शराब पीने के बाद अक्सर देखा जाता है कि लोग खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त करने लगते हैं.
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शराब पीने वालों के लिए ये भी लॉजिक दिया जाता है कि व्यक्ति शराब पीकर सच-सच बोलता है.
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मगर इस बात में कितनी सच्चाई है आइए जानने की कोशिश करते हैं.
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बता दें कि शराब मस्तिष्क के उस हिस्से पर प्रभाव डालता है जो हमारी भावनाओं, निर्णय लेने की क्षमता, और सामाजिक व्यवहार को नियंत्रित करता है.
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शराब पीने के बाद, मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स पर इसका सीधा असर पड़ता है. यह हिस्सा सोचने-समझने की क्षमता, तर्क और नियंत्रण को नियंत्रित करता है.
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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन अल्कोहल अब्यूज एंड अल्कोलिज्म एपिडेमियोलॉजी और बायोमेट्री ब्रांच के प्रमुख ऐरोन व्हाइट इस बात को मानते हैं कि शराब पीने के बाद आदमी वही बोलता है, जो उसके दिमाग में होता है.
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हालांकि, यह कहना सही नहीं होगा कि शराब पीने के बाद व्यक्ति हमेशा सच ही बोलता है. शराब का असर हर व्यक्ति पर अलग-अलग होता है. कुछ लोग शराब के नशे में आकर बातें बढ़ा-चढ़ाकर कहते हैं.
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