Uttar Pradesh News: देश में महंगाई बढ़ गई है. हरी सब्जियों से लेकर खाने- पीने की कई चीजें महंगी हो गई हैं. ऐसे में आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. खास कर टमाटर की कीमतें लोगों को सबसे ज्यादा परेशान कर रही हैं. बाजार में कुछ दिनों पहले तक टमाटर 300 रुपये किलो तक बिक रहे थे. ऐसे में कई लोगों ने टमाटर के साथ- साथ हरी सब्जियां भी खाना छोड़ दिया था. वहीं लखनऊ के एक शख्स ने इसके उलट अपने छत पर ही खेती कर डाली और तकरीबन ढाई कुंतल टमाटर उगा दिया है. आखिर ये कमाल हुआ कैसे? आपको बताते हैं पूरी कहानी
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छत पर ही कर दी खेती
राजधानी लखनऊ (Lucknow News) के गोमती नगर में रहने वाल वीके पांडे ने अपने ही घर की छत और बालकनी में टमाटरों को उगा दिए. मिली जानकारी के मुताबिक, वीके पांडे पेस्टिसाइड कंपनी में कम करते हैं और गोमती नगर के विनय खंड में रहते हैं. उन्हें बचपन से ही गार्डनिंग का शौक था. मगर जगह की कमी होने के कारण उनका ये शौक पूरा नहीं हो पाया. इसके लिए उन्होंने अपनी बालकनी में ही खूब सारे गमले लगा दिए और वहां सब्जियां उगानी शुरू कर दी. इस दौरान उन्होंने टमाटर भी उगा दिए.
टमाटर का सीजन नवंबर से शुरू होता है और जून तक चलता है. वीके पांडे को महसूस हो गया था कि इस बार टमाटर के दाम में भारी इजाफा हो जाएगा. इसलिए इन्होंने पहले ही करीब 50 से 60 टमाटर के पौधे गमलों में लगा दिए और टमाटर उगाना शुरू कर दिया. ये देख उनके एक पड़ोसी ने भी अपनी 600 स्क्वायर फीट जगह उनको टमाटर उगाने के लिए दे दी, जिसका लाभ उन्हें जल्द ही मिलना शुरू हो गया.
वीके पांडेय का कहना है कि, ‘मैंने पहले से ही टमाटर उगाने शुरू कर दिए थे. फिर टमाटर के दामों में इजाफा हो गया. लेकिन मैं तब तक इतने टमाटर उगा चुका था कि मैंने खुद भी टमाटर खाए और अपने पड़ोसियों को भी टमाटर दिए. अपनी बालकनी और छत पर टमाटर के अलावा नींबू, चबूतरा जैसे पौधे भी लगा रखे हैं. मगर इस बार टमाटर की उनके यहां काफी पैदावार हुई.’
ऐसे हुआ ये कमाल
अभी शहरों में टेरेस फार्मिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है. लोग अपने घर की छत या बालकोनी में टमाटर, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, खीरा और बैंगन सहित कई सब्जियों की खेती कर रहे हैं. वहीं लखनऊ के वीके पांडे ने बताया कि, ‘उन्होंने गमलों में टमाटर के साथ और भी हरी सब्जियां उगाते हैं. वो पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती करते हैं. खाद भी घर पर ही खुद से बनाते हैं. घर में फल और सब्जी के छिलके वो एक ड्रम में इक्कठा करते हैं और उसके डिकंपोज होने के बाद उसके पानी को खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इससे पैदावार काफी अच्छी होती है.’
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