वर्किंग मॉम्स के लिए बच्चों को टाइम देना और उन्हें ब्रेस्ट फीड कराना किसी बड़े टॉस्क से कम नहीं होता है.
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ऐसे में पंप मिल्क (मां का निकाला हुआ दूध) फीडिंग करानें वाली मम्मियों के बीच तेजी से पॉपुलर हो रहा है.
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हालांकि अभी भी कई ऐसी महिलाएं जो पंप फीडिंग कराने में झिझकती हैं. ऐसे में हम यहां जानने की कोशिश करेंगे कि क्या पंप वाला दूध भी उतना ही अच्छा होता है जितना डायरेक्ट ब्रेस्ट मिल्क?
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इसे जानने के लिए इंडिया टुडे ने वरिष्ठ सलाहकार डॉ संध्या रानी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि 'डायरेक्ट स्तनपान से दूध को बच्चे की जरूरतों के अनुरूप बनाना आसान हो जाता है. क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान कई हार्मोन निकलते हैं.
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उन्होंने बताया कि बोतलबंद स्तन का दूध, या पंप किया हुआ दूध, सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्वों, फैट और इम्युनिटी को बरकरार रखता है और जहां स्तनपान संभव नहीं है, वहां यह एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है.
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वहीं डॉ. अपूर्वा का ऐसा कहना है कि ' ब्रेस्टफीडिंग अच्छा होता है क्योंकि यह स्किन टू स्किन के संपर्क की अनुमति देता है जो बच्चे के बीच जुड़ाव को बढ़ा सकता है और उसके तापमान को नियंत्रित कर सकता है.
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वहीं पंप किया हुआ दूध एक अल्टरनेटिव ऑप्शन है जो काफी फ्लैक्सिबल भी माना जाता है. ऐसे में यह कामकाजी महिलाओं के लिए फायदेमंद है.
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डॉयरेक्ट फीडिंग से कई पोषण संबंधी लाभ मिलते हैं. बच्चे की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्तन के दूध की संरचना स्वाभाविक रूप से बदलती रहती है, चाहे वे स्वस्थ हों या अस्वस्थ.
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स्तनपान आसानी से उपलब्ध है, इसके लिए किसी तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है और इसके लिए कोई अतिरिक्त लागत भी नहीं आती है.
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पंप मिल्क और ब्रेस्ट मिल्क दोनों ही पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. बस पंप मिल्क को स्टोर करते समय कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है.
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सुझाव: पंपिंग से पहले और बाद में पंप और स्टोरेज कंटेनर को अच्छी तरह से साफ करें. दूध को गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल न करें. गर्म पानी में रखकर इसे गुनगुना करें. स्टोर दूध को 24 घंटे के भीतर इस्तेमाल करें अगर इसे फ्रिज में रखा गया है.
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