गोरखपुर की गीताप्रेस की 100 वर्ष की कहानी! 97 सालों से मान रहे महात्मा गांधी की ये बात
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फोटो: यूपी तक
100 साल का सफर पूरा कर चुकी गीता प्रेस की कहानी बेहद दिलचस्प है.
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गोविंद भवन ट्रस्ट गोरखपुर की गीता प्रेस को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा हो चुकी है.
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ऐसे में आइए आपको गीता प्रेस से जुड़ी कहानी के बारे में बताते हैं.
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बता दें कि गीता प्रेस की स्थापना 29 अप्रैल 1923 को हुई थी.
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गीता प्रेस की शुरुआत सबसे पहले ₹10 की मासिक किराए के मकान में हुई थी.
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इस दौरान एक छोटी सी लेटरप्रेस मशीन के साथ इसकी शुरुआत की गई.
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इसका उद्घाटन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 29 अप्रैल 1955 में किया था.
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अब तक कुल 93 करोड़ की संख्या में गीता प्रेस पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है. इसमें कल्याण की मासिक प्रतियां भी शामिल हैं.
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कल्याण मासिक पत्रिका की बात करें तो यह सबसे पहले 1926 में प्रकाशित हुई थी. इसके पहले संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार भाईजी थे.
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गीता प्रेस से जुड़े लोग इस पत्रिका को लेकर साल 1926 में महात्मा गांधी के पास गए थे.
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इस दौरान महात्मा गांधी ने इस पत्रिका की प्रशंसा करते हुए दो सुझाव दिए थे.
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पहला किसी भी तरह का विज्ञापन ना लें और दूसरा समीक्षा और समालोचना ना दें.
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बता दें कि गीता प्रेस 'राष्ट्रपिता' की इस बात को अभी तक अमल करता हुआ चला आ रहा है.
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