UP News: पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को झटका देते हुए 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा की नई सूची जारी करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. बता दें कि अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस भी जारी किया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर तक हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है. तो वहीं अब इस मामले की सुनवाई 23 सितंबर को होगी.
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दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती के चयनित उम्मीदवारों की नई सूची बनाने के लिए कहा था. कहा गया था कि चयन प्रक्रिया में आरक्षण प्रक्रिया को सही से लागू नहीं किया गया है. हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दाखिल की गई थी और हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी.
आज सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया और पक्षकारों से लिखित दलीलें देने के लिए भी कहा. इसी दौरान चीफ जस्टिस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से ये भी कहा कि पक्षकार अपनी दलील 7 पेज से ज्यादा की नहीं रखें.
आरक्षित और सामान्य दोनों वर्ग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुनियादी शिक्षक भर्ती के लिए चयनित उम्मीदवारों की नई सूची बनाने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि इस नई सूची में आरक्षण के नियमों का पालन किया जाए. इससे सामान्य वर्ग के चयनित उम्मीदवारों को अपनी नियुक्ति नई सूची से बाहर निकाले जाने का डर था. इस मामले में आरक्षित वर्ग और सामान्य वर्ग दोनों पक्षों के उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट आए है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी.
ये भी जानिए
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में जून 2020 और जनवरी 2022 के सलेक्शन लिस्ट को रद्द करते हुए यूपी सरकार का आदेश दिया था कि वो 2019 में हुए(ATRE) सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर 69 हज़ार शिक्षको के लिए नए सलेक्शन लिस्ट तीन महीने में जारी करें. हाई कोर्ट ने ये भी कहा था कि अगर कोई आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट जनरल कैटेगरी के बराबर मेरिट हासिल कर लेता है तो उसका सलेक्शन जनरल कैटगरी में ही माना चाहिए. हाई कोर्ट के इस आदेश के चलते यूपी में बड़ी संख्या में नौकरी कर रहे शिक्षकों पर नौकरी खोने का खतरा मंडराने लगा था.
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