर ताजा हो गईं.
अब जब यह साल बीत रहा है और 2023 के स्वागत की तैयारी जोरों पर है, तो यूपी तक आपके लिए उत्तर प्रदेश के सियासी ईयर एंडर की एक झलक लेकर आया है. हम आपको यूपी में पॉलिटिकल ईयर एंडर को किस्तवार पढ़ाएंगे. पहली किस्त में पढ़िए यूपी में बीजेपी के लिए कैसा रहा साल 2022…
ब्रांड योगी की मदद से बीजेपी ने बनाया रिकॉर्ड
सबसे पहले शुरू करते हैं यूपी में बीजेपी और योगी आदित्यनाथ के लिए साल 2022 के मायनों से. मार्च 2022 में जब यूपी विधानसभा चुनावों के नतीजों की घोषणा हुई, तो बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 273 सीटों पर जीत हासिल कर 37 सालों बाद यूपी में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया.
बीजेपी ने अकेले दम पर 255 सीटें जीतीं और पार्टी को 41.3 फीसदी वोट मिले. बीजेपी की इस जीत के नायक रहे यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, जिन्होंने ‘ब्रांड योगी’ को ऐसे स्थापित किया कि सूबे के तमाम दूसरे सियासी समीकरण ध्वस्त हो गए.
केवट, कश्यप, मल्लाह, निषाद को छोड़ सभी जातियों में बढ़ा बीजेपी का बेस, मुस्लिम भी जुड़े
बीजेपी गठबंधन को यूपी में मिली जीत ने यहां जमीन पर पार्टी के मजबूत सियासी आधार को और पुख्ता किया. सीएसडीएस और लोकनीति के पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक केवट, कश्यप, मल्लाह, निषाद इत्यादि को छोड़ बाकी सभी जाति समूह और धार्मिक समूहों में बीजेपी का आधार बढ़ता दिखाई दिया.
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2017 में जहां 83 फीसदी ब्राह्मण वोटर्स बीजेपी के साथ थे, तो 2022 में ये बढ़कर 89 फीसदी हो गए. इसी तरह राजपूत 70 से 87, वैश्य 71 से 83, अदर अपर कास्ट 70 से 78, यादव 10 से 12, कुर्मी 63 से 66, कोइरी-मैर्या-कुशवाहा-सैनी 56 से 64, अन्य ओबीसी 62 से 66, जाटव 8 से 21, अन्य SC 32 से 41 और मुस्लिम वोटर्स 2017 की तुलना में 6 फीसदी से बढ़कर 8 फीसदी हो गए.
साल के अंत तक बीजेपी को कुछ झटकों का भी करना पड़ा सामना
यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने 2022 में आजमगढ़ और रामपुर में हुए लोकसभा उपचुनावों में भी अखिलेश और आजम खान की हनक को ध्वस्त कर दिया. हालांकि साल के अंत तक आते-आते बीजेपी को मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव और खतौली विधानसभा उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
इसके बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे सपा के बढ़ते ग्राफ के रूप में भी डिकोड करना शुरू कर दिया है. ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि 2023 और फिर आगे 2024 के आम चुनावों के रण तक यूपी की सियासी तस्वीर कैसी होगी.
‘सांस्कृतिक पुनर्जागरण और भौतिक कायाकल्प’, यूपी में BJP की जीत की वजह वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राकेश उपाध्याय ने समझाई
राजनीति के विद्यार्थियों के लिए बड़ा सवाल यह समझना है कि आखिर यूपी में बीजेपी की बढ़ती ताकत की असल वजहें क्या हैं. यूपी तक ने इसे समझने के लिए भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) के भाषा पत्रकारिता विभाग के डायरेक्टर और वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राकेश उपाध्याय से बात की.
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उन्होंने कहा कि बीजेपी के शासनकाल में यूपी में हुआ सांस्कृतिक पुनर्जागरण और भौतिक कायाकल्प, दो ऐसी चीजें हैं, जिसके सामने अब कोई दूसरा राजनीतिक दल नहीं टिक पा रहा और बीजेपी को को लगातार सफलता मिल रही है.
उन्होंने कहा, ‘यूपी में बीजेपी की जीत में यहां के शासन और केंद्रीय नेतृत्व, दोनों की बड़ी भूमिका है. यूपी में सीएम योगी का शासन और केंद्र में पीएम मोदी का शासन, जिसे डबल इंजन की सरकार कहा जाता है, ने समस्त जातियों के भीतर भारतीय चेतना, सनातनी चेतना को इग्नाइट कर दिया है. हम कौन हैं, हम क्या हैं और क्या होंगे? इस सवाल को लेकर आजादी के बाद से बेचैनी थी, जिसे लेकर अब लोगों को प्रकाश की किरण मिली है. लोगों को लगा कि हमारा भविष्य अब बेहतर है. हमें न तो गौरवमय अतीत का पता था और न ही राजनीतिक भविष्य के बारे में पता था. विभिन्नता की खूबसूरती का इस्तेमाल कर समाज को बांटने का प्रयास था, इसे योगी और मोदी ने पलीता लगा दिया. इस वजह से विपक्ष सफल नहीं हो पा रहा. गंगा की घाटी में गुलामी की चादर पसरी थी. इसी पर सबसे पहले अंग्रेजों ने कब्जा किया. विदेशी ताकतों ने इसे कुचला, आजादी के इतने वर्ष बाद जब योग्य नेतृत्व मिला तो लोग इसे समझे. यूपी में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हुआ, लॉ एंड ऑर्डर सुधरा तो बांटने की राजनीति करनेवाले सभी दलों के लोग किनारे हो रहे हैं. आज यहां अच्छी सड़क है, 24 घंटे बिजली है, कानून व्यवस्था दुरुस्त हो रही है, तो इसका लाभ सामान्य लोगों को मिल रहा है. आज स्कूलों की स्थिति सुधरी है. शासन होता हुआ दिख रहा है.’
उन्होंने हालिया उपचुनावों में मिली हार पर कहा,
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‘छोटे-मोटे नतीजों का कोई असर नहीं है. भाजपा के नेतृत्व में, 2024 में बीजेपी बंपर विजय की ओर है. यूपी सीएम योगी और पीएम मोदी को निराश नहीं करेगा क्योंकि यहां लोक केंद्रित शासन चल रहा है. आप कुम्हार के उदाहरण से समझिए. कुम्हार की कला समाप्त हो रही थी. फिर अयोध्या, काशी में करोड़ों दिए जलने लगे. मिट्टी का काम जिंदा हो गया. कुम्हारों की चकरी चलने लगी. आज गांव गांव जागृति आ गई. उद्यमशीलता को बढ़ावा मिला. मैं समझता हूं कि 2023-2024 में भी बीजेपी को जबर्दस्त सफलता मिलेगी.’
राकेश उपाध्याय
प्रोफेसर राकेश उपाध्याय ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण को और स्पष्ट करते हुए बताया, ‘1002 में मोहम्मद गजनवी का आक्रमण भारत पर हुआ. उसने 22 साल टक्कर मारी. 1024 में सोमनाथ मंदिर को जमींदोज कर दिया. उसके बाद से भारत फिर संभल नहीं पाया. उसने 1025 में पूरे तौर पर गुजरात और पश्चिमी को कब्जे में ले लिया. विदेशी हमलावर मध्य भारत, उत्तर भारत पर चढ़ गए. आज एक हजार साल बाद कहानी उलट गई है. 2022 में सोमनाथ कॉरिडोर चमक रहा है. आज काशी विश्वनाथ कॉरिडोर चमक गया है. अयोध्या चमक गई है. मथुरा में कसमसाहट हो रही है. भारतीय स्वाभिमान के केंद्र जाग रहे हैं. यूपी में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के केंद्रों का अद्भुत कायाकल्प हो रहा है. विंध्य, मथुरा, वृंदावन चमक रहा है.’
राकेश उपाध्याय बताते हैं कि यूपी में जिस तरह से निवेश हो रहा है, डिफेंस एक्सपो बन रहा है, इंटरनेशनल एयरपोर्ट और एक्सप्रेसवे का नेटवर्क बन रहा है, जो इशारा कर रहा है कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण संग भौतिक कायाकल्प भी हो रहा है. यही वजह है कि आज यूपी में बीजेपी के टक्कर में कोई नजर नहीं आ रहा.
अगली किस्त में पढ़िए समाजवादी पार्टी और अखिलेश के लिए कैसा रहा साल 2022…
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